व्यवहार
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शिक्षक सीता राम पांडे अपनी पत्नी के साथ अकेले हॉस्पिटल के कमरे में बैठे बैठे सोच रहे थे के बीवी के आपरेशन के लिए पैसे की व्यवस्था कहाँ से करू हर तरफ दिमाग लगा के हार चुके और बाद में बस वही घर बचा जिसमें वो रह रहे थे..
आँखों से आंसू पोछते हुए सीता राम ने अपनी पत्नी की तरफ देखा वो दो दिन से बेहोस थी आगे पीछे कोई नही एक बेटी थी वो भी अपनी पसन्द के लड़के के साथ भाग कर शादी कर ली तब से माँ बाप की तरफ देखा नही..
सीता राम सोच ही रहे थे के नर्स ने आ कर बताया कि बड़ी डॉक्टर आ रही हैं जल्दी ही अपनी पत्नी ठीक हो जायेगी आप पैसे जमा करवा दीजिये,, सीता राम जी ने थोड़ा समय माँगा
और मोबाइल निकाल कर बटन दबाने लगे लोगों से मदद माँगने लगे पर कोई फोन नही उठा रहा तो कोई बाद में बात करता हूँ बोलकर चला जा रहा है.
सीता राम कमरे के बाहर आकर गहरी सांस लेते हुए वार्ड बॉय से बोले आप जरा मेरी पत्नी को देखना मैं आता हूँ सीता राम एक दुकान पर ब्याज का पैसा माँगने गए लेकिन दुकान वाला उनकी हालत देख उनको सुनाने लगा वापस कहाँ से करोगे पांडे जी..
कोई नोमनी लाओ तभी मै पैसे दे पाऊंगा, बगल मे खड़ी कार से एक दुबली पतली महिला जो की पांडे जी को देख रही थी तेजी से उनको आवाज़ लगाती है लेकिन पांडे जी बिना कुछ सुने तेजी से हॉस्पिटल की तरफ जाते हैं और वहाँ पर रोते हुए विनती करते हैं कि मैं पूरा पैसा जमा कर दूंगा बस इलाज में कमी न हो.
लेकिन एक डॉक्टर उनको हड़काते हुए धक्का देता है तभी सामने से बड़ी डॉक्टर आती हुई गिरते हुए पांडे जी को पकड़ती है और सभी स्टाफ को डांट लगाती है और अपनी केबिन में जाती है!
और कुर्सी में बैठे बैठे सोचती है पांडे सर हाँ आज मैं जो हूँ उनकी वजह से,
सीमा ने जैसे- तैसे अपने गांव से अपना हाईस्कूल इंटर कंप्लेट कर लिया था और अब आगे की पढाई के लिए कॉलेज में पढ़ने के मन से अपने घर में अपनी पढ़ाई की बात बाबा को बताई थी बाबा ने थोड़ी न नुकूर के साथ हामी भरी I और किसी तरह
मेहनत मजदूरी करके अपने बिटिया को शहर पढ़ने के लिए भेजा था शहर में सीमा का दाखिला भी एक अच्छे कॉलेज में हो गया सीमा ने इंटर विज्ञान वर्ग में किया था वो चाहती थी बड़ी डॉक्टर बनना जो लोगों का इलाज कर सके| शहर आकर एक-दो दिन ही होस्टल से कॉलेज गई थी लेकिन उसे बड़ा अच्छा लगा था अपने गांव की थोड़ी याद तो आती थी बाबा की याद आती थी लेकिन फिर भी उसे कॉलेज में अपनापन लगने लगा था एक दो सहेलियाँ भी उसकी बन गई थी और जो उसके क्लास टीचर थे वो सीमा को बहुत अच्छे लगे क्योंकि उनका बहुत सरल स्वभाव था और इस वजह से वह अपनी हर बात सर को धीरे से बता पाती थी एक दो पीरियड लगने के बाद जब कभी भी सर फ्री होते तो कॉलेज की फील्ड में जाकर बैठ जाते और सीमा अपने जो भी डाउट होते वहीं क्लीयर कर लेती और सर को बोलती एक दिन मैं डॉक्टर बनूगी सर, वो सीमा को बेटी की तरह मानते थे सीमा की पैसे से भी मदद करते देते लेकिन ये बात किसी को अच्छी नही लगती थी| उसके गांव से हजार दो हजार जो बाबा भेजते जो कम पड़ते सर देते और बोलते , सीमा जब तुम कमाने लगोगी पूरा पैसा वसूल लूंगा " एक साल बीत गया सीमा का पेरफॉर्मेंस भी अच्छा रहा , एक दिन सर के घर में पूजा थी कुछ स्टाफ के अलावा सीमा को भी आमंत्रण दिया था , सीमा भी गई सभी स्टाफ के जाने के बाद सर ने कहा सीमा रात हो गई है अकेके कहाँ जाओगी थोड़ी देर रुको सब समान व्यवस्थित करके मैं चलता हूँ छोड़ देता हूँ . सर ने कहा खाना खा लो और मिठाई वग़ैरह भी पैक कर लो.
