उतरौला बलरामपुर विकास मंच अध्यक्ष आदिल हुसैन ने शनिवार को आयोजित संपूर्ण समाधान दिवस पर मांग पत्र सौंप कर उतरौला नगर में राजस्व विभाग के भूमि व भवन में संचालित राजकीय बालिका इंटर कालेज को शिक्षा विभाग को हस्तांतरित करने व जर्जर भवन को ढहाकर नया कालेज भवन बनाए जाने की मांग किया है।
आदिल हुसैन ने बताया कि ब्रिटिश पीरियड के दौरान बने भवन में संचालित राजकीय बालिका इंटर कॉलेज शासन-प्रशासन की उपेक्षा का शिकार है।
जान जोखिम में डालकर छात्राएं जर्जर भवन में पढ़ने को मजबूर हैं। लगभग 166 साल पुराना भवन इतना जर्जर हो चुका है कि कभी भी कोई बड़ी घटना हो सकती है।
राजकीय बालिका इंटर कॉलेज उतरौला शहर के बीचों-बीच में स्थित है। यह नगर का इकलौता राजकीय बालिका इंटर कॉलेज है। जहां सैकड़ों की संख्या में छात्राएं शिक्षा ग्रहण कर रही है। परन्तु इसका जर्जर भवन छात्राओं के लिए मुसीबत का सबब बन गया है। 1857 में बने इस भवन को लगभग डेढ़ सौ साल से अधिक बीत चुके हैं। इस भवन में पहले तहसील का कार्य चल रहा था। श्यामा प्रसाद मुखर्जी चौराहा के पास तहसील भवन बनने के बाद इस पुराने भवन में राजकीय बालिका इंटर कॉलेज स्थापित है। खपरैल के ऊपर घास-फूस उगा होने से विषैले जीव-जंतुओं की भरमार बना रहता है। भूमि व भवन को शिक्षा विभाग में हस्तांतरित करने की मांग काफी अरसे से चल रहा हैं। लेकिन शासन-प्रशासन की ओर से इस भवन को हस्तांतरित करने में शिथिलता बरती जा रही है। राजस्व विभाग से शिक्षा विभाग को भवन हस्तांतरित न होने के कारण नव भवन निर्माण हेतु शिक्षा विभाग द्वारा भेजी गई धनराशि को मजबूरन विभाग को वापस भेजना पड़ता है। राजकीय कन्या इंटर कालेज में अध्यापिकाओं की कमी व जर्जर भवन छात्राओं के लिए बड़ी परेशानी बनी हुई है। पुराने तहसील भवन में चल रहे, इस स्कूल में शिक्षक व प्रवक्ताओं की कमी है। खपरैल की छतों वाले शिक्षण कक्ष छात्राओं के लिए खतरे का सबब बने हुए हैं। इस पुराने भवन में
वर्ष 1998 में विद्यालय को संचालित किया जा रहा है।इस विद्यालय को नए सिरे से बनाए जाने की कवायद में अधिकारियों व जनप्रतिनिधियों की उदासीनता आड़े आ रही है। कक्षा छह से इंटरमीडिएट तक संचालित इस विद्यालय में सैकड़ों छात्राएं पंजीकृत हैं।
पुराना व जर्जर भवन होने के कारण अक्सर विषैले जीव जंतु कक्षाओं में भ्रमण करते हैं। बारिश के दौरान छत की लकड़ियां व खपरैल के टुकड़े टूटकर गिरते रहते हैं। स्कूल में प्रयोगशाला व कंप्यूटर प्रशिक्षक भी नहीं हैं।
स्कूल भवन का राजस्व विभाग से शिक्षा विभाग के नाम ट्रांसफर न होने के कारण निर्माण नहीं हो पा रहा है।
भवन निर्माण के लिए आए पौने दो करोड़ रुपये पिछले वित्तीय वर्ष में विभाग को वापस भेज दिए गए थे। सीमित शिक्षकों के सहारे किसी तरह आवश्यक विषयों की शिक्षा दी जा रही है।
असगर अली
उतरौला
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