अभीक बेनज़ीर द्वारा निर्देशित वेब सिरीज़ " नुक्कड़" ( कहानी किरदारों की और उनके व्यवहारों की) रिलीज़ हुई आज मास्क टीवी पर:
नुक्कड़ ( वेब सिरीज़) / निर्देशक – अभीक बेनज़ीर/ मास्क टीवी
अभीक बेनज़ीर द्वारा निर्देशित वेब सिरीज़ नुक्कड़, जो कि अलग अलग लोगों की ज़िंदगी की जटिलता और उनके नज़रिए को दर्शाती है, आज मास्क टीवी पर रिलीज़ हुई है। नाट्यक्रम और कहानी की बात करें तो ये किसी एक किरदार पर नहीं टिकी है और हर किरदार के जीवन पर प्रकाश डालती हुई, उनके रहस्यों पर , उनकी भावनाओं, इच्छाओं और किस्मत के तौर तरीकों में किरदारों की ज़िंदगी की भूमिकाओं को दर्शाती हुई छह एपिसोड्स में विभाजित की गई है।
कहानी को दर्शाने की गति काफ़ी धीरे होने के बावजूद भी यह दर्शकों को उलझा कर उसे दिलचस्प बनाने में सफल रही है।
हर एक एपिसोड का क्रम ऐसे बढ़ रहा है जैसे मानो असल ज़िंदगी के किरदार जी रहे हों।
नुक्कड़ , जो कि एक रंगमंच है जहां सब अपने अपने किरदार जी रहे हैं, सबकी अलग कहानियां हैं, जो जैसे चाहे वैसे कहानी कह सकता है, कोई भी झूठ बोल सकता है और कोई भी सच बुन सकता है, जो की ज़िंदगी का सच है और सिनेमा के लिए एक बेहतरीन विषय है। झूठ और सच सबके लिए अलग होता है और हमारी ज़िंदगी भी तो एक नुक्कड़ की ही तरह है जहां की न शुरुआत पता है ना अंत, बस एहसास पता होते हैं बीच की ज़िंदगी के, हम सबकी कहानी अलग है और मज़े की बात ये है की हम सबकी कहानी में अलग अलग किरदार हैं और ये बात इस सिरीज़ में बाखूबी दर्शाई गई है। जहां एक तरफ सुंदर का लगाव है अपनी मामा की बेटी बिनती के लिए तो वहीं दूसरी ओर बिनती को सुंदर से प्यार हो जाता है। रेखा का किरदार जो को इस सिरीज़ का अहम हिस्सा है सुंदर की ओर आकर्षित होने लगती है और सुंदर रेखा की ओर। इन सबके बीच बिनती की मनोदशा को जो की ये सब के बीच फंसी हुई है और एक तरफ़ उसके पिता का देहांत, आख़िर किस से बांट पाएगी अपना दुःख! क्या वो कह पाएगी सुंदर से अपने दिल की बात, क्या मोड़ देगा ये ज़िंदगी का नुक्कड़ जहां के रंगमंच पर इनके उदासीन किरदार खड़े हैं! यह सिरीज़ को अधिकतर एपिसोड्स में बहुत ही डार्क और मेलनकोलिक सिनेमा टोन में दिखाया गया है जो की बहुत खूबसूरती से अपने विषय को दर्शाने में कामयाब हुई है।
निर्देशन की बात करें तो इसके निर्देशक अभीक बेनज़ीर हैं। इस सिरीज़ का अंत ट्रैजिक है। कैमरा और फोटोग्राफी का टोन एस्थेटिक रखा गया है जो की किरदारों के भाव को उनके अस्तित्व को दर्शाता है जो कि इच्छुक और उदासीन दोनो ही है।
इस सिरीज़ के सभी सीन्स के बीच काफ़ी स्पेस होने के कारण इस जटिल विषय को काफ़ी आसानी से समझाया गया है।
किरदार और डायलॉग्स की बात करें तो रंजीत का किरदार जो की वेद प्रकाश पर फिल्माया गया है, काफ़ी अच्छी अभिनय की प्रस्तुति हुई है जो अपने गांव में नुक्कड़ नाटक की प्रस्तुति करता है और नज़रिए का खेल समझाता है। किरदारों को समय समय पर पॉजिटिव और नेगेटिव दोनो ही रूप में दिखाया गया है। शुरुवात के एपिसोड्स में डायलॉग्स को बहुत ही कॉमन रखा गया है , कॉमेडी और ह्यूमर दोनों ही एकदम असल ज़िंदगी हमारी रोज़ मर्रा की ज़िंदगी की तरह रखे हैं जो की इसे और भी रिलेटेबल बनाता है। सुंदर गांव का दृश्य, प्रकृति के दृश्य जहां आम आदमी अपनी ही दुनिया के किरदारों को जी रहा है बाहरी दुनिया से बेखबर इसे कॉमन इंसान के लिए देखने योग्य और नोस्टालजिक बनाता है।
सनम ज़ीया, त्रुप्ति साहू, इमरान हुसैन, अपाला बिष्ट, वेद प्रकाश, रोहित बैनर्जी , सागर सैनी, प्रीति शर्मा, रूबीना खान, सुनील सैनी, प्रियंका कश्यप, विशाल सिंह, करन मेहरा , सतीश, इस सिरीज़ के मुख्य कलाकार हैं। अशोक पांडा इसके सिनेमेटोग्राफर हैं। विनीत मिश्र और अक्षय याग्निक इसके क्रिएटिव डायरेक्टर हैं। म्यूज़िक दिया है जॉय दत्ता और रुद्र मजूमदार ने। टैग प्रोडक्शंस के बैनर तले बनी ये सिरीज़ जिसके प्रोड्यूसर अंजू भट्ट और चिरंजीव भट्ट हैं है बार एक नए कांसेप्ट लाते हैं।
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