एक आदिवासी लड़की की संघर्ष गाथा है शांतला - महेश भट्ट
चिकमंगलूर की एक आदिवासी लड़की के संघर्षों पर आधारित फिल्म शांतला बनकर तैयार है और यह फ़िल्म हिंदी, मराठी, तमिल, तेलुगु ,कन्नड़ और मलयालम में कल यानी 15 दिसम्बर को रिलीज़ के लिए शेड्यूल की गई है। इस फ़िल्म को लेकर मुम्बई में बीते दिनों एक प्रेस कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया गया जिसमें फ़िल्म की टॉप यूनिट के साथ बॉलीवुड के बड़े ही नामचीन लोग शामिल हुए । इस अवसर पर उपस्थित फ़िल्म निर्माता निर्देशक महेश भट्ट ने फ़िल्म शांतला के बारे में बात किया और इस फ़िल्म की पूरी यूनिट को शुभकामनाएं दिया । महेश भट्ट ने फ़िल्म निर्माता के एस रामाराव के बारे में बात करते हुए बताया कि इनका हमारी ज़िंदगी मे बहुत बड़ा रोल रहा है , इनके साथ मिलकर हमने कुछ बेहतरीन फिल्में बनाई थी ,एक फ़िल्म थी क्रिमिनल जो कि काफी बड़ी हिट फिल्म साबित हुई थी । रामाराव जी ने एक फ़िल्म बनाई थी एमएम क्रीम जो कि ऑस्कर जीतकर पूरे देश का नाम दुनियाभर में रौशन किया था । महेश भट्ट ने शांतला फ़िल्म के निर्देशक सिस्सू पेडिरेड्डी के बारे में बात करते हुए बताया कि ये कुछ सालों पहले हमारे असिस्टेंट रह चुके हैं और ये एक बेहतरीन निर्देशक का सोंच रखते हैं । इनकी बनाई हुई फ़िल्म शांतला एक बेहतरीन फ़िल्म है और इस फ़िल्म में हमने महसूस किया है कि यह फ़िल्म एक औरत के संघर्ष की कहानी है । और हम हम सबने महसूस भी किया है कि हमारे देश में तो महिलाओं ने आज़ादी के पहले से ही संघर्ष करना शुरू कर दिया था । यह एक फीमेल इवेंसीपेशन की कहानी है,ये औरतों के सपनो की कहानी है , यह एक ऐसी आदिवासी लड़की की कहानी है जिसने अपने संघर्ष की गाथा से एक उदाहरण सेट किया है , इसने दिखाया है कि यह ऐसे जगह भी संघर्ष कर सकती है जहां हम कल्पना भी नहीं कर सकते । फिर इसमें हीरो का भी जो किरदार है वो काफी बेहतरीन है , क्योंकि मेरा मानना है कि जब तक मर्द शामिल नहीं होता औरत के इवेंशिपेशन में तब तक वो संघर्ष पूरा नहीं माना जा सकता । तो मेरे लिए ये एक लाइफ इफरमिंग रहस्य है और खुशी इसलिए भी है कि यह इतने भाषाओं में बन रही है जहां कभी हम ये सोंच भी नहीं सकते थे कि हमारी फ़िल्म एकसाथ इतने लोगों तक उनकी भाषाओं में पहुच भी सकती है। औऱ खासकर यह कहानी जो कि एक आदिवासी लड़की के संघर्ष की कहानी है इसे तो हर किसी के पास पहुँचनी ही चाहिए । इसकी बहुत आवश्यकता है हमारे मुल्क में , क्योंकि इवेंशिपेशन का सपना केवल शहर की औरतों का हक़ नहीं है , यह हमारे देश के हर कोने में रहने वाली औरत , लड़की का अधिकार है कि वो अपनेआप को एकद्दम आज़ाद महसूस करें , और यह कहानी इसबात को इंडोर्स करती है । अब बात करें इस फ़िल्म में अश्लेषा ठाकुर के प्रदर्शन की तो इन्होंने इस फ़िल्म के लिए काफी मेहनत किया है । महेश भट्ट आगे कहते हैं कि इस फ़िल्म में हमने देखा कि सिस्सू ने गाने में एक बेहद लंबा वाइड शॉट लिया है जो अमूमन कोरियोग्राफर नहीं लेते हैं और इसमें छोटे छोटे कट्स लगाकर अभिनेताओं की मदद ही करते हैं लेकिन इसमें अश्लेषा ने बेहद गर्म मौसम में एक उमस के माहौल में वन टेक लम्बा शॉट दिया है जो काफी इंस्पायरिंग है । इतना संघर्ष, इतना डेडिकेशन इतनी मेहनत आज की जो ये नई पीढ़ी कर रही है यही इनका अचीवमेंट है जो इन्हें काफी आगे तक ले जाएगा । यदि इस प्रदर्शन के लिए इन्हें नम्बर देना हो तो हम इन्हें 1000% मार्क्स देते हैं ।
इंडो अमेरिकन आर्ट्स के बैनर तले बनी फिल्म शांतला के निर्माता हैं डॉक्टर इरैंकि सुरेश, निर्देशक सिस्सू पेडिरेड्डी, सलाहकार हैं के एस रामाराव , सिनेमेटोग्राफी किया है आर रमेश ने । फ़िल्म शांतला के प्रेजेंटर हैं इरैंकि सुब्बालक्ष्मी , जबकि संवाद लिखे हैं साई माधव बुर्रा ने । फ़िल्म शांतला में कर्णप्रिय संगीत दिया है विशाल चंद्रशेखर ने वहीं गीत लिखे हैं भास्कर भाटला,श्रीमेंनी और कृष्ना कांत ने। इन फ़िल्म के गीत आदित्या म्यूजिक पर सुने जा सकते हैं । फ़िल्म में अश्लेषा ठाकुर के साथ अभिनय किया है निहाल, विनोद कुमार, वीणा नायर, मंजू भार्गवी , दीपक , रेखा निरोशा, फाल्गुनी, आनंद चक्रपाणी, व शिव पार्वती इत्यादि ने ।
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