प्राचीनकाल में यह स्थल आद्रवन नामक घने जंगल से जाना था। यहां पवह नामक प्राचीन नदी (नाला) के तट पर मां दुर्गा का पवित्र मन्दिर स्थित है। लोकश्रुति एवं धार्मिक मान्यतायों के अनुसार इस देवची मन्दिर की स्थापना महाभारत काल में पांडवों के अज्ञातवास काल में स्वयं अर्जन ने की थी। इस धार्मिक स्थल का प्राचीन नाम ‘अदरौना देवी थान’ रहा जो वर्तमान में लेहडा देवी मन्दिर के नाम से विख्यात है। प्राचीन लोक मान्यता के अनुसार महाभारत काल में पांडवों ने अपने अज्ञातवास की अधिकांश अवधि यही सघन ‘आर्द्रवन’ में व्यतीत की थी। इसी अवधि में अर्जुन ने यहां वनदेवी की अराधना की थी। आराधना से प्रसन्न होकर वनदेवी मां भगवती दुर्गा ने अर्जुन को अनेक अमोघ शक्तियां प्रदान की थी। तद्पश्चात मां भगवती के आदेशानुसार अर्जुन ने इस शक्ति पीठ की स्थापना की थी। बाद में यही ‘अदरौना देवी’ के नाम से प्रसिद्ध हुई एक अन्य जुनश्रुती के अनुसार प्राचीनकाल में ‘पवह नदी’ को नाव से पार कर रही एक युवती को जब नाविकों ने बुरी नीयत से स्पर्श करना चाहा था, तो वनदेवी मां ने उस युवती की रक्षा स्वयं प्रकट होकर की थी, तथा नाविकों को नाव समेत वही जल में समाधि दे दी थी। वर्तमान समय में मां दुर्गा का विशाल मंदिर स्थित है। जहां गोरखपुर, संतकबीरनगर, देवरिया, बस्ती, सिद्धार्थनगर व पड़ोसी राष्ट्र नेपाल से भी श्रद्धालु मां का दर्शन व पूजन करने आते हैं और हजारों श्रद्धालु का मनोकामना भी पूर्ण होता है ।#जय_माँ_लेहड़ा_वाली#जयमातादी 🚩🚩
शैलेंद्र वर्मा
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