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शोभा एक अमीर घर में पली बड़ी शुरू से उसको पैसे और आज़ादी की कोई कमी नही थी, कॉलेज में भी वो बिल्कुल आज़ाद परिंदा थी, उसकी सब दोस्त सोचती के काश ऐसी ज़िंदगी उनको भी मिलती..
क्योंकि शोभा खुले विचारों की थी तो उसको एक अपनी ही सोच का लड़का पसन्द आ गया धीरे- धीरे दोस्ती प्यार में बदल गयी.
शोभा ने घर पे अपने बॉय फ्रेंड के बारे में बताया सब लड़के से मिले और शादी के लिए मान गए..
शोभा की शादी बड़ी धूम धाम से रोहित के साथ हो गई क्योंकि रोहित एक बड़ी कंपनी में काम करता था तो शहर ही रहता था उसके घर वाले सब गाँव में रहते थे शोभा रोहित की शादी के सभी मेहमान चले गए और अब दोनों आराम से रहने लगे |
थोड़ा समय बीता तो शोभा ने सोचा जॉब कर ले क्योंकि शादी अब चुकी थी सब सुख सुविधा थी ही पर दिन भर में अकेली शोभा परेशान रहती तो शोभा ने भी बड़ी कंपनी में जॉब कर ली दोनो काफी खुश थे |
एक साल बीता ही था कि शोभा माँ बन गई चूकि अब दोनों कोई बच्चा नही चाहतें थे अभी शोभा और रोहित कुछ साल ऐसे ही बिताना चाहतें थे,,
पर शोभा के मायके वाले और रोहित की माँ चाहती थी बच्चा हो तो जैसे तैसे शोभा को एक प्यारी बेटी हुई|
अब बेटी को सभाले कौन शुरू में तो रोहित की माँ थी फिर उनको भी गाँव जाना था क्योंकि उनकी पूरी गृहस्थी गाँव में थी..
शोभा और रोहित ने एक नौकरानी रख ली जो बच्ची की देखभाल करे और साथ खाना पीना भी देखे, एक नौकरानी आयी जिसने बच्चे के साथ घर की भी जिम्मेदारी उठा ली थी
आज सुबह साढ़े सात बजे जब शोभा की बेटी निमि स्कूल के लिए तैयार हुई तो चुपके से ऊपर मम्मी के बेडरूम में गई धीरे से डोर सरकाया देखा तो सारा सामान बिखरा पड़ा था। नीचे ड्राइंग रूम में आई तो पापा सोफे पर बेसुध सो रहे थे। अपने रुम में आकर उसने अपनी गुल्लक में से पचास रुपए निकाल कर पॉकेट में रख लिए। बैग उठा कर बस के लिए निकलने लगी तो सविता जो की उनकी नौकरानी थी निमि के पास आयी, निमि बेटी आलू का परांठा बनाया है खा लो।
निमि ने मायूस नजरों से सविता को देखा और बोली मुझे भूख नहीं है। सविता ने जबरदस्ती टिफिन उसके बैग में डाला।
निमि स्कूल के लिए निकल गई सविता सोचने लगी कि बेचारी छोटी बच्ची साहब और और शोभा मैडम की रोज रोज की लडा़ई झगडे के बीच कैसे 15 साल की हो गई थी। बेटी के होने के बाद शोभा और रोहित बिल्कुल अपनी अपनी ज़िंदगी में खो गए थे दोनों का एक दूसरे के ऊपर कोई जोर नही था साथ रहते हुए इतना ऊब गए थे के अब अलग रहना चाहते थे लेकिन आज़ाद रहने के लालच में दोनों बेटी निमि को अपने साथ नही रखना चाहते थे शायद इसी वजह से दोनों एक ही घर में अब तक रह रहे थे|
सविता पिछले ,15 सालों से शोभा और रोहित के यहां काम कर रही है। दोनों मल्टीनेशनल कंपनी में ऊंचे पदों पर कार्यरत हैं निमि उनकी इकलौती बेटी है किसी चीज की कोई कमी नहीं है। पर हर समय दोनों एक दूसरे से लड़ते रहते हैं। रोहित पिछले कुछ समय से शोभा से तलाक की अर्जी कोर्ट में डाल चुका है और चाहता है बेटी की जिम्मेदारी शोभा उठाए और शोभा भी जिम्मेदारी से बचना और जायदाद में हिस्सा चाहती है। इस कारण दोनों लड़ते रहते हैं।
