ग्लोबल गवर्नेंस फोरम और लखनऊ के बहाई समुदाय ने कल रात महिलाओं के लिए समानताः सभी के लिए समृद्धि के विषय पर एक कार्यक्रम की मेजबानी की।
लखनऊ, 2 नवंबर। एक अंतरराष्ट्रीय संगठन - ग्लोबल गवर्नेंस फोरम - और एक स्थानीय संस्था - लखनऊ का बहाई समुदाय - ने एक सहयोगात्मक प्रयास में पुरुषों और महिलाओं के बीच अवसरों की अभी भी व्यापक असमानता के निहितार्थ के बारे में और समानता की दिशा में प्रगति के लिए कार्य करने से कैसे समाज के विभिन्न पहलुओं में बदलाव आता है के बारे में चर्चा करने के लिए एक कार्यक्रम की मेजबानी की।
कार्यक्रम की शुरुआत लखनऊ की मेयर सुषमा खरकवाल ने मेहमानों का स्वागत करते हुए और एक उद्घाटन वक्तव्य देकर की, जिसमें उन्होंने इस कार्यक्रम को व्यवस्थित करने और कार्यक्रम में उन्हे आमंत्रित करने के लिए लखनऊ के बहाई समुदाय और ग्लोबल गवर्नेंस फोरम को धन्यवाद दिया। इसके बाद, उन्होंने भारत में ऐसे कई उदाहरणों पर प्रकाश डाला जो हमारे समाज में महिलाओं की उन्नति के प्रमाण हैं, लेकिन साथ ही उस बड़ी दूरी का भी उल्लेख किया जिसे अभी भी तय किया जाना बाकी है।
पैनल में दो अंतरराष्ट्रीय प्रसिद्ध अर्थशास्त्री, ऑगस्टो लोपेज-क्लारोस और गीता गांधी किंगडन और एक मीडिया हस्ती, इति श्री मिश्रा शामिल थे। बातचीत का संचालन सरकारों और बहुपक्षीय संगठनों के वरिष्ठ सलाहकार जोशुआ लिंकन ने किया।
“जब आप लड़कियों को शिक्षित करते हैं, और उन्हें कौशल देते हैं, तो एक परिवार में कुछ बहुत दिलचस्प घटित होता है। महिलाएं कार्यदल का हिस्सा बनते हैं और अपने परिवार की आय में योगदान देती हैं। पारिवारिक संसाधनों का उपयोग कैसे किया जाए यह तय करने के लिए परिवार के भीतर अधिक शक्ति प्राप्त करती हैं। सामान्य रूप में, महिलाओं में शिक्षा और स्वास्थ्य में निवेश करने की अधिक प्रवृत्ति होती।”, ऑगस्टो लोपेज-क्लारोस ने कहा।
इति श्री मिश्रा ने महिलाओं की समानता को आगे बढ़ाने में पुरुषों द्वारा निभाई गई भूमिका को स्वीकार किया, लेकिन घर पर लड़कों और लड़कियों को शिक्षित करने में महिलाओं और विशेष रूप से माताओं की अधिक महत्वपूर्ण भूमिका पर भी जोर दिया ताकि बच्चों में बचपन से ही उचित दृष्टिकोण और गुण विकसित हो सकें।
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