जौनपुर। मिठाइयों में हुई दीपावली पर जमकर मिलावट

जौनपुर। दिवाली का माहौल है। इस बीच बाजार में बिकने वाले मावा और मिठाइयों में जमकर मिलावट की गयी है। इस मिलावट वाली मिठाई खाने से स्वाथ्य पर गंभीर असर पड़ सकता है। ऐसी मिठाइयाँ खाने से आप और आपका परिवार बीमार पड़ सकता है। इस मिलावट से बचने के लिए कुछ लोग मिठाई की जगह चॉकलेट, ड्राई फ्रूट्स या फिर नमकीन और कुकीज गिफ्ट करने लगे हैं।  
         
दिपावली के सीजन में बाजारों में रंग-बिरंगी मिठाइयां खूब बिक रही हैं। इन मिठाइयों में हानिकारक रंग मिलाये जाते हैं। हालांकि, आपको रंग-बिरंगी मिठाइयां खरीदने से बचना चाहिए। खुद ही सोचें कि जितनी डिमांड है, उतने दूध का ही उत्पादन और सप्लाई नहीं हो पाती है तो इतना मावा और पनीर कहां से आएगा। जाहिर है कि हर गली, मोहल्ले में दुकानें सजाकर बेची जा रहीं मिठाइयों की गुणवत्ता तो शक के घेरे में है। खाद्य सुरक्षा विभाग हर त्योहार से पहले विभिन्न खाद्य पदार्थों के सैंपल एकत्र करने की औपचारिकता करता है, लेकिन विडंबना यह है कि इनकी रिपोर्ट ही त्योहार बीत जाने के दो से तीन महीने बाद आती हैं। 

अगर रिपोर्ट में आया कि मिठाइयों या कच्चे सामान के जितने भी सैंपल लिए गए थे, वे नकली या मिलावटी निकले, तो क्या फायदा। तब तक तो ऐसी मिठाइयां हमारे शरीर को कितना नुकसान पहुंचा चुकी होंगी। मिलावटी सामान से बना कोई भी सामान हमारे लिवर और किडनी पर घातक असर डालता है। सुप्रीम कोर्ट के सख्त निर्देशों और कई लोगों को सजा होने के बाद भी खाने-पीने के सामान में मिलावट पर लगाम नहीं लग पा रही है। कोर्ट के आदेश के बाद फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया लाल ने मिलावट करने पर उम्रकैद और 10 लाख रुपये जुर्माने का प्रस्ताव भी रखा। ड्राफ्ट में सिफारिश की गई कि अगर मिलावटी पदार्था के सेवन से कोई बीमार पड़ता है या शरीर को गंभीर नुकसान पहुंचता है तो दोषियों को कम से कम सात साल जेल की सजा होनी चाहिए और पीड़ित की मौत हो जाने पर आजीवन कारावास।  
           
खाद्य सुरक्षा के नियम इतने कमजोर हैं कि लोगों को खुलेआम जहर परोसा जा रहा है और कोई देखने वाला नहीं। जिस विभाग पर इसका जिम्मा है, वह भी त्योहारों से पहले ही छापेमारी की औपचारिकता निभाता है। बाकी साल भर हम क्या खा-पी रहे हैं, कोई देखने वाला नहीं। नियम इतने सख्त होने चाहिए कि कोई ऐसा करने की हिम्मत ही न कर पाए।, हमारे यहां आते ही कानून में ढिलाई का फायदा उठाने लगती हैं। अगर आप इन्हें खरीद रहे हैं तो मिठाई का एक टुकड़ा हाथ में लेकर चेक कर लें. अगर हाथ पर रंग लगे तो समझ लें कि काफी मात्रा में रंग मिलाया गया है। आज के समय में मावा में सबसे ज्यादा मिलावट पाई जाती है। इसका परीक्षण आसानी से किया जा सकता है। इसके लिए फिल्टर पर आयोडीन की 2 बूंदें डालें, अगर रंग काला पड़ने लगे तो इसे मिलावट समझें। अगर खोया बहुत ज्यादा दानेदार है तो यह मिलावटी हो सकता है। क्योंकि शुद्ध खोया काफी चिकना होता है। मिठाइयों पर लगाया जाने वाला वर्क मिलावटी और नकली भी हो सकता है। इसकी पहचान करने का तरीका यह है कि मिठाइयों पर लगे चांदी के वर्क को जला दें। यदि यह वास्तविक कार्य है तो जलकर छोटी गोली के समान हो जायेगा। यदि नकली कार्य है तो उसका रंग स्लेटी होगा। दिवाली पर मिठाइयों की इतनी डिमांड होती है कि कई दिन पहले ही मिठाइयां तैयार कर ली जाती हैं। अगर आप मिठाई खरीद रहे हैं तो पहले उसे चख लेना चाहिए। अगर किसी चीज का स्वाद खराब हो या मिठाई ज्यादा सख्त हो तो वह पुरानी या बासी हो सकती है।

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