जौनपुर। लक्ष्मण ने काटी सूर्पणखा की नाक तो रावण ने किया सीता हरण

मुंगराबादशाहपुर,जौनपुर। नगर में गुरुवार को लीला मंचन के 10वें दिन रात नौ बजे हजारों लोगों से भरे मैदान में सूर्पनखा नकटैया खरदूषण वध सीता हरण व जटायु युद्ध की लीला का भावपूर्ण मंचन कलाकारों द्वारा किया गया।

श्री रामलीला कमेटी के तत्वावधान में लीला मंचन में हजारों लोगों से भरे मैदान में सूर्पणखा नक्कटैया, खरदूषण वध सीता हरण और जटायु मरण लीला का मंचन किया गया। वनवास काल के अंतराल में श्रीराम लक्ष्मण व सीता ऋषियों मुनियों का दर्शन करते हुए तथा अत्रि ऋषि के निर्देशानुसार पंचवटी पहुंचे। वहा पर्ण कुटी बनाकर निवास करने लगे। अचानक लंका पति राजा रावण की बहन सूर्पणखा घूमते हुए पंचवटी की ओर जाती है वहां राम व लक्ष्मण से विवाह करने का प्रस्ताव रखती है जिसे उन्होंने ठुकरा दिया। इस पर निराश अपने असली रूप में आकर सीता पर झपटी लेकिन लक्ष्मण ने उसकी नाक काट दी। 

सूर्पनखा रूधिर बहाते हुए अपने भाई खर-दूषण के पास जाकर सारा वृतांत बतायी। इसके बाद खर-दूषण चतुरंगिणी सेना के साथ तैयार होकर श्रीराम लक्ष्मण से युद्ध करने के लिए युद्ध भूमि में जाते हैं। दोनों में घनघोर युद्ध हुआ। युद्ध के दौरान श्रीराम ने खर-दूषण को मार गिराते हैं। इसके बाद वह खर-दूषण को मरा हुआ देखकर रोती बिलखती वह अपने बड़े भाई लंका पति रावण के पास जाकर सारा वृतांत बताती है और उन्हे युद्ध के लिए मजबूर कर देती है। इसके बाद रावण अपने मामा मारीच के पास जाता है और अपनी बहन के नाक कटने के संबंध में सारी बातों से अवगत कराता है। और उनसे सोने का मृग बनने का आग्रह करते हैं।

मारीच अपने माया से सोने का मृग बनकर बगीचे में घूमने लगता है इसी बीच पंचवटी के बाहर आकर सीता ने सोने के मृग को देखती हैं और प्रभु श्रीराम से मृग का शिकार करने के लिए बाध्य करती हैं। श्रीराम सीता के कथनानुसार धनुष बाण चढ़ाते हुए सोने के मृग के पीछे जंगल की ओर जाते हैं। कुछ दूर जाने पर प्रभु श्रीराम मृग पर बाण चलाते हैं और मृग हाय लक्ष्मण, हाय सीते कहते हुए अपने शरीर का त्याग कर देता है। मायावी मृग के आवाज को सुनकर सीता घबराते हुए अपने देवर लक्ष्मण को राम के सहायता के लिए जंगल की ओर भेजती हैं। लक्ष्मण अपने बाण से कुटी के चारों ओर लक्ष्मण रेखा खींचकर सीता से समझाते हैं कि आप रेखा के बाहर न निकलें। यह रेखा आपकी रक्षा करेगा। इसके बाद रावण साधु के वेश में सीता का हरण कर लेता है और पुष्पक विमान से सीता जी को ले जा रहा था। सीता जी विलाप करती हैं कि हाय लक्ष्मण बचाओ इतना कहते हुए अपने गहने को उतार कर पुष्पक विमान से नीचे गिरा देती हैं। जब गिद्ध राज जटायु सीता जी के चीख व पुकार को सुनता है तो वह रावण से युद्ध करने लगता है। युद्ध के दौरान रावण अपने तेज धार तलवार से उसके पंखों को काट देता है वह बेहोश होकर जमीन पर गिरते हुए छटपटाने लगता है। इस लीला को देखकर दर्शक भाव-विभोर हो गए।

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