मसकनवा- गोंडा - नेपाल से नंगें पांव पैदल अयोध्या के लिए निकले श्रद्धालु।
*गोंडा मनकापुर से हिंदी संवाद न्यूज़ ब्यूरो हेड शिवमंगल शुक्ला की खास रिपोर्ट*
श्री राम प्राण प्रतिष्ठा की ऐसी लागी लगन की पड़ोसी देश नेपाल भगवान बुद्ध की जन्म स्थली कपिल वस्तु भिलमी के तीन युवा नंगे पाव प्राण प्रतिष्ठा में सम्मिलित होने पैदल ही अयोध्याधाम निकल पडे।तीन युवाओ का मसकनवां कस्बे के व्यापारियो ने स्वागत कर अयोध्याधाम के लिए विदा किया है।अयोध्याधाम में 22 जनवरी को होने वाली प्राण प्रतिष्ठा को लेकर जहां प्रदेश सहित पूरे देश में चर्चा और उल्लास का माहौल है वही पड़ोसी देश नैपाल में बेहद उल्लास का माहौल देखने को मिल रहा है नैपाल व भारत की संस्कृति भी मिलती जुलती है ।ऐसे में राम जन्म भूमि मन्दिर अयोध्याधाम मे राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा में नैपाल के लोग बढ़चढ़कर भाग लेने मे किसी से पीछे नही है।राम जन्म भूमि मन्दिर की प्राण प्रतिष्ठा को लेकर नैपाल देश के कपिल वस्तु कृष्णा नगर भिलमी भगवान बुद्ध की जन्म स्थली के सज्जन मौर्या,पल्टू मौर्या,अनंतराम गुप्ता अपने घर गांव के शिव मन्दिर से बुधवार को दिन के ग्यारह बजे श्री राम के नाम का जयकारा करते पैदल ही निकल पडे ।सिद्धार्थनगर के इटवा में रात विश्राम कर बृहस्पतिवार भोर में 03:50 बजे निकलकर डुमरियागंज,भवानीगंज,चन्द्र दीप घाट,गौरा-चौकी होते हुए बृहस्पतिवार देर शाम 90 किलोमीटर चलकर मसकनवां कस्बे में पहुंचे तो मसकनवां के व्यापार मंडल संरक्षक भरत लाल त्रिपाठी और कवि सुधांश गुप्ता और राम जी श्रीवास्तव, अनुपम सहित सभी व्यापारियों ने युवा तीनो राम भक्तो का जोरदार स्वागत कर जलपान कराने के उपरांत हनुमान मंदिर राजाफार्म पर भोजन व विश्राम के बाद शुक्रवार को शेष बचे 33 किलोमीटर दूर अयोध्याधाम के लिए लोगो से विदा लेकर निकले।
नेपाल देश के भगवान बुद्ध के जन्म स्थान से निकले तीनो युवाओ ने श्रीराम को जहा आराध्य बताया वही रिस्तेदार बताया
श्रीराम की प्राण प्रतिष्ठा में शामिल होने नैपाल देश से निकले तीनो युवा राम भक्तो ने जहा प्रभु श्रीराम को आराध्य बताया वही अन्त राम गुप्ता ने रिस्तेदार भी बताया उनकी माने तो हमारे पूर्वज श्रीराम को रिस्तेदार बताते थे माता सीता को बहन ऐसे मे बहनोई का रिस्ता है फिर जन-जन के आराध्य ऐसे में अब वह झोपडी से निकल कर महलो में जा रहे हो ऐसे मे हमरा तो इतना हक बनता है की रिस्तेदार व आराध्य को पैदल नगे पाव चलकर उनको महलो तक पहुंचावे यही सच्ची भक्ति व सेवा पूजा होगी।
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