*बदलती अयोध्या को लगी वायु प्रदूषण की नजर*

*31 अक्टूबर को पार कर गया खतरे का निशान*

*अयोध्या....*

रामनगरी की हवा अब साफ नहीं रही। 
उसे विकास की नजर लग गई।
पहले जैसी स्वच्छ ना होकर प्रदूषित हो चली है।
वायु प्रदूषण को खतरे का निशान पार करने को सबसे बड़ा आरोप अयोध्या को बदल रही परियोजनाओं के निर्माण को है।
वायु प्रदूषण से निपटने के उनमें इंतजाम न होने से ऐसे हालात के  लिए जिम्मेदार उसे माना जा रहा है।
रामनगरी में राम मंदिर निर्माण का सुप्रीम निर्णय आने के बाद लगभग 30 हजार करोड़ रुपये की डेढ़ सौ से ऊपर परियोजनाएं शुरू हैं।
बदलती अयोध्या में सड़क, ओवरब्रिज समेत अन्य कार्यों में धूल आदि के चलते अयोध्या से शहर पहुंचना आसान नहीं।
ऐसे ही सआदतगंज से अयोध्या जाने के लिए भी है।
ऐसे में वायु प्रदूषण इंडेक्स (एक्यूआइ) खतरे के निशान से डेढ़ गुना ऊपर है।
31 अक्टूबर को 155 एमजी दर्ज किया गया जो सामान्य से अधिक है।
या यों बोलिए की वह खतरे के निशान को पार कर गया।
माइक्रो ग्राम पर घनमीटर (एमजी) फार्मूले के आधार पर वायु प्रदूषण का आकलन किया जाता है।
बारिश सीजन मे यह नियंत्रित रहा।
सितंबर से वह ऊपर भागने लगा जो 31 अक्टूबर को सामान्य से डेढ़ गुना अधिक हो गया। 
प्रदूषण नियंत्रण विभाग इसका आकलन डा. राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय से कराता है।
एक्यूआइ आकलन के उसके दो मानिटरिंग केंद्र हैं।
एक रामनगरी का दिगंबर अखाड़ा व दूसरा अवध विश्वविद्यालय के इनवायरमेंट सांइस डिपार्टमेंट में।
हालात ऐसे ही बने रहे तो दो सौ एमजी तक पहुंचने में देर नहीं लगेगी।
इसे टच करने पर श्वांस के ही नहीं समान्य लोगों के लिए भी खतरे का अलार्म होगा।
51 से 100 (एमजी) एक्यूआइ तक को सामान्य माना जाता है। 
उसके बाद वह स्वास्थ्य के लिए नुकसानदेह की श्रेणी में होता है।
सितंबर में उसे 147 एमजी तक पहुंच जाने के बाद उसने आठ एमजी की छलांग लगाई है। 
हालांकि रामनगरी के अभी वायु प्रदूषण के हालात अन्य बड़े महानगरों की तरह नहीं है,
फिर भी उसे स्वास्थ्य के लिए अनुकूल नहीं कहा जाएगा। 
क्षेत्रीय प्रदूषण नियंत्रण अधिकारी टीएन सिंह इसके बढ़ने में मौसम परिवर्तन को भी एक वजह बताते हैं।
वह एक्यूआइ के खतरे के निशान को पार करने को स्वीकारते हैं।
बोले, निर्माण में लगी कार्यदायी संस्थाओं को नोटिस जारी कर वायु प्रदूषण नियंत्रण करने का निर्देश देंगे।
अनुपालन न करने पर क्षतिपूर्ति अधिरोपित करेंगे। साथ ही आमजन को वायु प्रदूषण से बचाव के लिए सतर्क करेंगे।

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