भगवान के टेलर के पास नवरात्रि प्रारंभ होते ही माता की चुनरी बनवाने लग रही भक्तों की भीड़।










भगवान की प्रतिमाओं को वस्त्र पहनाना होता है तो लोग सीधे आशा मार्केट भागते हैं। घण्टाघर के पास के  भगवान के कपड़े सिलने वाले भरत कुवादे के पास शहर के सभी मंदिराें के प्रतिमाआें के नाप हैं। इनको भगवान का दर्जी कहा जाता है। भगवान के ड्रेस डिजाइन के नाम से खंडवा में प्रसिद्ध है। इन्हें सिर्फ मंदिर का नाम बताना है, कपड़े तैयार मिलेंगे। दुकान पर भरत अकेले कारीगर है, जो जी जान लगाकर पूरे भक्ति भाव से कार्य करते है। इन्हे पंडितों की तरह कई नियमों का पालन करना पड़ता है।

वही, यह सभी वस्त्र तैयार करने से पहले साफ-सफाई का भी बड़ा ध्यान  रखते है. कपड़ो की पवित्रता बनी रहे है उसके लिए कई बातों का भी ख्याल विशेष तौर पर रखा जाता है। पूरी दुकान रंग- बिरंगे चमकीले कपड़े और सितारों से चमक से भरी रहती है। नवरात्रि में माता की चुनरी बनावाने हेतु पहले से ऑडर बुक हो गए है। भरत कुवादे के पास एक कापी में सभी मंदिरों के भगवान की प्रतिमाओं के नाप नोट हैं। किसी को भी भगवान को वस्त्र भेंट करने हैं तो मंदिर और भगवान का नाम लिखवा देते हैं। 16 साल से यह काम कर रहे भरत बताते हैं कि उन्होंने पिता से यह कार्य सीखा था। पहले लेडीज वर्क करते थे, लेकिन बाद में इसी कार्य में रम गए। पूरी दुकान रंग- बिरंगे चमकीले कपड़े और सितारों से चमक रही होती हैं। इनको  नौ दुर्गा  पर माता मंदिर सहित कई बड़े मंदिरों की प्रतिमाओं का पूरा ब्यौरा है। 

इनके पास इस वक्त करीब 150 वस्त्रों के आर्डर हैं जिनकी सिलाई के साथ कपड़ा लेकर भगवान के वस्त्र वह तैयार करते हैं। पिछले सालों में इनके काम में तेजी आई है। पहले मात्र दस से बीस आर्डर आते थे। लेकिन अब स्थिति बदल गई है। नाप लिखी डायरी को कई साल हो गए। जिन मंदिरों में नाप नहीं है उनके जाकर ले आते हैं। गर्मियों में सिल्क जरी के कपड़े प्रतिमाओं के लिए सिलते हैं। जबकि जाड़ों में यह मखमली कपड़ों के सिलते हैं। 

 


सम्पर्क भरत कुवादें 9399802615

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