राजकुमार गुप्ता 
बलदेव/ मथुरा -- एक तरफ किसानों फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य तक नहीं मिल सका है, दूसरी ओर जब फसल बोने का समय आता है तो उसे समय से खाद बीज नहीं मिलता है। भाकियू चढूनी के मंडल अध्यक्ष रामवीर सिंह तोमर ने एक वक्तव्य जारी कर कहा है कि सरकारी सिस्टम किसान की परेशानी बढ़ा रहा है। डीएपी के एक एक बैग के लिए इन दिनों किसान चक्कर लगा रहे हैं। सुबह से शाम तक क्रय केंद्रों पर उर्वरक के लिए पुकार लगाने वाले किसानों को दुत्कार मिल रही है। जिन अफसरों  पर डीएपी उपलब्ध कराने की जिम्मेदारी है वह मौन साधे हैं। दावा कर रहे हैं कि उर्वरक भरपूर है लेकिन चक्कर लगाते किसान किसी को दिखाई नहीं दे रहे हैं। पिछैती सरसों, आलू, गेंहू की फसल बुबाइ का समय चल रहा। किसानों में भारी आक्रोश है। कभी भी बड़ा आंदोलन हो सकता है। श्री तोमर वक्तव्य में कहा कि शहर में विधुत आपूर्ति 24 घंटे तो किसानों को सरकार  क्यों नहीं दे सकती। किसानों को मात्र 6-7 घंटे बिजली आपूर्ति दी जा रही है। अधिकारी 10 घंटे बिजली आपूर्ति का दावा भले ही करें लेकिन फॉल्ट के नाम पर अघोषित कटौती, लो वोल्टेज से किसान खेतों में सिंचाई एवम फसलों की सिंचाई नहीं कर पा रहे हैं। अधिकारी  किसानों की समस्याओं के प्रति संवेदनशील नहीं हैं। मांगों को न तो हल कर रहे हैं और न ज्ञापनों का जवाब देते हैं। जिससे किसानों में भारी आक्रोश है। सरकारी क्रय केंद्रों के नियमों की पेचीदगी के कारण किसानों को मजबूरी में अपनी फसलों को बिचौलियों को बेचना पड़ा है। नहर, बंबों की सिल्ट सफाई नहीं हुई है, सरकारी सिस्टम की लापरवाही से किसान परेशानी झेल रहे हैं। यही हाल रहा तो किसान खेती से इतना तंग आ जायेगा कि वह खेती की बजाय मजदूरी करने लग जायेगा।

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