जौनपुर। अयोध्या पैदल ही चल पड़े थे 73 वर्षीय उमाषंकर पाण्डेय

भगदड़ में भीड़ के नीचे दब कर हुए थे घायल

जौनपुर। जनपद के मछलीशहर तहसील स्थित मीरगंज थाना क्षेत्र के चैकीखुर्द गाँव निवासी पं० उमाशंकर पाण्डेय अक्टूबर 1990 में 73 वर्ष की उम्र में जन्मभूमि आंदोलन में कार सेवा के उद्देश्य से पैदल ही 200 किमी चलकर अयोध्या पहुंचे थे। घर वालों के मना करने के बावजूद जन्मभूमि मुक्ति आंदोलन के जज्बे के बीच में उम्र बाधा नहीं बनी। 
        
उमाशंकर जी बाहर की वस्तुओं का सेवन नहीं करते थे। चाय, काफी, बिस्कुट, होटल का खाना, नाश्ता यह सब वस्तुएं उन्होंने कभी ग्रहण नहीं किया। इसलिए अपने साथ सत्तू,गुड़, नमक,भुना हुआ दाना सहित भोजन सामग्री रखते थे। वे रामायण, गीता व पानी पीने के लिए लोटा और डोरी सदैव लिए रहते थे, जिससे कुएं से निकालकर जल ग्रहण करते थे। उनके साथ काफी सामान रहता था। सामान ढोने के लिए वह एक साइकिल का उपयोग करते थे और उस दिन भी साइकिल पर सामान लाद कर झोला में लटका कर पैदल ही अयोध्या के लिए निकल गए थे। उनके पुत्र सूर्यमणि पाण्डेय एडवोकेट ने बताया कि पिताजी को जुनून सवार था की अयोध्या में जाकर रामजन्म भूमि मुक्ति हेतु अपनी आहुति देंगे। 1917 में जन्म लेने वाले पिताजी 73 साल की उम्र में अयोध्या पहुंचे। वहां पुलिस का जबरदस्त पहरा था। उन्होंने बताया कि अयोध्या में अशोक सिंघल,विनय कटियार, उमा भारती कारसेवकों में जोश भर रहे थे। अशोक सिंघल के भाषण के बाद पुलिस ने लाठी चार्ज कर दिया और फिर कार सेवकों पर गोलियों की बरसात कर दी गई। वे इसी भगदड़ में भीड़ के नीचे दब गए। कुछ युवकों ने उनकी सहायता करके बाहर निकाला। घायल अवस्था में लौटकर जौनपुर आए। उनका कहना था कि जब बाबरी मस्जिद टूट चुकी है तो अब वहां जब भी निर्माण होगा तो मंदिर का ही निर्माण होगा, अब दोबारा मस्जिद का निर्माण संभव नहीं। 20 जून 2011 को 94 वर्ष की उम्र में उन्होंने अंतिम सांस ली। भव्य राम मंदिर निर्माण का सपना उनके जीते जी पूरा नहीं हो सका। उनके पुत्र ने कहा कि आज पिताजी जीवित होते तो मंदिर निर्माण को देखकर अवश्य ही बहुत खुश होते। हम लोग अविभूत हैं कि पिताजी जिस उद्देश्य से कारसेवा किए थे वह सपना अब पूर्ण हो रहा है।

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