बलदेव/ सोमवार को भाकियू चढूनी के कार्यकर्ताओं ने अमर शहीद वीर गोकुला जाट का कैंप कार्यालय पर बलिदान दिवस सादगी से मनाया । मंडल अध्यक्ष रामवीर सिंह तोमर ने वीर गोकुला के चित्र पर फूल अर्पित कर उन्हें नम आंखों से श्रदांजली अर्पित की। श्री तोमर ने बताया कि वीर गोकुला तथा भरतपुर के जाट शासक हसन मेवाती, गुरु गोविन्द सिंह ऐसे नाम हैं जिन्होंने मुगल सत्ता को खुलकर ललकारा था। वीर गोकुला का नाम इसलिए प्रमुखता से लिया जाएगा जिन्होंने दिल्ली की नाक के नीचे हुँकार भरी थी और 20 हजार कृषक सैनिकों की फौज खडी कर, जो अवैतनिक, अप्रशिक्षित और घरेलू अस्त्र-शस्त्रों से सुसज्जित थी। यह सभी विस्तार के लिए नही, राष्ट्र की रक्षा हेतु प्राणार्पण करने आये थे। वीर गोकुला जाट तिलपत के जमींदार थे। मुगलों ने जब मथुरा के मंदिरों को तोड़ने और अधिक मालगुजारी वसूलने का आदेश दिया तो कोतवालों ने जुल्म शुरू कर दिए। कोई भी विरोध नहीं कर पा रहा था। ऐसे में वीर गोकुला जाट ने हर वर्ग के किसानों को एकत्रित किया और मालगुजारी न देने का ऐलान किया। मुगल फौज और गोकुला जाट की किसान सेना के बीच संघर्ष शुरू हो गया। 10 मई, 1666 को औरंगजेब की सेना और गोकुला जाट के बीच युद्ध हुआ, जिसे तिलपत की लड़ाई के नाम से जाना जाता है। जाटों की जीत हुई। इसके बाद औरंगजेब ने धर्म को बढ़ावा दिया और लगान बढ़ा दिया। गोकुला जाट ने लगान देने से मना कर दिया। औरंगजेब ने अनेक सेनापति भेजे, जाटों ने सबको हरा दिया। अंततः औरंगजेब को 1669 में दिल्ली से चलकर मथुरा आना पड़ा। दिसंबर 1669 में औरंगजेब और गोकुला जाट के बीच तीन दिन तक भीषण युद्ध हुआ। अंततः गोकुला जाट उनके साथियों और स्वजनों को बंदी बना लिया गया। औरंगजेब इतने बहादुर योद्धा को खोना नहीं चाहता था इसलिए उसने इस्लाम कबूल करने पर सभी को मुक्त करने और तिलपत को वैध अधिकार देने का प्रस्ताव रखा ,जो एक स्वर में सभी ने अस्वीकार कर दिया। इनकार किया तो गोकुला जाट को आगरा कोतवाली के सामने यातनाएं देते हुए सात दिन तक एक एक अंग करके काटा गया, आज उस जगह को फुहारा कहते हैं। श्रद्धांजली अर्पित करने बालों में डा सतीश चन्द्र, बिल्ला सिकरवार, राधेश्याम सिकरवार, प्रेम सिंह सिकरवार, कुंतभोज रावत, रामप्रकाश पुजारी, गौरव तोमर, हरिपाल सिंह परिहार, चरण सिंह पवार, ओमवीर मास्टर, सोनवीर सिंह तोमर, बच्चू सिंह तोमर, प्रेमपाल सिंह पवार, जगदीश पांडेय, रवीश कुमार, अकबर खान आदि मौजूद रहे।
भारत की पहली किसान क्रांति का आगाज वीर गोकुला जाट ने कर मुगल सल्तनत को हिला के रख दिया था; रामवीर सिंह तोमर
rajgupta109111@gmail.com
0
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें
If you have any doubts, please let me know