उतरौला बलरामपुर विकास खण्ड गैडास बुजुर्ग क्षेत्र के ग्राम नन्दौरी निवासी 
कृष्ण कुमार ने मुख्यमंत्री, पुलिस महानिदेशक, जिलाधिकारी, व पुलिस अधीक्षक सहित अन्य कई आला अधिकारियों को पत्र भेजकर थाना कोतवाली उतरौला अन्तर्गत ग्राम छिपिया के निवासनी रजनी के पी तथा लेखा के पी पत्नी अज्ञात पर मुकदमा पंजीकृत किए जाने की मांग की है।
कृष्ण कुमार ने बताया कि ये दोनो आपस में सगी बहन है। तथा दोनों साथ मिलकर डुमरियागंज रोड पर छिपिया गांव में  पिछले कई वर्षों से फर्जी डिग्री पर गैर पंजीकृत शिफा क्लीनिक  संचालित कर रही थी। इस अस्पताल में इलाज के दौरान इलाज एक शिशु की मृत्यु हो गयी थी, जिसमें रजनी केपी के विरूद्ध उतरौला थाना में मुकदमा पंजीकृत हुआ था। उक्त मामले को लेकर पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था। रजनी के पी लगभग एक वर्ष तक जेल में बन्द थी। इस दौरान उसकी बहन लेखा के पी ने प्रार्थी के पास फोन कर कहा कि रूपये के अभाव में मुकदमें की पैरवी नही हो पा रही है। रजनी के पी अपना मकान/अस्पताल बेचना चाहती है ।अगर आपको लेना हो तो जेल मे उसकी बहन से मुलाकात कर लो। प्रार्थी ने जाकर विपक्षी से जेल में मुलाकात की। वहां पर रजनी ने कहा कि मुझे रूपयों की सख्त जरूरत है, इसलिए मैं अपना मकान/अस्पताल 50 लाख रूपये में बेचना चाहती हूँ। रजनी ने प्रार्थी कृष्ण कुमार से कहा कि मुझे 10 लाख रूपया दे दीजिये जेल से छूटकर आपको बैनामा कर दूगी। तथा इसके बावत आप कोई लिखा-पढ़ी चाहते हो तो मैं तैयार हूँ। बाकी बात आप मेरी बहन से कर लीजिएगा।तथा पैसा उसी को दे देना, क्योकि मुकदमे की पैरवी वही करती है। रजनी के कहने पर प्रार्थी ने रजनी की बहन लेखा के पी को पाँच लाख रूपये नगद दे दिया हू। जिसकी वीडियो रिकार्डिंग रूपया देते समय मौजूद है। तथा पाँच लाख रूपया लेखा के पी ने अपने खाते में एवं एक सहयोगी के खाते में डलवाया था। पैसा डालवाने के उपरान्त लेखा के पी प्रार्थी को लेकर रजनी से जेल में मुलाकात कराने के लिए ले गयी। जहाँ प्रार्थी ने रजनी को बताया कि आपके कहने पर 10 लाख रूपया लेखा को दे दिया हूं। जिस पर रजनी ने कहा कि ठीक है, अब और पैसा मत दीजियेगा। मेरी जमानत होने के बाद मै आकर अपना मकान/अस्पताल का बैनामा कर दूंगी। तथा मकान की चाभी मेरी बहन के साथ में जाकर कैशराम से लेकर मकान अपने कब्जे में ले लेना। लेखा के पी ने कैशराम से चाभी दिलाकर मकान को काबिज करा दिया। प्रार्थी ने मकान पर अपना ताला लगाकर अपने कब्जे में ले लिया। 18 जुलाई को जब रजनी के पी जमानत पर बाहर आ गयी। तब प्रार्थी ने मकान का बैनामा करने के लिए कहा। तो रजनी के पी ने कहा कि मकान का मुझे ज्यादा पैसा मिल रहा है। और अब मकान मै आपको नही दूंगी। आपका पैसा तीन महीने के अन्दर वापस कर दूंगी। प्रार्थी इस पर भी तैयार हो गया। तीन माह पूरा होने के बाद भी पैसा नही मिला। वह समय का मांग करते हुए कहा कि 17 अक्टूबर के पहले आपको पैसा वापस कर दूंगी ।जिसकी रिकार्डिंग भी मौजूद है। दिनांक 21 अक्टूबर को समय करीब 11बजे दिन में सूचना मिली कि विपक्षी रज्जब व कुछ अज्ञात लोगो के साथ मकान का ताला तोड़कर अंदर घुसने का प्रयास कर रही है। जब मैं मौके पर  पहुंचा तो सब लोग वहां से भाग गए।
तय व शर्तों का पालन न कर कुछ दबंग व अराजक तत्वों से मिलकर मकान पर कब्जा करने का प्रयास कर रही है। विपक्षियों के द्वारा पीड़ित से मिलकर धोखा धडी करके मेरे रूपये को हड़प लेना चाहते है।
असगर अली
उतरौला 

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