सात वार नौ त्योहार वाली काशी भादो की तृतीया को रतजगा के साथ ही कजरी की परंपरा निभाएगी। काशीवासी आज रातभर जागकर जलेबा की मिठास का आनंद लेंगे। वहीं, महिलाएं कजरी की परंपरा भी निभाएंगी। दुर्गाकुंड मंदिर से लेकर हलवाई की दुकानों पर रतजगा की तैयारियां शुरू हो गई हैं।काशी विद्वत परिषद के मंत्री प्रो. रामनारायण द्विवेदी ने बताया कि भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि की शुरुआत एक सितंबर को रात 11.50 बजे से हो रही है। दो सितंबर को रात 8.49 बजे तिथि का समापन होगा। उदया तिथि के अनुसार महिलाएं कजरी तीज का व्रत दो सितंबर को रखेंगी। हालांकि, प्रतिपदा की हानि होने के कारण मां कूष्मांडा का जन्मोत्सव एक सितंबर को ही मनाया जाएगा।काशीवासी मां कूष्मांडा को जलेबा अर्पित करके प्रसाद स्वरूप ग्रहण करते हैं। दुर्गाकुंड स्थित मां कूष्मांडा मंदिर के महंत पं. ज्ञानेश्वर दुबे ने बताया कि भगवती कूष्मांडा का माला-फूल से तिरंगा श्रृंगार किया जाएगा। मां को 250 किलो जलेबा का भोग लगेगा। श्रृंगार के दर्शन शाम 6.30 तक होंगे। रात 8.30 बजे से मध्यरात्रि 12 बजे तक दरबार में संगीत का कार्यक्रम पं. ताड़केश्वर दुबे के संयोजन में होगा।

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