राष्ट्रीय कुष्ठ उन्मूलन कार्यक्रम के तहत 21 दिसंबर से चार जनवरी तक पल्स पोलियो प्रतिरक्षण अभियान की तर्ज पर सघन कुष्ठ रोगी खोज अभियान चलाया गया। इस दौरान ग्रामीण व शहरी क्षेत्रों में स्वास्थ्य विभाग की टीमों ने घर-घर जाकर संभावित लक्षणों वाले कुष्ठ रोगियों को चिन्हित करने का काम किया।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा. वीरेंद्र सिंह ने जानकारी दी कि कि 21 दिसंबर से चार जनवरी तक चले इस अभियान में 3023 टीमों द्वारा 5,88,000 घरों का भ्रमण कर 25,87,705 व्यक्तियों की जांच की गई जिसमें 35 लोग कुष्ठ रोग से ग्रसित पाए गए। इन सभी मरीजों का उपचार भी शुरू करा दिया गया है। मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने कहा कि कुष्ठ रोग को लेकर समाज में अनेक भ्रांतियां व्याप्त हैं। इसलिए स्वास्थ्य कार्यकर्ता लोगों में इन भ्रांतियों को दूर करें और उन्हें जागरूक करें। कुष्ठ रोग अन्य बीमारियों की तरह यह भी एक बीमारी है और इसकी जांच और इलाज की सुविधा स्वास्थ्य केंद्रों पर उपलब्ध है।
जिला कुष्ठ अधिकारी डॉ. शरद कुशवाहा ने बताया उन्होंने बताया कि कुष्ठ रोग माइक्रोबैक्टीरियम लेपरे नामक जीवाणु के संक्रमण से होता है। यह मुख्यतः त्वचा, आंख, नाक और बाहरी तंत्रिकाओं को प्रभावित करता है। इलाज न किए जाने पर यह रोग स्थायी दिव्यांगता का कारण बन सकता है। कुष्ठ रोग का इलाज संभव है। बीमारी की शुरुआत में इलाज कराने से इससे होने वाली दिव्यांगता को रोका जा सकता है। कुष्ठ रोग के लक्षण होने पर नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र या आशा कार्यकर्ता से संपर्क कर जांच व इलाज कराया जा सकता है।
जिला कुष्ठ परामर्शदाता डॉ. दशरथ यादव ने बताया कि शरीर पर हल्के अथवा तांबई रंग के चकत्ते हों और उनमें सुन्नपन हो तो यह कुष्ठ हो सकता है। ऐसे हिस्से पर ठंडा या गरम का एहसास नहीं होता है। इसका इलाज मल्टी ड्रग थेरेपी द्वारा होता है। उन्होंने बताया कि कुष्ठ रोग की दो श्रेणियां हैं। पीबी श्रेणी के कुष्ठ रोगियों का इलाज छह महीने तक होता है।मल्टी बैसिलरी (एमबी) श्रेणी के मरीजों का इलाज एक साल तक चलता है।कुष्ठ रोगियों का नियमित इलाज के बाद रोग के कीटाणु समाप्त हो जाते हैं।
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