आकांक्षी विकास खंडों की
तर्ज पर अब आकांक्षी नगरों को भी संवारेंगे सीएम फेलोज
योगी सरकार ने आकांक्षी
नगर योजना के तहत सीएम फेलोशिप प्रोग्राम का किया शुभारंभ
40 वर्ष तक
के प्रदेश के नागरिक सीएम फेलोशिप प्रोग्राम के लिए करा सकेंगे ऑनलाइन पंजीकरण
नागरिकों को नगरीय विकास, योजना, प्रबंधन
और मॉनिटरिंग में भागीदार बनाने वाला पहला राज्य बना यूपी
लखनऊ, 5 दिसंबर।
योगी सरकार ने आकांक्षी विकास खंड की तर्ज पर अब आकांक्षी नगरों में भी सीएम
फेलोशिप प्रोग्राम की शुरुआत कर दी है। सीएम योगी के निर्देश पर प्रदेश सरकार के
नगरीय विकास विभाग ने प्रदेश के विकास की दिशा में एक और कदम उठाते हुए आकांक्षी
नगर योजना के तहत 4 दिसंबर 2023 से सीएम फेलोशिप प्रोग्राम के
लिए ऑनलाइन पंजीकरण की शुरुआत की है। उत्तर प्रदेश आकांक्षी नगर योजना जैसी विकास
परियोजना शुरू करने वाला देश का पहला राज्य है। अब इस पहल के साथ ही, उत्तर
प्रदेश देश का पहला राज्य बन गया है जो युवाओं और नागरिकों को नगरीय विकास, योजना, प्रबंधन
और मॉनिटरिंग में सक्रिय भागीदार बनाने का मौका दे रहा है। उल्लेखनीय है कि योगी
कैबिनेट ने हाल ही में 20 हजार से एक लाख तक की आबादी वाले 100 छोटे
शहरों में मूलभूत शहरी विकास, शिक्षा, स्वास्थ्य, सामाजिक
संरचना के क्षेत्र में सुधार करते हुए रोजगार के नए अवसरों के सृजन के लिए
‘आकांक्षी नगर योजना’ को मंजूरी दी थी।
सफल फेलोज को मिलेगा अवसर
उत्तर प्रदेश की आकांक्षी
नगर योजना के तहत सीएम फेलोशिप प्रोग्राम महत्वपूर्ण कार्ययोजना है, जिससे
शहरी विकास, योजना, प्रबंधन
और मॉनिटरिंग में युवाओं को सक्रिय रूप से शामिल किया जाएगा। यह अवसर नागरिकों को
आत्मनिर्भर विचार, नवाचार और विकास में योगदान करने की शक्ति प्रदान
करता है, जो
प्रगति और विकास में सकारात्मक परिणामों की दिशा में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं।
यही नहीं बेहतर प्रदर्शन वाले सफल फेलोज को सरकारी क्षेत्र में प्लेसमेंट का अवसर
मिल सकता है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के मार्गदर्शन में, सीएम
फेलोशिप प्रोग्राम एक केवल कार्यक्रम नहीं है, यह युवाओं
के बीच उत्साह और प्रेरणा के बीच की कमी को समाप्त करने का मार्ग है। सीएम फेलोशिप
प्रोग्राम साझेदारी और कौशल विकास का एक नया अवसर प्रदान करते हुए, उत्तर
प्रदेश के नगरीय विकास में अहम भूमिका निभाएगा
ये होंगे योग्यता के
मानदंड
- सीएम
फेलोशिप प्रोग्राम के लिए आवेदक को संबंधित क्षेत्र में स्नातक या उच्चतर डिग्री
होनी चाहिए।
- आवेदकों
की अधिकतम आयु 40
वर्ष होनी चाहिए। साथ ही उन्हें हिंदी और अंग्रेजी में निपुण होना चाहिए
- आवेदकों
को कंप्यूटर के साथ ही सूचना और संचार प्रौद्योगिकी पर काम करने की योग्यता होनी
चाहिए।
यहां करा सकते हैं पंजीकरण
आवेदक ऑनलाइन पंजीकरण के
लिए नगरीय विकास विभाग की आधिकारिक वेबसाइट http://anyurban.upsdc.gov.in/ पर
जाकर आवेदन कर सकते हैं।
योजना के तहत इन क्षेत्रों
