औरैया // जिले में स्वास्थ्य सेवाओं से लेकर महिला उत्थान पर प्रशासन की ओर से किए गए कवायद की टाटा मेमोरियल की ओर से सराहना की गई है। जनपद में पापुलेशन फाउंडेशन आफ इंडिया ( पीएफआई ) की ओर से किए गए 20 सूचकांकों के सर्वे में तेजी से काम किए जाने की बात सामने आई हैं सोमवार को ,,जिले को सातवां जेआरडी पुरस्कार के लिए नई दिल्ली में टाटा मेमोरियल की ओर से जिलाधिकारी नेहा प्रकाश को किया गया सम्मानित,, किशोरियों की सेहत, स्वच्छता, पीने के पानी की व्यवस्था, महिला चिकित्सा, नारी सशक्तिकरण, महिला संबंधी अपराधों पर नियंत्रण, परिवार नियोजन जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर अच्छा काम करने के लिए औरैया जिले का नाम चुना गया है। पापुलेशन फाउंडेशन ऑफ इंडिया ( पीएफआई ) की ओर से प्रतिष्ठित 7वें जेआरडी टाटा मेमोरियल अवार्ड्स के लिए चयनित होने पर सोमवार को जिलाधिकारी नेहा प्रकाश को यह पुरस्कार दिया गया। प्रतिष्ठित स्वतंत्र थर्ड पार्टी तकनीकी परामर्श समिति पीएफआई की अनुशंसा पर महिलाओं और किशोरियों के स्वास्थ्य को प्रभावित करने वाले 20 सूचकांक को ध्यान में रखकर जिले के काम को आंका गया था। नई दिल्ली के जेआरडी टाटा मेमोरियल के पदाधिकारियों की ओर से औरैया जिलाधिकारी नेहा प्रकाश को यह सम्मान दिया गया ,जिलाधिकारी नेहा प्रकाश ने इस सम्मान को लेकर कहा कि जिले को मिला यह पुरस्कार सभी की मेहनत और लगन का परिणाम है। उन्होंने इसके लिए सभी को बधाई दी, उनके द्वारा की गई प्रमुख उपलब्धियां जानकारी के मुताबिक महिलाओं में एनीमिया (15- 49 वर्ष) की 55.7 फीसदी से घटकर 39.9 फीसदी रह गई। किशोरियों (15-19 वर्ष) में एनीमिया 58.9 फीसदी से घटकर 41.1 फीसदी, संपूर्ण टीकाकरण 57.5 फीसदी से बढ़कर 73.8 फीसदी रह गई, बच्चों (पांच वर्ष से कम) में स्टंटिंग फीसदी से घटकर 35.9 फीसदी, परिवार नियोजन में अंतराल 18.71 फीसदी से बढ़कर 47.6 फीसदी व गर्भनिरोधक प्रचलन दर 18.3 फीसदी से बढ़कर 72 फीसदी हो गई,वहीं, परिवार नियोजन की अपूरित आवश्यकताएं 29.9 फीसदी से घटकर 11.1 फीसदी, बाल विवाह का प्रतिशत 28.3 फीसदी से घटकर 15.9 फीसदी, किशोरी प्रसव की दर 1.3 से घटकर 1.0 फीसदी, उच्च जन्म - क्रम (तीन या अधिक बच्चे) 4.6 फीसदी से घटकर 2.6 फीसदी, प्रसव पूर्व देखरेख (कम से कम 4 दौरे) 19.8 फीसदी से बढ़कर 31.5 फीसदी हो गया, इसी प्रकार जन्म के 48 घंटों के भीतर प्रसवोत्तर देखरेख 50.6 फीसदी से बढ़कर 83.8 फीसदी, मातृ स्वास्थ्य के लिए औसत व्यक्तिगत व्यय रु. 4428 प्रति व्यक्ति से घटकर 2062, सुरक्षित प्रसव दर 76.6 फीसदी से बढ़कर 92 फीसदी एवं संस्थागत प्रसव 60.5 फीसदी से बढ़कर 79.2 फीसदी, बेहतर घरेलू स्वच्छता सुविधाएं 18.7 फीसदी से बढ़कर 63.2 फीसदी हो गया, इसी प्रकार महिलाओं में माहवारी स्वच्छता उत्पाद का उपयोग 35.4 फीसदी से बढ़कर 72.3 फीसदी से अधिक हो गया।

ब्यूरो रिपोर्ट :- जितेन्द्र कुमार 

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