कादीपुर सुल्तानपुर : संत तुलसीदास पीजी कॉलेज कादीपुर सुल्तानपुर के प्राचीन इतिहास एवं संस्कृति पुरातत्व विभाग एवं मौलाना अबुल कलाम आज़ाद इन्स्टीट्यूट ऑफ एशियन स्टडीज, कोलकाता (स्वायत्तशासी निकाय, संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार) के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी के समापन अवसर पर डॉ राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय अयोध्या के पूर्व कुलपति प्रतिनिधि व पूर्व चीफ प्रॉक्टर एवं प्राचीन इतिहास विभाग के अध्यक्ष प्रो अजय प्रताप सिंह ने अपने सम्बोधन में कहा कि सामंजस्य एवं सद्भावपूर्ण हिन्दुत्व आधारित जीवन शैली में मानववाद समाहित है। क्यों हिन्दू जीवन शैली में सर्व धर्म समभाव की कल्पना के साथ-साथ मानव कल्याण की कामना की गयी है जिसका अनुसरण ही हमारे आदर्श कर्मठता के साथ व्यक्तित्व को प्रतिबिंबित करता है।
आज संगोष्ठी के तकनीकी सत्र का समापन विभिन्न शोध छात्र छात्राओं के शोध-पत्र वाचन के साथ सम्पन्न हुआ। संगोष्ठी के प्रथम सत्र के अन्तर्गत "हिन्दुत्व की मानववादी राजनीतिक एवं सामाजिक जीवन पद्धति" विषय पर चर्चा की गयी जिसकी अध्यक्षता, विभागाध्यक्ष संस्कृत विभाग महात्मा गाँधी काशी विद्यापीठ, वाराणसी प्रो दानपति तिवारी, सह अध्यक्ष प्रो० के० के० मिश्रा, प्राचार्य, बी०बी०डी पी०जी० कॉलेज, परूइया आश्रम, अम्बेडकरनगर, मुख्य वक्ता डा० धर्मेन्द्र कुमार दूबे, ब्रेवे विश्वविद्यालय, इथोपिया, पूर्वी अफ्रीका, द्वितीय सत्र के अन्तर्गत "युग-युगीन हिन्दुत्व एवं समकालिक विश्व" विषय पर परिचर्चा की गयी। जिसकी अध्यक्षता : प्रो० अजय कुमार दूबे,अधिष्ठाता शिक्षासंकाय, टी०डी० कालेज, जौनपुर,
सह अध्यक्ष प्रो० शैलेन्द्र प्रताप सिंह, अध्यक्ष, प्राचीन इतिहास विभाग, राणा प्रताप पी०जी० कालेज, सुलतानपुर, मुख्य वक्ताः डॉ० प्रदीप कुमार केसरवानी, निदेशक, सम्राट हर्षवर्धन शोध संस्थान, प्रयागराज एवं संगोष्ठी के तृतीय सत्र में "हिन्दुत्व की मानववादी वैज्ञानिक एवं दार्शनिक चिन्तन परम्परा" पर चर्चा की गयी। संगोष्ठी के तृतीय सत्र की अध्यक्षता : प्रो० सीताराम सिंह,प्राचार्य, जवाहर लाल नेहरू पी०जी० बाराबंकी, सह अध्यक्षः प्रो० प्रज्ञा मिश्रा, अध्यक्ष, प्राचीन इतिहास विभाग, राजा मोहन गर्ल्स पी०जी० कालेज, मुख्य वक्ताः डॉ० शैलेद्र कुमार मिश्र, मानवशास्त्र विभाग, इलाहाबाद विश्वविद्यालय, प्रयागराज, संगोष्ठी के चतुर्थ सत्र में "हिन्दुत्व में साहित्य, कला और लोक की मानववादी संरचना" विषय के अन्तर्गत अध्यक्षता : प्रो० राधेश्याम