विंध्याचल। जयकारे और मंत्रोच्चार के बीच नवरात्र की पंचमी तिथि पर बृहस्पतिवार को हजारों भक्तों ने मां विंध्यवासिनी के दरबार में हाजिरी लगाई। मंगला आरती के पूर्व से ही मंदिर परिसर में भक्तों की लंबी कतारें लग गईं। आरती के पश्चात हर कोई मां की एक झलक पाने के लिए लालायित दिखा। गंगा में स्नान करने के बाद श्रद्धालुओं ने श्रद्धा भाव से विंध्याचल धाम में शीश नवाया। माता की तरह-तरह के पुष्पों से किया गया दिव्य शृंगार का दर्शन पाकर श्रद्धालु भाव विभोर हो उठे। घंटा व शंख ध्वनि के बीच पहाड़ा वाली के जयकारे से मंदिर परिसर गुंजायमान रहा।
शारदीय नवरात्र के पांचवें दिन बृहस्पतिवार को मां विंध्यवासिनी के दर्शन-पूजन के लिए विंध्य दरबार में श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा। बृहस्पतिवार को भोर में मां विंध्यवासिनी के भव्य शृंगार और मंगला आरती के बाद दर्शनार्थियों के दर्शन-पूजन के लिए कपाट खोल दिया गया। लंबी कतारों में खड़े देवी भक्त जयकारा लगाते हुए आगे बढ़ने लगे। मंदिर परिसर में माता के दर्शन-पूजन का सिलसिला मंगला आरती के बाद से शुरू होकर देर रात तक अनवरत चलता रहा। माता का दर्शन-पूजन करने के बाद भक्तों ने मंदिर के गुंबद की परिक्रमा कर शीश नवाया। उधर, गंगा घाटों एवं परिक्रमा पथ पर शहनाई की धुन पर लोगों ने अपने बच्चों का मुंडन संस्कार कराया। मंदिर की छत पर जगह-जगह आसन लगाकर बैठकर साधक मंत्र जाप करते रहे। विंध्याचल मंदिर के साथ ही मां अष्टभुजी मंदिर और महाकाली मंदिर में मेटल डिटेक्टर और सीसीटीवी कैमरों की निगरानी में दूरदराज से आए श्रद्धालुओं ने दर्शन-पूजन किया।

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