बच्चे की जिम्मेदारी कोई नहीं लेना चाहता इसलिए दोनों एक दूसरे के लिए अपशब्दों का इस्तेमाल करते हैं बेचारी निमि कॉलेज से घर आकर अपने कमरे में सिमट कर रह जाती है केवल सविता से ही बात करती है।रोज की तरह शोभा और रोहित ऑफिस के लिए निकल गये.. दोपहर में उनको से कॉल आया कि जल्दी हास्पिटल पहुंचो आपकी बेटी को चोट आई है। हॉस्पिटल पहुंच कर पता चला कि निमि मार्केट जा रही थी उसका एक्सीडेंट हो गया है। आईसीयू में रखा गया था। आपरेशन की तैयारी हो रही थी
सिर में बहुत गहरी चोट आई थी।ऑपरेशन शुरू हुआ पर सफल नही हुआ निमि की मौत हो गई ऐसा डॉक्टर बोले। शोभा और रोहित स्तब्ध रह गए उन्हें ऐसा झटका लगा था कि अपनी सुध-बुध ही खो बैठे थे। निमि की दादी भी गाँव आ गई थी बेटा बहू को देखकर नफरत से मुंह फेर लिया। बेटी की तेरहवीं निबटने के बाद रोहित ने अपनी मां को रोकना चाहा पर उन्होंने आंखों में आंसू भर कर कहा तुम दोनों खूनी हो तुम्हारी जिद मेरी पोती को खा गई।
मैं उसे अपने साथ ले जाना चाहती थी पर तुम दोनों ने उसे अपने अहम का मोहरा बना कर उसकी जान ले ली। मां चली गई। सविता तब से सदमे में थी फिर उसने जैसे तैसे होश संभाला रोहित और शोभा से कहा मेमसाब मैं अब यहां नहीं रह पाऊंगी इस घर की दीवारें मेरी निमि की सिसकियों से भरी हैं उसे मैंने अपनी गोद में तो छिप कर रोते हुए देखा है।मेरा मन किया कि उसे लेकर भाग जाऊं पर मैं थी ऐसा नहीं कर सकी अगर चली जाती तो शायद आज वो जिंदा होती। रोहित और शोभा चुप उसको सुन रहें थे। जैसे जैसे दिन बीत रहे थे पति पत्नी का झगड़ा अब लगभग बन्द ही हो गया था। उनके अंदर था तो बस आत्म ग्लानि जो अंदर ही अंदर परेशान कर रहा था आज कई दिन बाद दोनों पति पत्नी घर पे थे , चारों तरफ सन्नाटा था शोभा बड़ी हिम्मत करके निमि के कमरे में गई थी पहले तो कभी जाते ही नही थे ,
उसका रूम उसका बेड तकिया उसकी किताबें उसकी पेंसिल पैन स्कूल बैग सब वैसे ही रखा था तभी उसके हाथ एक डायरी लगी। जिसमें लिखा था
पापा आप मम्मी को कहते हो कि तुम्हारी बेटी। और मम्मी आप पापा को कहते हो तुम्हारी बेटी आप दोनों ये क्यों नहीं कहते कि हमारी बेटी।
अगले पेज पर था पता है जब मैं मामा जी के घर जाती हूं मामा मामी मुझे बहुत प्यार करते हैं मामी अनु को जब प्यार से मेरा बच्चा कहती हैं तो मुझे लगता है कि मैं प्यारी बच्ची नहीं हूं फिर भी आपने मुझे कभी मेरा बच्चा नहीं कहा।
मम्मा मुझे राजमा बहुत पसंद है मैंने आपको बनाने को कहा था पर आपने कहा मुझे परेशान मत करो। जो खाना है सविता आंटी को बोला करो वो बना देंगी।मम्मा मैंने राजमा खाना छोड़ दिया है अब अच्छा नहीं लगता।
पापा मुझे आपके चिल्लाने से बहुत डर लगता है। पापा मैं आपके साथ आइसक्रीम खाने जाना चाहती हूं। अब तक गई हूँ मैं वहाँ जाना चाहती हूं जहां मुझे ये न सुनाई दे कि निमि को मैं नहीं रखूंगी। जहां पापा के चिल्लाने की आवाज न सुनाई दे। पापा अगर मैं बड़ी होती तो मैं आप दोनों को कभी परेशान नहीं करती मैं खुद ही चली जाती। मैं आप दोनों से बहुत प्यार करती हूं। आप दोनों मुझे प्यार क्यों नहीं करते। जिस रिश्ते को हम बोझ समझते थे हमारी निमि ने उससे हमें आजाद कर दिया। रोहित हम दोनों ने अपनी बच्ची का खून किया है। रोहित फूट-फूट कर रो पड़ा।
बार बार बेटी से माफ़ी मांग रहा था..
जया श्रीवास्तव
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