भागवत कथा में श्रोताओं ने बढ़-चढ़कर मतदान करने का लिया संकल्प
शिवपुर अर्चनागांव में आयोजित विगत पाँच दिनों से जारी श्रीमद भागवत कथा के छटवे दिवस पं. विद्याधर उपाध्याय जी महाराज ने श्रोताओं को आगामी 17 नवम्बर को मध्यप्रदेश में होने वाले विधानसभा निर्वाचन में बढ़-चढ़कर मतदान करने की शपथ दिलाई। प्रवचन में उन्होंने राष्ट्र को सबसे बड़ा धर्म तथा मतदान को राष्ट्र के प्रति सबसे बड़ी जिम्मेदारी बताई।
श्री उपाध्याय जी ने कहा कि लोकतंत्र में हर नागरिक को वोट डालकर अपनी सरकार चुनने का अधिकार मिला है। संविधान की ओर से मिला यह सबसे बड़ा हथियार है। राष्ट्र को उन्नति के मार्ग पर ले जाने वाले योग्य उम्मीदवार का चयन करें। बिना किसी प्रलोभन में आए 17 नवम्बर को मतदान केंद्र पर पहुंच कर बढ़-चढ़कर वोट डालें। उन्होंने कहा कि राष्ट्र धर्म से बढ़कर दुनिया में कोई दूसरा धर्म नहीं है।
विवेकशील नागरिक राष्ट्र की उन्नति को प्राथमिकता में रखकर काम करते हैं। स्वयं सजग होकर मतदान करें। अपने गांव, समाज व क्षेत्र के लोगों को भी इसके लिए प्रेरित करें।
छटवे दिवस की कथा में भगवान श्रीकृष्ण और रुक्मणी के विवाह का प्रसंग सुनते हुए उन्होंने कहा कि धर्म के रास्ते पर चल कर ही मानव जीवन का कल्याण संभव है। उन्होंने लोगों से जीवन शैली बदल कर पूजा-पाठ, यज्ञ एवं धार्मिक अनुष्ठानों में हिस्सा लेने की अपील की। कथा में भगवान का मथुरा प्रस्थान, कंस का वध, महर्षि संदीपनी के आश्रम में विद्या ग्रहण करना, कालयवन का वध, उधव गोपी संवाद, ऊधव द्वारा गोपियों को अपना गुरु बनाना, द्वारका की स्थापना व रुकमणी विवाह के प्रसंग का संगीतमय भावपूर्ण पाठ किया गया।
इसके पश्चात रुक्मिणी मंगल प्रसंग सुनाया। रुक्मिणी मंगल प्रसंग के दौरान कथा स्थल पर श्री कृष्ण रूकमणी विवाह की सभी रस्में भजनों व झाकियों के माध्यम से दर्शाई गई जिसका सभी भक्तों ने आनंद लिया।
आओ मेरी सखियों मुझे मेहंदी लगा दो, मेहंदी लगाके मुझे ऐसा सजा दो, मुझे श्याम सुंदर की दुल्हन बना दो..सरीखे वैवाहिक मंगल गीतों के बीच रुक्मिणी ने भगवान श्रीकृष्ण के गले में वरमाला डाली। इस विवाह के साक्षी रहे श्रद्धालुओं ने पुष्पवर्षा कर श्रीकृष्ण - रुक्मिणी को उपहारों की सौगात दी। रूकमणी विवाह के आयोजन ने श्रद्धालुओं को झूमने पर मजबूर कर दिया। श्रीकृष्ण रुक्मिणी की बरमाला पर जमकर फूलों की बरसात हुई। महिला श्रद्धालुओं ने मंगल गीत गाए। कथा के महत्व को बताते हुए कहा कि जो भक्त प्रेमी कृष्ण रुक्मिणी के विवाह उत्सव में शामिल होते हैं उनकी वैवाहिक समस्या हमेशा के लिए समाप्त हो जाती है। कथा आयोजन समिति के सूरज मालवीय ने बताया कि व्यास पीठ से महाराज जी ने जब कंस वध प्रसंगों का चित्रण किया। तब कथा का लाभ ले रहे श्रद्धालुओं ने जय जय श्रीकृष्ण के जयकारें लगाए। कल सात दिवसीय कथा का समापन किया जाएगा। ओर प्रसादी वितरण किया जाएगा।
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