इलाहाबाद हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति जस्टिस अनीश गुप्ता ने स्पष्ट कहा है कि आरोपी और पीड़िता के बीच लंबे समय से संबंध थे और पीड़िता के साथ उसके परिवार वालों को भी इस रिश्ते के बारे में पता था इसलिए इस तरह के रिश्ते के टूटने के बाद इसे दुष्कर्म नहीं माना जा सकता। कोर्ट के द्वारा स्पष्ट कहा गया कि आरोपी और पीड़िता 15 साल से एक दूसरे को जानते थे और 8 साल से भी ज्यादा लंबे समय तक शारीरिक संबंध में रहे थे इसमें पीड़िता की सहमति थी और उसके इच्छा के खिलाफ कुछ भी नहीं हुआ था।
इस मामले में कोर्ट कर रहा था सुनवाई।
जिस केस की कोर्ट के द्वारा सुनवाई की जा रही थी वह केस इस प्रकार से था कि 2008 में एक लड़की की मुलाकात गोरखपुर के रहने वाले जियाउल्लाह के साथ में हुई थी धीरे-धीरे दोनों में प्यार हो गया 2013 में दोनों के बीच शारीरिक संबंध भी बन गए लड़की जियाउल्ला से शादी करना चाहती थी लेकिन उसने शादी से इनकार कर दिया इसके बाद लड़की ने संत कबीर नगर थाने में जियाउल्लाह के खिलाफ रेप का केस दर्ज कर दिया इस सिलसिले में आरोपी ने अदालत का दरवाजा खटखटाया था आरोपी के द्वारा यह बताया गया था कि वे दोनों रिलेशनशिप में थे लिहाजा या कहना कि उसके द्वारा लड़की का रेप किया गया है गलत है संबंध दोनों की मर्जी से बना था इसमें किसी ने कोई जोर जबरदस्ती नहीं की थी लेकिन पुलिस ने लड़की के बयान पर मुकदमा दर्ज कर लिया था जिसकी सुनवाई में न्यायालय के द्वारा यह निर्णय दिया गया ।
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