राजकुमार गुप्ता 
आगरा: कमला नगर के रहने वाले राजेन्द्र तिवारी जो परिवार में विवाद होने के कारण गुस्से में दो साल पहले घर छोड़कर घर से निकल गए थे। परिवार जनों ने इनकी गुम होने की रिपोर्ट भी दर्ज कराई पर इनका कोई पता ना चला। गीतांजली फाउंडेशन के सदस्य रोज की तरह जरुरतमंदो की मदद करने के लिए फील्ड पर निकली हुई थी। सदस्यो ने देखा एक बुजुर्ग काका बहुत ही गंभीर अवस्था मे रुनकता पुल के नीचे बेहोश पड़े हुए थे सदस्यो ने उनके पास जाकर देखा तो पाया ये बुजुर्ग काका तेज बुखार होने के कारण बेहोश होकर गिर पड़े थे। फिर सदस्यो ने इन्हें वहाँ से उठाया और एक सही स्थान पर ले जाकर इनसे बात करने की कोशिश की पर काका कुछ बोल ही नही रहे थे। काफी प्रयासो के बाद काका ने बताया वो दो साल पहले परिवार में अपने बच्चो से विवाद होने कारण वो घर छोड़ कर निकाल आए थे। और तब से वहाँ दर दर भटकर कूड़ा करकट बिन कर अपना जीवन बसर कर रहे थे। जनने पर पता चला उनकी उम्र 83 वर्ष की है। उनके चार बेटे और एक बेटी है। जिनमे से दो बेटे अब इस दुनिया मे नही रहे। और एक बेटा बहार रहता है। और एक कलमा नगर में पर प्रोपर्टी के चक्कर मे बेटे आए दिन उनके साथ बत्तमीजी किया करते थे। इसी कारण वो घर छोड़कर निकाल गए। संस्था के सदस्य उनकी बात सुन भावुक हो गए। सदस्यो ने बुजुर्ग काका की मदद करने की ठान ली। काका की जो स्थिति थी उसे हम शब्दो मे बया नही कर सकते काका कई महीनों से नहाये नही थे। शरीर से गंदी बदबू आ रही थी। कई समय से पोष्टिक भोजन ना मिल पाने के कारण बीमारियों का शिकार हो चुके थे। तब सदस्यो ने उन्हें इस परिस्थिति से बाहर निकालने की ठानी काका के सारे गंदे कपड़े उतरवाकर उनके बाल कटवाए गए फिर उन्हें स्न्नान घर ले जाकर उनके पूरे शरीर को साफ करवाया गया। उन्हें कपड़े पहनाकर उपचार के लिए ले जाया गया। फिर उन्हें पोष्टिक भोजन करा कर वो फिर से ऐसी परिस्थिति में ना आ जाए और इस उम्र में दर दर की ठोकरें ना खानी पड़े इसलिए उन्हें आगरा के अपना घर आश्रम में भर्ती करवाया गया। जिससे वह आगे अपना जीवन स्वच्छ और खुशहाल तरीके से जी सके। उसके बाद उनके परिवार को उनकी जानकरी दी गई। पर उनका कोई बेटा उन्हें अपने साथ रखने के लिए तैयार नही था। कई प्रयासो के बाद उनकी बेटी और दामाद को उनकी जानकारी दी गई। उसके बाद उनकी बेटी उन्हें अपने साथ घर ले जाने के लिए आई पर अब वह वापस नही जाना चाहते थे। और वह अब अपनी बच्ची कुच्ची जिंदगी आश्रम में ही गुजरना चाहते है। इसलिए उनपर कोई प्रेशर ना देते हुए अब उनकी देखरेख आश्रम में ही कि जा रही हैं। और अब बुजुर्ग काका पहले से बोहोत ही ज्यादा स्वास्थ्य और खुशहाल तरीके से आपना जीवन जी रहे हैं।

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