वृन्दावन। सेवाकुंज क्षेत्र स्थित प्राचीन ठाकुर श्रीराधा दामोदर मंदिर में गौडीय संप्रदायाचार्य नरोत्तम दास ठाकुर (महाशयजी) का तिरोभाव महोत्सव बड़े ही धूमधाम और हर्षोल्लास के साथ मंदिर के वरिष्ठ सेवायत आचार्य कनिका प्रसाद गोस्वामी महाराज (बड़े गुसाईं) के पावन सानिध्य में मनाया गया।जिसके अंतर्गत ठाकुरजी के समक्ष छप्पन भोग निवेदित किए गए।साथ ही भक्तों के द्वारा श्रीहरिनाम संकीर्तन का आयोजन किया गया।इसके अलावा संत, ब्रजवासी, वैष्णव सेवा एवं भंडारा आदि के आयोजन सम्पन्न हुए।
ठाकुर श्रीराधा दामोदर लाल महाराज के अंगसेवी आचार्या दामोदर चंद्र गोस्वामी महाराज ने बताया कि मंदिर परिसर में गौडीय संप्रदायाचार्य नरोत्तम दास ठाकुर जन्म से ही विरक्त स्वभाव के थे। 12 वर्ष की अवस्था ही में इन्हें स्वप्न में श्रीनित्यानन्द प्रभु के दर्शन हुए और उन्ही की प्रेरणानुसार वे पद्मा नदी में स्नानार्थ गए।यहीं इन्हें भगवत्प्रेम की प्राप्ति हुई।पिता की मृत्यु के पश्चात वे अपने चचेरे भाई संतोषदत्त को सब राज्य सौंपकर कार्तिक पूर्णिमा को वृन्दावन चल दिए।वृंदावन में श्रीजीव गोस्वामी के यहाँ बहुत वर्षों तक भक्तिशास्त्र का अध्ययन किया।साथ ही लोकनाथ गोस्वामी से श्रावणी पूर्णिमा को दीक्षा लेकर उनके एकमात्र शिष्य हुए।
ब्रज सेवा संस्थान के अध्यक्ष डॉ. गोपाल चतुर्वेदी एवं युवा साहित्यकार डॉ. राधाकांत शर्मा ने कहा कि गौडीय संप्रदायाचार्य नरोत्तम दास ठाकुर (महाशयजी) ने ही संकीर्तन की नई प्रणाली निकाली तथा "गरानहाटी" नामक सुर का प्रवर्तन किया।साथ ही वे भक्त सुकवि तथा संगीतज्ञ थे। 'प्रार्थना', 'प्रेमभक्ति चंद्रिका' आदि इनकी रचनाएँ हैं।
इस अवसर पर देश-विदेश से आए असंख्य भक्तों - श्रृद्धालुओं ने ठाकुरजी के दर्शन कर मंदिर की चार परिक्रमा की।
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