एम एल के पी जी कॉलेज बलरामपुर सभागार में शनिवार को शिक्षक शिक्षा एवं शिक्षाशास्त्र विभाग के संयुक्त तत्वावधान में दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का शुभारंभ हुआ। संगोष्ठी में देश के विभिन्न प्रदेशों से आये शिक्षाविदों ने प्राचीन भारत की शिक्षक शिक्षा का वर्तमान  शैक्षिक परिदृश्य में प्रोत्साहन विषय पर अपने विचार रखे।
                संगोष्ठी का शुभारंभ कार्यक्रम अध्यक्ष श्री लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय संस्कृत केन्द्रीय विश्वविद्यालय नई दिल्ली के कुलपति प्रो0 मुरली मनोहर पाठक , मुख्य अतिथि उसी विश्वविद्यालय के वरिष्ठ आचार्य एवं शिक्षा पीठ के अध्यक्ष प्रो0 रमेश प्रसाद पाठक,विशिष्ट अतिथि आई सी एच आर के निदेशक डॉ ओम जी उपाध्याय, संगोष्ठी के सरंक्षक महाविद्यालय प्रबंध समिति के सचिव लेफ्टिनेंट कर्नल आर के मोहन्ता,संगोष्ठी अध्यक्ष व प्राचार्य प्रो0 जे पी पाण्डेय ,आई क्यू ए सी समन्वयक प्रो0 तबस्सुम फरखी, अध्यक्ष बीएड प्रो0 राघवेंद्र सिंह,अध्यक्ष शिक्षाशास्त्र डॉ दिनेश मौर्य,आयोजन सचिव प्रो0 एस पी मिश्र व सह आयोजन सचिव डॉ राम रहीस ने दीप प्रज्वलित एवं मां सरस्वती के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित कर किया। इसके पश्चात महाविद्यालय की छात्राओं द्वारा सरस्वती वंदना व स्वागत गीत प्रस्तुत किया। उपस्थित लोगों को सम्बोधित करते हुए कुलपति प्रो0 मुरली मनोहर पाठक ने कहा कि गुरु की सम्पूर्ण जीवन शैली का अनुकरण करना ही अच्छे शिष्य की निशानी है। सुनने की इच्छा व सीखने की ललक रखने वाला ही अच्छा शिष्य होता है । एक अच्छा गुरू वही बन सकता है जो  जीवन भर अच्छा शिष्य बने रहता है। शिक्षक को स्वयं अपना आत्ममूल्यांकन करना चाहिए और अपने शिष्य को लायक व समर्थ तथा हर स्तर पर उसे आगे बढ़ने की प्रेरणा देना चाहिए। प्रो0 रमेश प्रसाद पाठक ने कहा कि प्राचीन भारत का इतिहास बड़ा ही गौरवशाली रहा है। भारत वह देश है जहाँ प्रकाश व ज्ञान का अथाह सागर है। व्यवहार व सिद्धान्त को स्पष्ट करते हुए उन्होंने कहा कि अध्यापक को बहुत ही सरल होना चाहिये जिसमें स- सीता की तरह त्याग हो,र-राम की तरह मर्यादा तथा ल- लक्ष्मण की तरह तेज होना चाहिए। मुख्य वक्ता डॉ ओम जी उपाध्याय ने कहा कि गुरु शिष्य के संबंधों पर प्रकाश डालते हुए सेमिनार के शीर्षक पर विधिवत प्रकाश डाला। सचिव प्रबंध समिति लेफ्टिनेंट कर्नल आर के मोहन्ता ने आयोजन में लगे दोनों विभागों के अध्यापकों को बधाई दी और आगे भी ऐसे आयोजनों को कराने पर बल दिया। संगोष्ठी अध्यक्ष व प्राचार्य प्रो0 जे पी पाण्डेय ने सभी का स्वागत करते हुए सेमिनार के सफलता की कामना की। संयोजक प्रो0 राघवेंद्र सिंह,सह संयोजक डॉ दिनेश मौर्य व सह आयोजन सचिव डॉ राम रहीस ने अतिथियों का संक्षिप्त परिचय दिया। आयोजन सचिव प्रो0 श्रीप्रकाश मिश्र ने सभी का आभार व्यक्त किया। संगोष्ठी का संचालन समन्वय -सह सचिव व महाविद्यालय के एसोसिएट एन सी सी अधिकारी लेफ्टिनेंट डॉ देवेन्द्र कुमार चौहान ने किया। इस दौरान अतिथियों को स्मृति चिन्ह व अंगवस्त्र भेंटकर स्वागत भी किया गया साथ ही सेमिनार के पब्लिश प्रोसीडिंग का विमोचन भी किया गया। समापन महाविद्यालय के कुलगीत से हुआ। सेमिनार के सफल आयोजन में प्रो0 रेखा विश्वकर्मा, डॉ अनामिका सिंह,डॉ भावना सिंह,सीमा सिन्हा, डॉ स्वदेश भट्ट,डॉ बसंत कुमार, डॉ जितेंद्र भट्ट,डॉ अभिषेक सिंह,अविनाश, अमित कुमार, मणिका मिश्रा, सीमा श्रीवास्तव,वर्षा सिंह,श्रीनारायण सिंह व आनंद त्रिपाठी का सराहनीय योगदान रहा।
      इस अवसर पर प्रो0 प्रमिला तिवारी, मुख्य नियंता प्रो0 पी के सिंह, प्रो0 वीना सिंह सहित महाविद्यालय के सभी विभाग के अध्यक्ष व प्राध्यापक ,छत्तीसगढ़, दिल्ली, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश व बिहार आदि प्रदेशों के प्रतिनिधि मौजूद रहे।
उमेश चन्द्र तिवारी
हिंदी संवाद न्यूज़
भारत 

Post a Comment

If you have any doubts, please let me know

और नया पुराने