जौनपुर। मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम ने भाइयों सहित लिया जन्म, सोहर से गूंज उठा नगर 

नगर के ऐतिहासिक रामलीला में भावपूर्ण मंचन से श्रोता हुए मंत्रमुग्ध

मुंगराबादशाहपुर,जौनपुर। नगर के ऐतिहासिक रामलीला में गुरुवार को भगवान श्रीराम और चारों भाइयों सहित जन्म की लीला का भावपूर्ण मंचन देखकर श्रोता मंत्रमुग्ध होकर मग्न हो नृत्य करते नजर आए। चारों ओर जय श्री राम के जयघोष व सोहर से गुंजायमान रहा। 


मोहल्ला गुड़हाई में चल रहे रामलीला मैदान में मांझे हुए कलाकारों द्वारा तीसरे दिन की लीला में भगवान श्रीराम समेत चारों भाइयों के जन्म की सूचना आम होते ही अयोध्या नगरी में मंगल गीत गूंज उठे। चहुंओर बजी बधाई और अवध की हर अंगनाई सोहर से गूंज उठी। देवों-साधु संतों का भय मानों अभय वर्षा से धुल गया। लीला स्थल भी इसी भाव में समाया। लीला प्रेमियों ने जयकार लगाई व वातावरण में उत्सव उल्लास घुल गया। शृंगी ऋषिकृत यज्ञ, श्रीराम समेत चारों भाइयों का जन्म, विराट दर्शन, बाललीला, यज्ञोपवीत व मृगया प्रसंग का मंचन किया गया। पुत्र कामना से महाराज दशरथ, गुरु वशिष्ठ के आदेश पर श्रृंगी ऋषि के आचार्यत्व में पुत्रेष्टि के यज्ञ करते हैं। अग्निदेव ने प्रसन्न हो महाराज को फल प्रदान कर उसे रानियों में यथोचित भाग बांटने का निर्देश दिया। चैत्र शुक्ल पक्ष की नवमी को भागवान राम समेत चारों भाइयों के जन्म की खबर सुन अयोध्यावासी फूले नहीं समाते हैं। इससे विह्वïल रामायणी दल 'भये प्रगट कृपाला दीन दयाला... गायन और मंगल गीतों से लीला स्थल गुंजा देता है। बाल स्वरूप  भगवान राम से मिलने शंकर जी योगी का भेष बनाकर आते हैं और इसके बाद चारों भाइयों का नाम करण गुरू वशिष्ठ द्वारा किया जाता है। भगवान राम,लक्ष्मण,भरत, शत्रुघन की बाल लीला का मंचन देख दर्शक मंत्र मुग्ध हो जाते हैं। गुरु वशिष्ठ द्वारा नामकरण संस्कार और लीला के क्रम में यज्ञोपवीत संस्कार के बाद चारों भाई विद्या प्राप्त करने गुरुधाम जाते हैं। भाइयों व मित्रों के साथ श्रीराम शिकार पर जाते हैं और राज दरबार लौट कर शिकार किया गया मृग दिखाते हैं। श्रीहरि के चतुर्भुज रूप झांकी का दर्शन कर श्रद्धालु विभोर हुए और चहुंओर प्रभु की जयकार गूंज उठी।

भजन कीर्तन से गूंजा लीला स्थल- 

लीला शुरू होने से पहले ही रामलीला मैदान भजन कीर्तन से गूंज उठा। ढोलक की थाप और हारमोनियम पर साधु संतों ने प्रभु महिमा का बखान किया। सुरों में प्रभु लीला की मनोहारी झांकी सजाई। इससे चहुंओर दिव्य छटा निखरती रही। इससे पूर्व लीला में भगवान विष्णु के विराट स्वरूप की झांकी की 51 दीपों से आरती उतारी गई और दर्शन को लीला स्थल व आसपास की छतों पर बड़ी संख्या में भीड़ जुटी रही।

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