जौनपुर। प्रशासन को चुनौती देते हुए उसी स्थान पर वाहन चालक जमाने लगे कब्जा

एसडीएम और पालिकाध्यक्ष ने बैठक कर जारी किया था दिशा निर्देश

आदेश को दरकिनार करते हुए, बेखौफ होकर वहीं चलने लगा अवैध वाहन स्टैंड

मुंगराबादशाहपुर,जौनपुर। नगर पालिका प्रशासन और मछलीशहर एसडीएम द्वारा जाम से मुक्ति दिलाने के लिए अलग अलग जगहों पर यात्री वाहनों को खड़े करने के लिए जारी दिशा निर्देश को चुनौती देते हुए वाहन चालकों ने फिर से अपने जगह पर कब्जा जमाने लगे हैं। जिससे लोगों में रोष व्याप्त है और कहीं न कहीं पालिका व प्रशासन को कोसते नजर आ रहे हैं। 


बताते चलें कि बीते माह में पालिकाध्यक्ष कपिल मुनि अध्यक्षता में एसडीएम मछलीशहर राजेश चौरसिया, क्षेत्राधिकारी अतर सिंह, थाना प्रभारी राजाराम द्विवेदी, व्यापार मंडल अध्यक्ष आलोक गुप्ता सहित व्यापार मंडल के साथ व्यापारी बंधुओं की मीटिंग हुई। जिसमें मुंगरा का जाम प्रमुखता से उभरा, इस विकट समस्या से निजात के लिए एसडीएम ने नगर पालिका व स्टेशन रोड पर लगने वाले वाहन स्टैंड प्रयागराज मार्ग पर रामनाथ पाण्डेय महिला डिग्री कालेज के पास,जौनपुर मार्ग पर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के पास गौशाला ,प्रतापगढ़ मार्ग पर पूजा हॉस्पिटल के पास , जंघई मार्ग पर साईं पेट्रोल पंप के आगे और बेलवार रोड पर दक्षिण मुखी हनुमान मंदिर के पास आदि जगहों पर प्राइवेट वाहन अड्डा सुनिश्चित किया है। ताकि लोगों को जाम से राहत मिल सके, इस सम्बंध में उपजिलाधिकारी ने इधर उधर वाहन खड़ी करने पर सख्त कार्यवाही करने की हिदायत दिया। लेकिन वहीं जैसे जैसे तारीख आगे बढ़ता गया वैसे वैसे प्रशासन और पालिका प्रशासन को चुनौती देते हुए बेखौफ होकर प्राइवेट वाहन चालकों ने फिर पुराने स्थान पर पहुंचकर कब्जा जमाने लगे। जिससे फिर लोगों को जाम के मकड़जाल को झेलते हुए जीने को मजबूर हैं। चार दिन की चाँदनी फिर अंधेरी रात वाली कहावत चरितार्थ करता नजर आया पालिका और प्रशासन द्वारा जारी निर्देश। केवल फरमान कागजों तक ही सीमित रह जाता है और झेलना स्कूल कालेजों के बच्चे, बुजुर्गों, मरीजों व आम जनता को पड़ता है। अब लोग हताश होकर इसी तरह रोजमर्रा की तरह भागदौड़ करने को विवश हैं क्यूंकि नेता, विधायक यहां तक कि सांसद को अब जनता की जरूरत नहीं है। जनता सिर्फ वोट बैंक बनकर रह गया है जो केवल चुनाव के समय याद आता है। फिलहाल जनता जाम के जंजालों और मकड़जाल को झेलते हुए रोजमर्रा के साथ जीने को मजबूर है और नेता, समाजसेवी, जनप्रतिनिधि सब अपने अपने में व्यस्त हैं।

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