मथुरा। मीडिया का लोकतंत्र में महत्वपूर्ण योगदान है। पत्रकार लोकतंत्र के प्रहरी हैं और सम्मान के पात्र इसलिए लोकतंत्र की मजबूती एवम पत्रकारिता के लिए पत्रकारों का प्रोत्साहन अति आवश्यक है। हम निर्भीक और निष्पक्ष पत्रकारिता में विश्वास करते हैं। तथा राष्ट्रहित और पत्रकार हित के लिए वचनबद्ध हैं।
इस सन्दर्भ में राष्ट्रवादी पत्रकार श्री राजकुमार गुप्ता जी ने कहा कि लोकतांत्रिक देश में पत्रकारिता का राष्ट्रहित में महत्वपूर्ण योगदान है, लेकिन आज के दौर में सच लिखने वाले हिम्मत करने वाले पत्रकारों का शोषण चिंता का विषय है। लेकिन लोकतंत्र के चौथे स्तंभ को बिना किसी भय के राष्ट्रहित में लिखने की हिम्मत को बनाए रखना है। और पत्रकारों को पत्रकारिता की गरिमा बनाए रखने की जरूरत है। आज के डिजिटल दौर में भी प्रिंट मीडिया की विश्वसनीयता पर कोई कमी नहीं आई है और लोग आज भी प्रिंट मीडिया का सम्मान करते हैं। लेकिन कुछ फर्जी मीडिया पत्रकारिता की गरिमा को ठेस पहुंचाने का काम कर रही है। जिस पर रोक लगने की जरूरत है। कुछ फर्जी पत्रकार मीडिया की गरिमा को ठेस पहुंचाते हैं यह चिंताजनक बात है। क्युकी पत्रकार ही नहीं, पूरी की पूरी पत्रकारिता खतरे में हैं। अब सवाल यह नहीं है कि बेबाक पत्रकार कैसे बचेंगे, सवाल यह है कि स्वतंत्र और निडर पत्रकारिता बचेगी या नहीं,जिस तरह गधे की गले में टाई बांधने से गधा कोई वकील नहीं बन जाता ठीक उसी तरह गले में 5 या 4 कार्ड डाल कर कोई पत्रकार नहीं बन सकता। पत्रकारिता में कोई कठोर नियम ना होने के कारण अनपढ़ गधे जाहिल गवार भी चंद रुपए देकर प्रेस कार्ड हासिल कर पत्रकार बन जाते हैं और समाज में अपना रोब गांढ सकता है ऑफिस को अपने इशारों पर कार्य करा सकता है बेचारी पुलिस को इस बात का ज्ञान नहीं होता कि वह शिक्षित है क्या नही आपसे कुछ भी सूझ बुझ नहीं होगी ना ही अपनी क्वालिफिकेशन अथॉरिटी देखी जाएगी। वह सामाजिक है या असामाजिक तत्व डिजिटल इंडिया के इस युग में पत्रकार बनना कोई मुश्किल काम नहीं है इस युग में पत्रकार बनने के लिए आपको एक स्मार्टफोन और इंटरनेट की आवश्यकता होगी वक्त के साथ-साथ दुनिया बदलती है साहिब और बदलते दौर के साथ पत्रकारों की पत्रकारिता भी बदल गई है जिसके चलते आपको सिर्फ पांचवी छठी पास होना अनिवार्य है या वो भी ना हो बस अक्षरों का ज्ञान होना ही अनिवार्य है तो भी चलेगा भले ही आपको पत्रकार के मूल सिद्धांत अधिकार परिभाषा कर्तव्य नियम के बारे में कुछ भी जानकारी ना हो फिर भी आप पत्रकार बन सकते हैं आज दोस्तों ऐसा वक्त आ गया है यदि कोई घटना घटी हो या घटने वाली हो उसे पहले से ही समाज के लोग पत्रकार को खबर कर देते हैं कि फला घटना घट चुकी है बाद में पुलिस को पत्रकार अपना मान मर्यादा भूलता जा रहा है और पत्रकारिता को बदनाम कर रहा है इसका उद्देश्य आपको बहुत जगह देखने को मिला होगा लेकिन यह झोलाछाप पत्रकारिता मथुरा सहित देश के विभिन्न कोने में कुछ लोगों को बरगलाकर पत्रकार बनने का काम भी कुछ फर्जी पत्रकार कर रहे हैं ऐसे लोग कुछ पैसे के लिए नवयुवक एवं कम पढ़े लिखे लोगों को पत्रकार बनकर पत्रकारिता का ही नाश कर रहे हैं , फर्जी पत्रकारों की पत्रकारिता जोर-शोर पर है और उन्हीं का बोलबाला है उनसे कोई पूछने वाला नहीं आइए आपको बताते हैं पत्रकारिता के कार्य प्रारंभिक अवस्था में पत्रकारिता को एक उद्योग के रूप में नहीं गिना जाता था । इसका मुख्य कार्य था नए विचार का प्रचार प्रसार करना। तकनीकी विकास, परिवहन व्यवस्था में विकास, उद्योग एवं वाणिज्य के प्रसार के कारण आज पत्रकारिता एक उद्योग बन चुका है। इसका कार्य भी समय के अनुसार बदल गया है। अब पत्रकारिता नाम की रह गई। सिर्फ दलाली और ब्लेकमेलिंग करने वाले पत्रकार की ही ऊंची पहुंच और रुतबा होता है। जबकि पत्रकारिता यह सिखाती है की हर छोटी से छोटी चीज को निडर होकर सबके सामने रखें चाहे वह कोई भी कार्य क्यों ना हो, कुछ छूटभैया पत्रकार छोटी सी दुकान से लेकर चाहे वह राशन की दुकान हो मिठाई की दुकान हो या अन्य कोई भी प्रतिष्ठान हो पत्रकारों को बस हर दलाली और कमीशन चाहिए चाहे वह किसी प्रकार से आए वह बस इसी को पत्रकारिता कहते हैं। क्या इसी को पत्रकारिता कहते हैं ?
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