पर रहेगा मुख्य फोकस
-अर्बन
इंफ्रास्ट्रक्चर
-सोशल
इंफ्रास्ट्रक्चर
-अर्बन
लोकल गवर्नेंस
-इकॉनमिक
ऑपर्च्युनिटी
-क्लाइमेट
एंड डिजास्टर रेजिलिएंस
---------------------------------------------------------------------------
जाति के नाम पर विलाप करने
वाले लोग समाज और देश को कमजोर करते हैं: सीएम योगी
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ
ने मिशन रोजगार के अंतर्गत कार्यक्रम को किया संबोधित
बोले सीएम- लेक्चरर, असिस्टेंट
प्रोफेसर, एसोसिएट
प्रोफेसर और चिकित्सा शिक्षा से जुड़े कॉलेजों के प्रिंसिपल नियमित ओपीडी में
बैठें
सीएम योगी ने कहा- केस
स्टडी तैयार करने के साथ ही चिकित्सा शिक्षा में शोध को बढ़ावा दें शिक्षक
5 दिसंबर, लखनऊ।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि जाति के नाम पर विलाप करने वाले लोग समाज और
देश को कमजोर करते हैं। 2017 के पहले प्रदेश में इंसेफेलाइटिस से होने
वाली मौतें इनके चेहरों को बेनकाब करती थीं। 40 वर्षों
में इंसेफेलाइटिस से पचास हजार से अधिक बच्चों की मौतें हुईं, लेकिन
जाति-जाति करने वाले लोग वोट बैंक की राजनीति करते रहे, जो उनकी
संवेदनहीनता को प्रदर्शित करती है। आज उत्तर प्रदेश में इंसेफेलाइटिस पूरी तरह से
नियंत्रण में है। इससे होने वाली मौतों में 96 से 98 प्रतिशत
तक की कमी आई है। उन्होंने कहा कि चिकित्सा शिक्षा और आयुष से जुड़े लेक्चरर, असिस्टेंट
प्रोफेसर, एसोसिएट
प्रोफेसर और चिकित्सा शिक्षा से जुड़े कॉलेजों के प्रिंसिपल नियमित ओपीडी में
बैठें। जितने भी पेशेंट देखें, उनकी केस स्टडी तैयार करें। साथ ही चिकित्सा
शिक्षा में शोध को बढ़ावा दें।
सीएम योगी ने मंगलवार को
लोकभवन में 'मिशन
रोजगार' के
अंतर्गत आयोजित कार्यक्रम को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि 2017 के पहले
उत्तर प्रदेश में विकास की बात तो दूर, यहां के लोगों के सामने पहचान का
संकट था। साढ़े छह वर्षों में हमारी सरकार के द्वारा किए गए कार्यों का नतीजा है
कि आज यहां का व्यक्ति अपनी पहचान छिपाता नहीं है, बल्कि जो
यूपी का नहीं है, वह भी खुद को उत्तर प्रदेश का बताता है। सीएम योगी
ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के मार्गदर्शन में पिछले साढ़े छह वर्ष में
उत्तर प्रदेश ने अपनी स्वास्थ्य सेवाओं को काफी बेहतर किया है। 1947 से 2017 तक
प्रदेश में केवल 12 मेडिकल कॉलेज बन पाए थे। आज उत्तर प्रदेश में 65 मेडिकल
कॉलेज हैं, जिनमें
कई क्रियाशील भी हो चुके हैं।
सीएम योगी ने कहा कि
प्रदेश में डबल इंजन की सरकार होने की वजह से विकास की स्पीड कई गुना बढ़ गई है।
रायबरेली और गोरखपुर के एम्स ने कार्य करना प्रारंभ कर दिया है। आज प्रदेश में
एलोपैथ के साथ-साथ ट्रेडिशनल मेडिसिन को भी बढ़ावा दिया जा रहा है। भारत सरकार
द्वारा आयुष मंत्रालय के गठन के बाद उत्तर प्रदेश ने भी आयुष विभाग का गठन किया।
आज उत्तर प्रदेश के पास आयुष विश्वविद्यालय है, जो नए
