जौनपुर। रामलीला मंच पर नाटक आजाद का मंचन, वंदे मातरम के नारे से गूंजता रहा रामलीला मैदान
दर्शकों ने भारत माता की जय से कलाकारों का बढ़ाया हौशला
नाटक आजाद को मिली खूब सराहना
मुंगराबादशाहपुर,जौनपुर। नगर में मंगलवार की देर शाम को रामलीला मंच पर नाटक 'आजाद' का मंचन हुआ। क्रांतिकारी चंद्रशेखर आजाद के जीवन पर केंद्रित 1 घंटा के नाटक में दर्शक उनके जीवन के कुछ अनछुए पहलुओं से रूबरू हुए। नाटक में चंद्रशेखर आजाद के बचपन से अल्फ्रेड पार्क तक की पूरी कहानी को शामिल किया गया।
रामलीला मंच पर देर शाम नाटक 'आजाद' का मंचन हुआ। क्रांतिकारी चंद्रशेखर आजाद के जीवन पर केंद्रित एक घंटे के नाटक में दर्शक उनके जीवन के कुछ अनछुए पहलुओं से रूबरू हुए। इस नाटक में चंद्रशेखर आजाद के बचपन से लेकर अल्फ्रेड पार्क तक की पूरी कहानी को शामिल किया गया। नाटक प्रस्तुति की शुरुआत बैकग्राउंड में हिंदुस्तान के इतिहास बताते साउंड और 'मैं आजाद हिंदी की आवाज हूं...' संवाद के साथ होती है। नाटक का लेखन
15 कोड़े का दंड
नाटक में दौरान बंदूक की गोली से क्रांति का सपना देखने वाले चंद्रशेखर आजाद का जिक्र होता है। इसके बाद क्रांतिकारियों की एंट्री होती है और दर्शकों को दिसंबर 1921 गांधी जी के असहयोग आंदोलन का दौर नजर आता है, जिसमें 14 वर्ष की उम्र में बालक चंद्रशेखर ने इस आंदोलन में भाग लिया। चंद्रशेखर को गिरफ्तार कर मजिस्ट्रेट के समक्ष उपस्थित किया जाता है। चंद्रशेखर से उनका नाम पूछा गया तो उन्होंने अपना नाम आजाद, पिता का नाम स्वतंत्रता और घर 'जेलखाना' बताया। जज उन्हें अल्पायु होने के कारण कारागार का दंड न देकर 15 कोड़े देने की सजा सुनाते हैं। आजाद हर कोड़े पर वंदेमातरम और भारत माता की जय... नारा लगाते हैं।
किताबों से ली प्रेरणा
चन्दन कहते हैं, चंद्रशेखर आजाद पर केंद्रित कोई नाटक नहीं है। इसलिए हमने काकोरी कांड, क्रांति का इतिहास जैसी किताबों से कहानियां लेकर यह नाटक तैयार किया है। उनकी बॉयोग्राफी में पर प्रसंगों को भी सीन बनाया है। लोग सिर्फ मूछों और रिवाल्वर वाले आजाद को ही जानते है लेकिन हमने इसमें नाटक में अन्य कहानियों को भी जोड़ा है।
युवाओं को देते हैं प्रेरणा
नाटक की शहीद चंद्रशेखर आजाद देश की वीरता और बलिदान के प्रतीक हैं। वे न केवल स्वयं इस देश के लिए जीने और मरने की प्रेरणा देते हैं, बल्कि उनमें दूसरों में प्रेरणा जगाने का सामर्थ्य भी है। वे क्रांति मार्ग पर मजबूत कदमों से चलने वाले थे, जिन्होंने अनेक बार मौत को मुस्कुराते हुए ललकारा।
नाटक में अभिनय- निर्देशक चन्दन गुप्ता, कलाकार अंकित सिंह , राम कृष्ण साहू, शुभम गुप्ता, श्याम जी गुप्ता, आकाश गुप्ता, आशीष गुप्ता, भास्कर गुप्ता,ऋषभ गुप्ता कलाकारों ने किया।
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