मुख्यमंत्री ने जनपद वाराणसी में पूज्य भाईजी अन्न क्षेत्र का उद्घाटन किया
अन्न ब्रह्म का स्वरूप, अन्न दान-पवित्र दान : मुख्यमंत्री
अन्नदान की महत्ता को एक भारतीय से ज्यादा और कोई नहीं समझ सकता
दृष्टिबाधित बच्चों के साथ काशी आने वाले श्रद्धालुओं
के लिए एक नये अन्न क्षेत्र का शुभारम्भ अत्यन्त सुखद
केंद्र और राज्य सरकार द्वारा दिव्यांगजन के
कल्याण के लिए अनेक कार्यक्रम व अभियान चलाए जा रहे
सनातन धर्म हमें हमेशा अपने पूर्वजों, परम्परा और समाज के लिए
योगदान देने वाले महापुरुषों के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने की प्रेरणा देता
भाईजी श्री हनुमान प्रसाद पोदद्दार ने संसाधनों के अभाव के
बावजूद सनातन धर्म के मूल्यों को देश व विदेश में पहुंचाने का कार्य किया
श्री हनुमान प्रसाद पोद्दार स्मृति सेवा ट्रस्ट ने
भाई जी की स्मृतियों को एक नई जीवंतता प्रदान की
मुख्यमंत्री ने फुलवरिया 04 लेन के निर्माण कार्य
का निरीक्षण किया, कार्य में तेजी लाने के निर्देश
दुर्गाकुण्ड स्थित दुर्गा मंदिर सिद्धपीठ में दर्शन-पूजन किया
लखनऊ : 31 अक्टूबर, 2023
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने कहा है कि हमारे देश में अन्न दान को एक पवित्र दान माना जाता है। भारत की वैदिक परम्परा में ’अन्नम ब्रह्म’ को अत्यन्त महत्व दिया गया है। अन्न को ब्रह्म का स्वरूप माना गया है। सनातन धर्म की परम्परा में अन्नदान के अनेक उदाहरण हमारे सामने हैं। अन्नदान की महत्ता को एक भारतीय से ज्यादा और कोई नहीं समझ सकता।
मुख्यमंत्री जी आज जनपद वाराणसी में पूज्य भाईजी अन्न क्षेत्र के औपचारिक उद्घाटन कार्यक्रम में अपने विचार व्यक्त कर रहे थे। प्रधानमंत्री जी ने दिव्यांगजन और समाज को एक नई दृष्टि दी है। केंद्र और राज्य सरकार द्वारा दिव्यांगजन के कल्याण के लिए अनेक कार्यक्रम व अभियान चलाए जा रहे हैं।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि श्री हनुमान प्रसाद पोद्दार स्मृति सेवा ट्रस्ट द्वारा संचालित दृष्टिबाधित विद्यालय में अन्न क्षेत्र का शुभारम्भ होना एक सुखद अनुभूति करने वाला क्षण है। श्रद्धेय भाईजी श्री हनुमान प्रसाद पोद्दार जी की स्मृति में आज यहां एक पवित्र कार्य हुआ है। यहां पर दृष्टिबाधित बच्चे अध्ययन करते हैं। इन दृष्टिबाधित बच्चों के साथ काशी आने वाले श्रद्धालुओं के लिए एक नया अन्न क्षेत्र का शुभारम्भ अत्यन्त सुखद है।
श्री हनुमान प्रसाद पोद्दार स्मृति सेवा ट्रस्ट का यह कार्यक्रम इसी कार्य से जुड़ा हुआ है। वास्तव में इस प्रकार के कार्यक्रम धर्मार्थ संस्थाओं के ही कार्यक्रम बनने चाहिए। हमारी धर्मार्थ संस्थाएं और सामाजिक संस्थाएं समाज और राष्ट्र के प्रति अगर अपनी जिम्मेदारियों को ईमानदारीपूर्वक निर्वहन करना प्रारंभ कर दें, तो फिर समाज में कहीं भी अभाव, दुख और दरिद्रता के लिए कोई जगह नहीं होगी। सर्वत्र खुशी का माहौल होगा। रामराज्य की स्थिति होगी।
सनातन धर्म कृति के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करने वाला धर्म है। किसी ने कुछ कार्य किया है, उसके प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करने वाला महान धर्म सनातन धर्म है। सनातन धर्म हमें हमेशा अपने पूर्वजों, अपनी परम्परा और समाज के लिए योगदान देने वाले महापुरुषों के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने की प्रेरणा देता है। आज उसी कृतज्ञता को ज्ञापित करने के लिए हम लोग श्रद्धेय भाई जी का स्मरण कर रहे हैं। श्री हनुमान प्रसाद पोद्दार स्मृति सेवा ट्रस्ट ने भाई जी की स्मृतियों को एक नई जीवंतता प्रदान की है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि श्री जयदयाल गोयनन्दका जी ने गोरखपुर में गीता प्रेस की स्थापना की थी। लगभग 100 वर्ष पहले गोरखपुर से कल्याण मासिक पत्रिका का प्रकाशन प्रारम्भ हुआ। सनातन धर्म के मर्म को समझने वाले श्रद्धेय भाईजी श्री हनुमान प्रसाद पोद्दार जी ने कल्याण पत्रिका के सम्पादक के रूप में आजीवन कार्य किया। कल्याण पत्रिका में आलेख जो उनके समय छपे थे, वही आलेख आज भी चल रहे हैं। भाईजी ने संसाधनों के अभाव के बावजूद सनातन धर्म के मूल्यों को देश व विदेश में पहुंचाने का कार्य किया।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि सनातन धर्म की जो सेवा गीता प्रेस के माध्यम से हुई, वह अत्यंत अभिनंदनीय एवं सराहनीय है। इस कार्य को धन्यवाद ज्ञापित करने के लिए गीता प्रेस के शताब्दी महोत्सव के समापन समारोह में स्वयं प्रधानमंत्री जी गोरखपुर आए थे। शताब्दी महोत्सव के कार्यक्रम का शुभारम्भ देश के तत्कालीन राष्ट्रपति जी ने किया था। यह कार्य अपने पूर्वजों के प्रति और अपनी विरासत के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करता है।
इसके पश्चात् मुख्यमंत्री जी ने दुर्गाकुण्ड स्थित दुर्गा मंदिर सिद्धपीठ में दर्शन-पूजन किया। तत्पश्चात् मुख्यमंत्री जी ने फुलवरिया 04 लेन के निर्माण कार्य का निरीक्षण किया और कार्य में तेजी लाए जाने के निर्देश दिए।
इस अवसर पर स्टाम्प तथा न्यायालय शुल्क एवं पंजीयन राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री रवीन्द्र जायसवाल सहित अन्य जनप्रतिनिधिगण, महामण्डलेश्वर महन्त संतोष दास (सतुआ बाबा), श्री हनुमान प्रसाद पोद्दार स्मृति सेवा ट्रस्ट के पदाधिकारी तथा शासन-प्रशासन के अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।
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