कॉलेजों की मान्यता देने की कार्रवाई को तेजी के साथ आगे बढ़ा रहा है। उन्होंने
कहा कि पैरामेडिक्स और स्टाफ नर्स प्रदेश की स्वास्थ्य सेवाओं की बैकबोन हैं।
पेशेंट के साथ इनका व्यवहार ऐसा होना चाहिए कि ठीक होने के बाद पेशेंट उन्हें
हमेशा याद रखे। सीएम योगी ने कहा कि आज प्रदेश में मलेरिया, चिकनगुनिया, कालाजार
और डेंगू पूरी तरह से नियंत्रण में है। 2017 से पहले और उसके बाद के आंकड़ें
इसके गवाह हैं।
सीएम योगी ने कहा कि
प्रदेश की स्वास्थ्य सेवाओं की बेहतरी के लिए हमारी सरकार ने जो कार्य किए हैं
उसके परिणाम भी हम सबके सामने हैं। आयुष्मान भारत और मुख्यमंत्री जन आरोग्य योजना
के अंतर्गत प्रदेश के 10 करोड़ लोगों को पांच लाख रुपये का स्वास्थ्य
बीमा कवर दिया जा रहा है। डायलिसिस की सुविधा प्रदेश के 72 जनपदों
में उपलब्ध करवाई जा चुकी है। हर जिले में आईसीयू स्थापित हो चुके हैं। बेहतरीन
स्वास्थ्य सुविधाओं को आगे बढ़ाने के क्रम में 108 और 102 की
एंबुलेंस सेवाओं के रिस्पांस टाइम को न्यूनतम स्तर पर लाने के प्रयास के अच्छे
परिणाम सामने आए हैं। उन्होंने कहा कि चिकित्सा शिक्षा के क्षेत्र में आमूलचूल
परिवर्तन के लिए श्रद्धेय अटल बिहारी वाजपेयी जी के नाम पर लखनऊ में अटल मेडिकल
यूनिवर्सिटी बन रही है।
सीएम ने वितरित किया
नियुक्ति पत्र
सीएम योगी ने मिशन रोजगार
के तहत निष्पक्ष एवं पारदर्शी चयन प्रक्रिया के माध्यम से 278 सहायक
आचार्य, 2142
स्टाफ नर्स,
48 आयुष चिकित्सा शिक्षकों को नियुक्ति पत्र वितरित किया। इस
दौरान उन्होंने प्रदेश की स्वास्थ्य सेवा को और बेहतर बनाने के लिए आपातकालीन
एंबुलेंस सेवा के अंतर्गत 674 एम्बुलेंस एवं 81 एडवांस
लाइफ सपोर्ट (एएलएस) एम्बुलेंस को हरी झंडी भी दिखाई।
कार्यक्रम में उप
मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक, आयुष राज्यमंत्री दयाशंकर मिश्र 'दयालु', चिकित्सा
शिक्षा राज्य मंत्री मयंकेश्वर शरण सिंह, मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्र, प्रमुख
सचिव चिकित्सा शिक्षा पार्थ सारथी सेन शर्मा, प्रमुख
सचिव आयुष लीना जौहरी और अन्य गणमान्य लोग मौजूद रहे।
----------------------------------------------
योगीराज में हुई
पारदर्शिता का परिणाम है कि युवाओं का भविष्य 'मंगल' है
मिशन रोजगार
सीएम योगी आदित्यनाथ ने
लोकभवन में मंगलवार को 278 सहायक आचार्य, 2142 स्टाफ
नर्स व 48
आयुष चिकित्सा शिक्षकों को दिया नियुक्ति पत्र
पारदर्शिता से मिली नौकरी, युवाओं ने कहा- चिकित्सा जगत में
कर्म के साथ रोगियों की सेवा ही लक्ष्य
तीन दिन के भीतर दूसरी बार
आयोजित किया गया नियुक्ति पत्र वितरण समारोह
लखनऊ, 5 दिसंबरः
उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ सरकार की देन है कि नौकरियां सिर्फ और सिर्फ
पात्रता और पारदर्शिता के आधार पर ही मिल रही है। ऐसी धारणा के साथ मंगलमय भविष्य
की कामना पूरी होने पर नवचयनित युवा मुख्यमंत्री के प्रति आभार जता रहे हैं।
युवाओं का मानना है कि पारदर्शिता से नौकरी मिली है, लिहाजा
