वृन्दावन। छीपी गली स्थित ठाकुर श्रीप्रियावल्लभ कुंज में श्रीहित परमानन्द शोध संस्थान के संस्थापकाध्यक्ष आचार्य विष्णुमोहन नागार्च के कर कमलों द्वारा श्रीहित हरि राधाचरण दास, लंदन(इंग्लैंड) को युद्ध स्तर पर श्रीराधावल्लभ संप्रदाय के रसिक संतों की वाणियों के शोध व संकलन करने के लिए उन्हें सम्मानित किया गया।साथ ही प्रशस्ति पत्र, ठाकुरजी का पटुका, प्रसादी-माला आदि भेंट कर उन्हें "वाणी मधुकर सम्मान" से अलंकृत किया गया।
श्रीहित परमानन्द शोध संस्थान के संस्थापकाध्यक्ष आचार्य विष्णुमोहन नागार्च ने कहा कि श्रीहित हरि राधाचरण दास, लंदन(इंग्लैंड) ने बहुत ही अल्प आयु में ही इतना प्रभावशाली कार्य किया है,जिसका प्रभाव अनेकों देश में देखने को मिल रहा है।इन्होंने न केवल श्रीराधावल्लभ सम्प्रदाय के लिए अपितु अन्य संप्रदायों के लिए भी अति सराहनीय वाणी शोधन कार्य किया है।इनके द्वारा अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर बहुत से जिज्ञासुओं, प्रभु भक्तों, रस पिपासुओं एवं अन्य सभी बुद्धिजीवियों की कई गुत्थियों को अति सुगमता से स्पष्ट रूप में प्रस्तुत कर उनकी शंकाओं का निवारण किया गया है।
श्रीहित परमानन्द शोध संस्थान के समन्यवक डॉ. गोपाल चतुर्वेदी ने कहा कि श्रीहित हरि राधाचरण दास, लंदन(इंग्लैंड) पूर्णतया प्राचीन पांडुलिपियों, ग्रंथो के संरक्षण, प्रकाशन इत्यादि के लिए लगातार समर्पण भाव से कार्य कर रहे हैं।इन्होंने अंग्रेजी भाषा में कई शोध पत्र लिखे हैं।साथ ही कई वाणियो का अंग्रेजी भाषा में अनुवाद भी किया है।इनके इस अद्भुत अति प्रभावशाली कार्य को देखते हुए हमारा संस्थान उन्हें सम्मानित करके गर्व की अनुभूति कर रहा है।
इस अवसर पर श्रीहित राधाकृष्ण सेवाकुंज, वृंदावन पर्थ ऑस्ट्रेलिया शाखा की अध्यक्ष श्रीहित कल्याणी रंगदेवी प्रिया सखी, भागवताचार्य आचार्य ललित वल्लभ नागार्च, पूर्व पार्षद रसिक वल्लभ नागार्च, हित वल्लभ नागार्च, युवा साहित्यकार डॉ. राधाकांत शर्मा, तरुण मिश्रा, भरत शर्मा, रास बिहारी मिश्रा, जुगल किशोर शर्मा, हितानंद नागार्च, रसानंद नागार्च आदि की उपस्थिति विशेष रही।संचालन डॉ. गोपाल चतुर्वेदी ने किया।
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