सीमा ने खाना खाया और सर ने भी खाना खाने के बाद सीमा को कुछ गिफ्ट देकर होस्टल में छोड़ा. दो दिन बाद सुबह जब सीमा कॉलेज गयी तो उसके बाबा कॉलेज आ चुके थे किसी ने बाबा से शिकायत कर दिया था कि सीमा रात को सर के साथ उनके घर पे थी सीमा की बात पर नाराज होके उसको गाँव ले जाना चाहते थे ये बात सर को पता चली उन्होंने सीमा के पिता से बात की हांथ जोड़कर बोले सीमा आपकी बेटी है आप उसका भला बुरा ज्यादा जानते हैं पर उसकी पढाई मत बन्द करिये क्योकिं मै जिम्मेदार हूँ इस लिए तो बिल्कुल नही मैं सीमा को अपनी बेटी जैसा मानता हूँ मेरी भी बेटी है बिल्कुल सीमा के जैसी वो विदेश में पड़ती है जब सीमा को देखता हूँ तो बेटी की याद आती शायद इस लिए मैं सीमा की मदद भी करता हूँ के उसको पढाई में दिक्कत न हो और उसका भविष्य बन जाए एक लड़की जब आगे बढ़ती है तो दो परिवार का विकास करती है आप को पसन्द नही मेरा सीमा से मिलना बोलना मैं सब बन्द कर दूंगा पर उसकी पढाई न बन्द करिये, मैं जो भी थोड़े बहुत पैसे देता था वो आपको भेज दिया करूँगा आप उसको दे दीजियेगा लड़की की पढाई न रुके मैं आपके ऊपर ये एहसान नही कर रहा हूँ, बस ये समझ के दूंगा की मन्दिर में कुछ प्रसाद दान दे रहा हूं|
सर के बहुत समझाने के बाद बाबा ने कॉलेज पूरा करने दिया था, पढाई पूरी होते ही आगे की पढाई के लिए फेलोशिप भी मिल गई और दूसरे शहर जाने के बाद गाँव और बाबा तो साथ रहे लेकिन सर का साथ छूट गया ..
पर आज इतने साल बाद सर बाहर लड़ क्यों रहे थे वो तो बहुत शांत और सरल थे तभी केबिन में नर्स आकर बोली मैडम वो आपरेशन कैंसिल करते हैं बुढ्ढा पैसे नही जमा किया है ऊपर से स्टाफ से झगडा कर रहा वो अलग..
तो आपको इस शहर में कहीं घूमना हो तो आप जा सकती हैं
सीमा, लेकिन जो केस स्टडी किया है बहुत सिरियस है उसकी जान को खतरा है|
नर्स कौंध कर बोली , मैडम खतरा के बारे में उसको सोचना चाहिए पैसा भी नही जमा किया ऊपर से आपने भी देखा न कैसे झगडा कर रहा था स्टाफ से हाल में..
सीमा को पूरेे मामले को समझने में देर नही लगी .
नर्स से बोली जल्दी से मुझे मरीज के कमरे में ले चलो सीमा जैसे ही कमरे के गेट पर पहुचीं तो देखा सर पत्नी के हाँथ को पकड़ के रो रहे थे और माफी मांग रहे थे पैसे के अभाव में मैं तुम्हारा इलाज नही करवा पाया आज घर बेच रहा हूँ लेकिन कोई खरीदने को तैयार नही है,
आज जब अपनी बेटी नही है हमारे साथ जिसके लिए तुम जेवर तक बेच कर उसको पैसे भेजती थी.
सीमा आँखों में आंसू भर के सर के कंधे में हाँथ रखते हुए बोली मैडम का इलाज होगा सर,,,,
सर ने देखा दिमाग पर जोर डाला, "सर मैं सीमा याद आया कॉलेज में आप पोस्टेड थे " अरे हाँ तुम इतनी बड़ी हो गई खुश रहो
जीती रहो I
सारा स्टाफ कमरे में आ चुका था सबकी आँखों से आंसू रुक नही रहे थे, इतनी बड़ी डॉक्टर रो रही थी,
सीमा आपकी सीमा सर डॉक्टर सीमा हो गई है आज मैं जो भी हूँ आपकी वजह से सर,
स्टाफ को डाट कर तुरन्त ऑप्रेशन की तैयारी करो.
तेजी से सीमा सीजर करने के लिए जाती है पूरे होस्पिटल में काम ने स्पीड पकड़ ली थी|
आधा घण्टे बाद सीमा सर के पास आकर बोली मैडम एकदम ठीक हैं सर, पांडे जी ने सीमा को खुशी से गले लगा कर बोले मैं जल्दी ही सारा पैसा चुका दूंगा तुम्हारा ये उपकार कभी नही भूलूंगा.
"सीमा ने कहा आज मैं जो हूँ आपकी वजह से पैसे की बात करके मुझे पराया मत करिये
मैं आपकी बेटी जैसी हूँ न तो बेटी ही रहने दीजिये "
सीमा ने स्टाफ से बोलकर पांडे जी की पूरी व्यवस्था करवायी और एक मोबाइल फोन लेकर सर को दिया , सर ये मेरी तरफ से इसमें मेरा नंबर सेव है
मैं जल्दी ही आपके घर आती हूँ आज मुझे जल्दी जाना है और यहाँ कोई दिक्कत हो तो मुझे फोन कर दीजियेगा ये मेरा नही आपका हॉस्पिटल है.
पूरा स्टाफ पांडे जी के साथ किये व्यवहार पर शर्मिंदा था,
सीमा ने सर के पैर छुये और चली गई
जया श्रीवास्तव
लखनऊ
उत्तर प्रदेश
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