अपने कार्य के प्रति पूरी हमारा भी दायित्व बढ़ गया है। हम पूरी तरह से कार्य के
प्रति समर्पित रहकर रोगियों की सेवा करेंगे। गौरतलब है कि मंगलवार को मुख्यमंत्री
योगी आदित्यनाथ ने लोकभवन व अन्य जिलों में जनप्रतिनिधियों के द्वारा नियुक्ति
पत्र वितरित किए गए। मंगलवार को कुल 278 सहायक आचार्य, 2142
स्टाफ नर्स व 48
आयुष चिकित्सा शिक्षकों को दिया नियुक्ति पत्र दिए गए। तीन दिन के भीतर सीएम योगी
ने दूसरी बार युवाओं को नियुक्ति पत्र सौंपा। रविवार को भी सीएम ने लोकभवन में 242 सहायक
बोरिंग टेक्नीशियन को नियुक्ति पत्र दिया था।
यहां बुलाकर नियुक्ति पत्र
देना गौरवान्वित करने वाला पल
डॉ. वेदप्रकाश उपाध्याय ने
कहा कि नियुक्ति पत्र कॉलेज में भी दिया जा सकता था, लेकिन
यहां बुलाकर नियुक्ति पत्र देने से गौरव की अनुभूति हो रही है। मुख्यमंत्री योगी
आदित्यनाथ के उद्बोधन से प्रेरणा मिलती है कि मेहनत, इलाज के
साथ बच्चों की पढ़ाई पर भी ध्यान देना है। यह उद्बोधन हमें समर्पण की भावना के साथ
कार्य करने को लेकर प्रेरणा देता रहेगा।
नियुक्ति कोई भी हो, यूपी में
पारदर्शिता से ही मिलेगी
बाराबंकी की रहने वालीं
सरोजिनी देवी का चयन प्रतापगढ़ में स्टाफ नर्स पद पर हुआ है। कम समय में
पारदर्शिता के आधार पर नौकरी मिली। सरोजिनी कहती हैं कि किसी भी विभाग में
नियुक्ति हो, यूपी
में अब पारदर्शिता के आधार पर ही नौकरी मिलती है। इस प्रक्रिया के हम सभी कायल
हैं।
निष्पक्ष चयन के लिए जताया
आभार
नियुक्ति पत्र पाने वालीं
डॉ. अंजलि चौधरी का चयन असिस्टेंट प्रोफेसर सुल्तानपुर में हुआ है। निष्पक्ष रूप
से चयन के लिए उन्होंने प्रधानमंत्री व मुख्यमंत्री को धन्यवाद दिया। अंजलि ने कहा
कि निष्पक्ष प्रक्रिया के आधार पर मिली भर्ती से हमारा आत्मविश्वास बढ़ा रहता है और
नित नया करने की प्रेरणा मिलती है।
अब हमारी भी जिम्मेदारी
बढ़ गई है
नियुक्ति पत्र लेने पहुंचे
मो. फैजान अंसारी की नियुक्ति असिस्टेंट प्रोफेसर कानपुर देहात के पद पर हुई है।
वे नियुक्ति प्रक्रिया की निष्पक्षता के कायल हैं। उन्होंने इसके लिए योगी सरकार के
प्रति आभार जताया। फैजान ने कहा कि ईमानदारी से हुई नियुक्ति प्रक्रिया ने हमारी
भी जिम्मेदारी बढ़ा दी है। हमें मेहनत से काम करके अच्छे परिणाम देने हैं।
गर्व है हमें, निष्पक्षता
से हुआ चयन
देवरिया की रहने वाली
श्वेता सिंह नियुक्ति पत्र पाकर फूले नहीं समा रही थीं। इनका चयन बस्ती में हुआ
है। हम गर्व से कह रहे हैं कि बिना किसी सिफारिश सिर्फ और सिर्फ निष्पक्षता से चयन
के आधार पर नौकरी मिली है। यूपी में सिर्फ पात्रता ही चयन का पैमाना है। इस पैमाने
पर उतरने पर ही हमें नौकरी मिली। इसके लिए योगी सरकार का धन्यवाद।
--------------------
उत्तर प्रदेश में 1000
अत्याधुनिक बसों के जरिए रोडवेज परिवहन का परिदृष्य बदलेगी योगी सरकार
-सीएम
योगी के विजन अनुसार उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम (यूपीएसआरटीसी) बस बेड़े
के सुदृढ़ीकरण की प्रक्रिया को देगा गति
