कलश यात्रा के साथ श्रीमद् भागवत कथा का प्रारंभ।

ग्राम अर्चनागांव में श्रीमद्भागवत कथा का आयोजन किया जा रहा है। गुरुवार के दिन कलश यात्रा के साथ कथा का प्रारंभ हुआ। जो 8 नवम्बर तक चलेगी। कथा का वाचन हरदा के प्रसिद्ध कथा वाचक पंडित श्री विद्याधर जी उपाध्याय,  के श्रीमुख से किया जा रहा है। कथा का शुभारंभ आज प्रातः 10 बजे से कलशयात्रा के साथ हुआ, ग्राम के विभिन्न मार्गों से कलश यात्रा निकाली गयी जो वापस कथा पंडाल में पहुँची। इसके पश्चात भागवत की कथा दोपहर 1 बजे से 4 बजे तक वाचन किया गया। जिसमे प्रथम दिवस की कथा का वाचन पंडित श्री विद्याधर उपाध्याय, द्वारा शुरू किया गया। उन्होंने कथा सुनाते हुए प्रथम दिवस उन्होंने धुंधकारी का प्रसंग सुनाते हुए राजा परीक्षित के जन्म एवं कलयुग के आगमन की कथा सुनाई और भगवान विष्णु के अलग-अलग अवतारों का जिक्र किया। श्रीमद्भागवत कथा की महत्ता पर विस्तार से प्रकाश डाला।उन्होंने कहा कि बिनु परतीती होई नहीं प्रीति अर्थात माहात्म्य ज्ञान के बिना प्रेम चिरंजीव नहीं होता, अस्थायी हो जाता है। धुंधकारी चरित्र पर प्रकाश डालते हुए कहा कि आत्मसात कर लेें तो जीवन से सारी उलझने समाप्त हो जाएगी। द्रौपदी, कुन्ती महाभागवत नारी है। कुन्ती स्तुति को विस्तारपूर्वक समझाते हुए परीक्षित जन्म एंव शुकदेव आगमन की कथा सुनाई। पश्चात गौकर्ण की कथा सुनाई गई। महाराज ने कहा कि भगवान की लीला अपरंपार है। वे अपनी लीलाओं के माध्यम से मनुष्य व देवताओं के धर्मानुसार आचरण करने के लिए प्रेरित करते हैं। श्रीमदभागवत कथा के महत्व को समझाते हुए कहा कि भागवत कथा में जीवन का सार तत्व मौजूद है आवश्यकता है निर्मल मन ओर स्थिर चित्त के साथ कथा श्रवण करने की। भागवत श्रवण से मनुष्य को परमानन्द की प्राप्ति होती है। भागवत श्रवण प्रेतयोनी से मुक्ति मिलती है। चित्त की स्थिरता के साथ ही श्रीमदभागवत कथा सुननी चाहिए। भागवत श्रवण मनुष्य केे सम्पूर्ण कलेश को दूर कर भक्ति की ओर अग्रसर करती है। उन्होंने अच्छे ओर बुरे कर्मो की परिणिति को विस्तार से समझाते हुए आत्मदेव के पुत्र धुंधकारी ओर गौमाता के पुत्र गोकरण के कर्मो के बारे में विस्तार से वृतांत समझाया ओर धुंधकारी द्वारा एकाग्रता पूर्ण भागवत कथा श्रवण से प्रेतयोनी से मुक्ति बताई तो वही धुंधकारी की माता द्वारा संत प्रसाद का अनादर कर छल.कपट से पुत्र प्राप्ती ओर उसके बुरे परिणाम को समझाया।मनुष्य जब अच्दे कर्मो के लिए आगे बढता है तो सम्पूर्ण सृष्टि की शक्ति समाहित होकर मनुष्य के पीछे लग जाती है ओर हमारे सारे कार्य सफल होते है। ठीक उसी तरह बुरे कर्मो की राह के दौरान सम्पूर्ण बुरी शक्तियॉ हमारे साथ हो जाती है। इस दौरान मनुष्य को निर्णय करना होता कि उसे किस राह पर चलना है। छल ओर छलावा ज्यादा दिन नहीं चलता। छल रूपी खटाई से दुध हमेशा फटेगा। छलछिद्र जब जीवन में आ जाए तो भगवान भी उसे ग्रहण नहीं करते है- निर्मल मन प्रभु स्वीकार्य है। छलछिद्र रहित ओर निर्मल मन भक्ति के लिए जरूरी है।  कथा में सैकड़ों महिला पुरुष ग्राम वासी उपस्थित थे।
ग्राम अर्चनागांव, शिवपुर तहसील सिवनी मालवा में कथा
रोजाना सात दिवस तक चलेगी जिसमे  
कथा का वाचन पंडित श्री विद्याधर जी उपाध्याय द्वारा किया जावेगा। आयोजक समिति के श्री जगदीश प्रसाद मालवीय द्वारा सभी धर्मप्रेमी जनता से रोजाना इस कथा का लाभ लेने हेतु निवेदन किया गया है। 

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