हरदोई। स्वच्छ भारत निर्माण के सपनों को चकना चूर करने के लिए जिम्मेदार कौन – नगर पालिका या प्रशासनिक अधिकारी? आपको बता दें कि शहर के मुख्य मार्ग पर नगर पालिका के द्वारा बने कूड़ाघरों में जितना कूड़ा अंदर नहीं होता है उससे कई गुना कूड़ा कूड़ेदान के बाहर बिखरा रहता है। लेकिन पालिका अफसर इसे लेकर गंभीर नहीं हैं।
किसानो को 10 हजार का जुर्माना
सबसे बड़ी बात ये है कि गरीब किसानो पर पराली जलाने पर किसानो को तत्काल 10 हजार का जुर्माना कर दिया जा रहा है पर शहर के अंदर रिहायशी बस्ती में बने कूड़ाघरों में कूड़ा जलता रहता है। क्या प्रतिदिन कूड़े में आग लगने से आसपास का वातावरण प्रदूषित नहीं हो रहा है? इस पर नगर पालिका पर जुर्माना कौन करेगा?
जबकि जिले में बढ़ते प्रदूषण का संज्ञान लेकर एनजीटी ने अफसरों को कड़े निर्देश दिए थे कि कूड़े व प्लास्टिक में आग न लगाई जाए। इसके बावजूद लगातार बिगड़ती स्थिति से लोग परेशान हैं।
नगर पालिका की ओर से लापरवाही
वहीं कई क्षेत्र ऐसे भी हैं जहां सफाई कार्य में नगर पालिका की ओर से लापरवाही सामने आ रही है। क्षेत्र के लोगों का कहना है कि नपा द्वारा ध्यान नही देने से सफाई व्यवस्था गड़बड़ाई हुई है। कचरा, गंदगी और आवारा जानवरों के कारण लोगों को परेशानी उठानी पड़ती है।
सवाल यह है कि जब शहर के मुख्य मार्ग के यह हाल हैं तो गलियों में क्या हालात होंगे। करोड़ो रुपए खर्च कर कूड़ाघर तो बन गए कि गंदगी न हो बीमारियाँ न पनपे पर स्थिति बिलकुल विपरीत है जिससे उठने वाले दुर्गंध से राहगीरों व दुकानदारों आदि को परेशान करती है। और शहरवासियों संक्रमित बीमारियों के फैलने का खतरा बना हुआ है। शहर की सफाई व्यवस्था को लेकर नगर पालिका द्वारा लापरवाही बरती जा रही है। ऐसे में नगर पालिका के जिम्मेदारों को सफाई व्यवस्था पर विशेष ध्यान देना चाहिए।
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