-इस क्रम
में वित्तीय वर्ष 2023-24 में कुल 400 करोड़
रुपए होंगे खर्च, दूसरी किस्त के तौर पर 200 करोड़
रुपए हुए जारी
-धनराशि
जारी होने से अत्याधुनिक बसों की खरीद व फ्लीट में शामिल होने की प्रक्रिया में
आएगी तेजी, पुरानी
बसों के रखरखाव व मरम्मत प्रक्रिया को भी मिलेगी रफ्तार
लखनऊ, 5 दिसंबर।
उत्तर प्रदेश की उन्नति का मार्ग प्रशस्त कर रही योगी सरकार ने प्रदेश में रोडवेज
बसों को अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस करने व नई 1000 बसों को
बेड़े में जोड़े जाने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। सीएम योगी के विजन के अनुसार, वर्ष 2023-24
में उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम (यूपीएसआरटीसी) के बेड़े में 1000
अत्याधुनिक बसों को जोड़े जाने के लिए 400 करोड़ रुपए का बजट स्वीकृत किया
गया था। ऐसे में, हाल ही में हुई कैबिनेट बैठक में बसों के बेड़े के
सुदृढ़ीकरण की प्रक्रिया को मंजूरी देते हुए अब 400 करोड़
रुपए के सापेक्ष दूसरी किस्त के तौर पर 200 करोड़ रुपए की धनराशि जारी कर दी
गई है। इससे पहले, पहली किस्त के तौर पर 200 करोड़
रुपए का धनवांटन किया जा चुका है। ऐसे में, कार्ययोजना
के क्रियान्वयन के लिए अवशेष धनराशि जारी होने के बाद अब अत्याधुनिक बसों की खरीद
व फ्लीट में शामिल होने की प्रक्रिया में तेजी आएगी, साथ ही
पुरानी बसों के रखरखाव व मरम्मत प्रक्रिया को भी गति मिलेगी।
उत्तर प्रदेश शासन की
रूलबुक के अनुसार प्रक्रिया की जाएगी पूरी
इन 1000 बसों के
क्रय व बेड़े में शामिल की जाने की प्रक्रिया को वित्तीय वर्ष 2023-24
के भीतर पूर्ण करने का टारगेट रखा गया है। इस संबंध में सभी क्रय व सुदृढ़ीकरण
प्रक्रिया को परिवहन आयुक्त की देखरेख में उत्तर प्रदेश शासन की रूलबुक के अनुसार
पूर्ण किया जाएगा। बसों के कार्बन उत्सर्जन को कम से कम रखने के लिए पर्यावरणीय
नियमों/ अधिनियमों व ईआईए अधिसूचना 2006 (संशोधित) के आधीन वांछित
पर्यावरणीय स्वीकृति प्राप्त करने, पर्यावरणीय नियमों व न्यायालयों के निर्गत
आदेशों के अनुपालन को भी सुनिश्चित किया जाएगा। खास बात यह है कि प्रक्रिया पूर्ण
होने के बाद प्रदेश में लोगों को यूपीएसआरटीसी की बसों में यात्रा करना न केवल
पहले की अपेक्षा सुविधापूर्ण व आरामजनक होगा बल्कि उन्हें सुखद यात्रा के नए अनुभव
भी प्रदान करेगा।
बॉक्स
राज्य परिवहन अपीलीय
न्यायाधिकरण के लिए भी धनराशि हुई जारी
वित्तीय वर्ष 2023-24 में
राज्य परिवहन अपीलीय न्यायाधिकरण के लिए भी कई कार्यों की पूर्ति व व्यय मद के लिए
धनावंटन की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। अनुपूरक बजट के माध्यम से प्रावधानित
धनराशि की सापेक्ष 82 लाख रुपए की धनराशि को प्रशासकीय व वित्तीय
स्वीकृति के बाद जारी कर दिया गया है। इस धनराशि का इस्तेमाल स्थानांतरण यात्रा
व्यय, गाड़ियों
के अनुरक्षण व पेट्रोल खरीद तथा पुनरीक्षित वेतन के अवशेष (राजकीय) के तौर पर किया
