यहां खरीदी प्रभारी, कम्प्यूटर आपरेटर एवं अन्य जिम्मेदारों द्वारा साठगांठ कर किसानों का फर्जी पंजीयन/सत्यापन कर धान की बिक्री की गई है। ऐसे किसानों के नाम पर भी कई कुंतलो धान बेच दिया गया है। जिनके नाम से कुछ जमीन है और खाने भर के लिए धान होता है। और उन किसानो का कहना है आज तक कभी धान बेचा ही नहीं, तो उनके नाम पर कुंतलों धान कैसे बिक गया। यह बहुत बड़ा जांच का विषय है? फिलहाल जांच के बाद ही कई और राज खुल सकते हैं।

उo प्र o खाद्य एवं रसद विभाग मुख्यमन्त्री योगी आदित्यनाथ की देख रेख में होने के बावजूद अफसरों में कोई खौफ नहीं है. “असली किसानो पर नकली किसान भारी” कैसे होगा मुख्यमंत्री का किसानो की आय दोगुनी करने का सपना।

शासन व जिला प्रशासन भले ही धान खरीद में पारदर्शिता का दावा करता रहा, लेकिन बिचौलियों से ही धान की खरीदकर लक्ष्य पूरा किया गया। धान खरीद की घपलेबाजी में माफिया का पूरा सिस्टम रहता है। खाद्यान्न से जुड़े सूत्रों की मानें तो क्रय केंद्रों के ठेकों से लेकर खरीद, धान उतार में डाला वसूली सुविधा शुल्क की रकम निर्धारित रहती है। 


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