सिंह, अध्यक्ष, हिन्दी विभाग, के एन आई पी एस एस. सुलतानपुर, सह अध्यक्षः प्रो० रीना पाठक, प्राचार्य, शिवहर्ष किसान पी०जी० कालेज, बस्ती, मुख्य वक्ताः डॉ० इन्द्रमणि कुमार,अध्यक्ष, हिन्दी विभाग, राणा प्रताप पी०जी० कालेज, सुलतानपुर रहे जिसमें जिसमें समी वनरवाल, पश्चिमी चम्पारण बिहार के द्वारा शोध पत्र वाचन किया गया। संगोष्ठी के पंचम् सत्र के अन्तर्गत "हिन्दुत्व की मानववादी शिक्षा प्रणाली" विषय पर परिचर्चा की गयी जिसकी अध्यक्षता प्रो० एस० पी० सिंह वत्स, प्राचार्य, ए एन डी टी टी कालेज, सीतापुर, उ०प्र०, सह अध्यक्ष प्रो० रमेश कुमार, अध्यक्ष, प्राचीन इतिहास विभाग, श्री महंथ रामाश्रय दास पी०जी० कालेज, भुड़कुड़ा, गाजीपुर, मुख्य वक्ताः डॉ० आशीष कुमार उपाध्याय, शिक्षा संकाय, डॉ० शकुन्तला मिश्रा राष्ट्रीय पुनर्वास विश्वविद्यालय लखनऊ, संगोष्ठी के अन्तिम सत्र षष्ठम् सत्र का आयोजन "हिन्दुत्व और महिला सशक्तिकरण" विषय पर किया गया। जिसकी अध्यक्षता : प्रो० कविता सिंह,प्राचीन इतिहास विभाग, का० सु० साकेत पी०जी० कालेज, अयोध्या, सह अध्यक्ष प्रो गेलजी भाटिया, हिन्दी विभाग, गुजरात विद्यापीठ अहमदाबाद, गुजरात, मुख्य वक्ताः डॉ० प्रियंका सिंह, प्राचीन इतिहास विभाग, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय, वाराणसी, द्वारा किया गया।
संगोष्ठी के समापन के अवसर पर डॉ राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय अयोध्या के पूर्व कुलपति प्रतिनिधि व पूर्व चीफ प्रॉक्टर व प्राचीन इतिहास विभागाध्यक्ष प्रो अजय प्रताप सिंह,अध्यक्ष : प्रो. अजय प्रताप सिंह, वीर बहादुर सिह पूर्वाचल विश्वविद्यालय, जौनपुर के शिक्षा संकाय के डीन प्रो. अजय कुमार दूबे, बाबा साहेब भीमराव अम्बेडकर केन्द्रीय विश्वविद्यालय, लखनऊ के प्रो. रिपु सूदन सिंह, नव नालन्दा विश्वविद्यालय विहार (संस्कृति मंत्रालय) के डॉ. राजेश कुमार मिश्रा, प्रसिद्ध होम्योपैथिक चिकित्सक व समाजसेवी रमाशंकर मिश्रा सहित बड़ी संख्या में शोध छात्र व छात्राएं उपस्थिति रहे। संगोष्ठी सचिव डॉ समीर पाण्डेय के द्वारा दो द्विवसीय संगोष्ठी की संक्षिप्त रूपरेखा प्रस्तुत की गयी। सभी अतिथियों को प्रतीक चिन्ह व अंगवस्त्र के साथ सम्मानित किया गया। कार्यक्रम का समापन महाविद्यालय प्रबन्धक सौरभ त्रिपाठी के आशीर्वचन एवं प्राचार्य प्रो आर एन सिंह के द्वारा आये हुए सभी आगन्तुको व विद्वत्तजनो के प्रति आभार ज्ञापन के साथ सम्पन्न हुआ। संगोष्ठी का संचालन डॉ सतीश सिंह के द्वारा किया गया।
एक टिप्पणी भेजें
If you have any doubts, please let me know