जाएगा। आवंटित की गई धनराशि को बजट मैनुअल व फाइनेंशियल हैंडबुक के नियमों के
अनुसार खर्च किया जाएगा।
-------------------------------------
यूपी में महिला संबंधी
अपराध में सजा दिलाने की दर राष्ट्रीय औसत से 180 प्रतिशत
से अधिक
- योगी
सरकार की जीरो टॉलरेंस नीति से देश के अन्य राज्यों और केंद्र शासित राज्यों के
तुलना में प्रदेश में गंभीर अपराधों में दर्ज की गई भारी गिरावट
- यूपी में
डकैती का क्राइम रेट शून्य तो हत्या के प्रयास में देश में 25वां
स्थान
- एनसीआरबी
के आंकड़ों के अनुसार, पॉक्सो एक्ट में अंडमान निकोबार का क्राइम रेट 97.1 प्रतिशत
लखनऊ, 5 दिसंबर:
प्रदेश में अपराध और अपराधियों के खिलाफ जीरो टॉलरेंस नीति के तहत ताबड़तोड़
कार्रवाई कर रही योगी सरकार ने एक बार फिर बड़ी उपलब्धि दर्ज की है। एनसीआरबी के
वर्ष 2022
के आंकड़ों से साबित हो गया है कि प्रदेश में अपराधियों के लिए कोई जगह नहीं है।
एनसीआरबी के आंकड़ों पर गौर करें तो देश में 35 लाख से
अधिक मुकदमे दर्ज किए गए जबकि यूपी में 4,01,787 ही मुकदमे हुए। पूरे देश के क्राइम
रेट 258.1
प्रतिशत के सापेक्ष यूपी का 171.6 प्रतिशत है जबकि देश में दर्ज मुकदमों के सापेक्ष यूपी में दर्ज
मुकदमों का रेश्यो 11.28 प्रतिशत रहा। देश के अन्य राज्यों और केंद्र शासित
राज्यों के मुकाबले यूपी दर्ज मुकदमों में 20वें
स्थान पर है जबकि उत्तर प्रदेश पूरे देश में सबसे ज्यादा जनसंख्या वाला राज्य है।
इसका रेश्यो 16.89
प्रतिशत है, जो
यह दर्शाता है कि कई छोटे राज्यों की तुलना में यूपी में अपराधिक घटनाओं में काफी
कमी आई है। इसके अलावा महिला संबंधी अपराधों में सजा दिलाने में यूपी ने बड़े
राज्यों में बाजी मारी है।
यूपी से अधिक है झारखंड का
क्राइम रेट
एनसीआरबी के आंकड़ों के
अनुसार देश में हत्या के 28,522 मुकदमे दर्ज किए गए, जिसका
क्राइम रेट (प्रति एक लाख जनसंख्या के सापेक्ष अपराधों की संख्या को अपराध दर के
रूप में परिभाषित किया गया) 2.1 प्रतिशत है। उत्तर प्रदेश में हत्या के 3,491 मुकदमे
दर्ज किए गए हैं, जिसका क्राइम रेट 1.5 प्रतिशत
है। ऐसे में हत्या के मामले में यूपी 28 वें स्थान पर है। वहीं उत्तर
प्रदेश से अधिक झारखंड में हत्या का क्राइम रेट 4 प्रतिशत, अरुणाचल
प्रदेश का क्राइम रेट 3.6 प्रतिशत और छत्तीसगढ़, हरियाणा
का 3.4
प्रतिशत है। इसी तरह देश में हत्या के प्रयास के 57,256 मुकदमे
दर्ज किए गए, जिसका
क्राइम रेट 4.1
प्रतिशत है। उत्तर प्रदेश में हत्या के प्रयास के 3,788 मुकदमे
दर्ज किए गए, जिसका
क्राइम रेट 1.6
प्रतिशत के साथ पूरे देश में यूपी 25 वें स्थान पर है। इसी तरह देश में शीलभंग के 83,344
मुकदमे दर्ज किए गए, जिसका क्राइम रेट 12.4 प्रतिशत
है। यूपी में शीलभंग के 10,548 मुकदमे दर्ज किए गए, जिसका
क्राइम रेट 9.4
प्रतिशत के साथ पूरे देश में यूपी 17 वें स्थान पर है। वहीं यूपी से अधिक उड़ीसा
में शीलभंग का क्राइम रेट 32 प्रतिशत, केरल का 26.6 प्रतिशत
और जम्मू कश्मीर का 24.9 प्रतिशत है। देश में फिरौती के अपहरण के 615 मुकदमे
दर्ज किए गए जबकि उत्तर प्रदेश में महज 30 मुकदमे दर्ज किए गए। ऐसे में
फिरौती के अपहरण के मुकदमे के मामले में यूपी 30 वें
स्थान पर है।
अंडमान में पॉक्सो एक्ट का
क्राइम रेट 97.1
प्रतिशत
देश में दुष्कर्म के 31,516
मुकदमे दर्ज किए गए, जिसका क्राइम रेट 4.7 प्रतिशत
है। यूपी में दुष्कर्म के 3,690 मुकदमे दर्ज किए गए, जिसका
क्राइम रेट 3.3
प्रतिशत के साथ यूपी देश में 24वें स्थान पर है। वहीं यूपी से अधिक उत्तराखंड
में दुष्कर्म का क्राइम रेट 15.4 प्रतिशत, चंडीगढ़
में 13.9
प्रतिशत और राजस्थान 13.9 प्रतिशत है। इसी तरह देश में बलवा के 57,082
मुकदमे दर्ज किए गए, जिसका क्राइम रेट 4.1 प्रतिशत
है। उत्तर प्रदेश में बलवा के 4,745 मुकदमे दर्ज किए, जिसका
क्राइम रेट 2
प्रतिशत के साथ देश में 24वें स्थान पर है। देश में नकबजनी के 1,07,222
मुकदमे दर्ज किए गए है, जिसका क्राइम रेट 7.8 प्रतिशत
है। यूपी में नकबजनी के 6,906 मुकदमे दर्ज किए गए, जिसका
क्राइम रेट 3
प्रतिशत है। इसी के साथ यूपी नकबजनी के मामले में देश में 31 वें
स्थान पर है। वहीं देश में लूट के 28,356 मुकदमे दर्ज किए गए, जिसका
क्राइम रेट 2.1
प्रतिशत है। यूपी में 1,975 मुकदर्म दर्ज किए गए, जिसका
क्राइम रेट 0.8
प्रतिशत के साथ यूपी देश में 27वें स्थान पर है जबकि यूपी से अधिक लूट में
दिल्ली का क्राइम रेट 8.6 प्रतिशत, उड़ीसा
का 6.5
प्रतिशत है। देश में डकैती के 2,666 मुकदमे दर्ज किए गए, जिसका
क्राइम रेट 0.2
प्रतिशत है। यूपी में डकैती के 80 मुकदमे दर्ज किए गए, जिसका
क्राइम रेट शून्य के साथ 31वें स्थान पर है। यूपी से अधिक उड़ीसा में
डकैती का क्राइम रेट 0.9 प्रतिशत, मेघालय में 0.5 और
चंडीगढ़ में 0.4
प्रतिशत है। देश में पॉक्सो एक्ट के तहत 63,414 मुकदमे
दर्ज किए गए हैं, जिसका क्राइम रेट 14.3 प्रतिशत
है। यूपी में पॉक्सो एक्ट के तहत 8,136 मुकदमे दर्ज किए गए हैं, जिसका
क्राइम रेट 9.5
प्रतिशत के साथ यूपी देश में 25वें स्थान पर है। वहीं यूपी से अधिक अंडमान
निकोबार का क्राइम रेट 97.1 प्रतिशत, लक्षद्वीप
का 55.3
प्रतिशत और सिक्किम का 50 प्रतिशत है।
बॉक्स
यूपी में वर्ष 2022 में 70.8 प्रतिशत
महिला संबंधी अपराधों में दिलायी गई सजा
उत्तर प्रदेश में जहां एक
ओर गंभीर अपराधिक मामलों में गिरावट दर्ज की गई है, वहीं
दूसरी ओर प्रदेश में महिला संबंधी अपराध में सजा दिलाने की दर राष्ट्रीय औसत से 180 प्रतिशत
से अधिक दर्ज की गई है। एनसीआरबी के आंकड़ों के अनुसार देश का महिला संबंधी अपराध
में सजा दिलाने की राष्ट्रीय औसत दर 25.3 प्रतिशत है। वर्ष 2022 की
रिपोर्ट के अनुसार उत्तर प्रदेश में 70.8 प्रतिशत महिला संबंधी अपराधों में
सजा दिलायी गई है। वहीं मिजोरम में 68 प्रतिशत, बिहार
में 60.9 प्रतिशत, छत्तीसगढ़
में 59.5 प्रतिशत
और मणिपुर में 56.4
प्रतिशत
महिला संबंधी अपराधों में सजा दिलायी गई है।
एक टिप्पणी भेजें
If you have any doubts, please let me know