जौनपुर। नगर व ग्रामीण क्षेत्रों में हर्षोउल्लास से मनाया गया पावन पर्व रक्षाबंधन

मुंगराबादशाहपुर,जौनपुर। रक्षाबंधन का त्योहार क्षेत्र में धूमधाम से मनाया गया। बहनों ने भाइयों के कलाई पर रक्षासूत्र बांधकर रक्षा का संकल्प दिलाया। भोर से ही भाई बहनों के घर जाने के लिए निकल पड़े। लोगों ने बुधवार को भद्रा होने के कारण रक्षाबंधन का पर्व गुरुवार को अधिकतर लोगों ने मनाया। वहीं महिला मोर्चा की नीलम गुप्ता व काशी प्रांत की अर्चना शुक्ला द्वारा क्षेत्रवासियों को रक्षा सूत्र बांधने का सिलसिला जारी है। 

सुबह लोगाें ने स्नान आदि के बाद स्वच्छ परिधान पहनकर बहनों से कलाई पर राखी बंधवाई। राखी बांधने से पहले बहनों ने भाइयों का मुंह मीठा किया और तिलक लगाया। भाइयों ने बहनों की रक्षा का संकल्प लिया। नगर से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों तक मिठाई की दुकानें सज गईं थीं। बहनों ने मिठाई और राखी की दुकान पर खरीदारी जमकर की। सुबह बाइक से बहनें भाई के घर गईं। कहीं-कहीं भाइयों ने बहनों के घर जाकर राखी बंधवाया। पूरे दिन रक्षा का पर्व धूमधाम से मनाया गया। बच्चाें में भी रक्षाबंधन का उल्लास देखने को मिला। भाइयों ने बहनों की लंबी उम्र के लिए दुआ मांगी। भाई-बहन के पवित्र रिश्ते का त्योहार रक्षाबंधन परंपरागत हर्षोउल्लास से मनाया गया। वहीं भाजपा किसान मोर्चा क्षेत्रीय मंत्री मछलीशहर काशी प्रांत अर्चना शुक्ला, महिला मोर्चा मंडल अध्यक्ष नीलम गुप्ता ने ऑटो, ई रिक्शा, नगरवासियों सहित पुलिसकर्मियों को रक्षा सूत्र बंधकर मिठाई खिलाकर पावन पर्व धूमधाम से मनाया। इस अवसर पर बहनों ने भाइयों की कलाई में रेशम का धागा बांध कर अपना प्यार लुटाया। बुधवार को भाई शुभ मुहूर्त में राखी बंधवाने अपनी बहनों के घर पहुंचे। जिन भाइयों की बहनों का घर दूर था, वे शुभ मुहूर्त में राखी बंधवाने को एक दिन पहले ही बहन के घर पहुंच गए। बहनों ने अपने भाइयों की कलाई पर रेशम का धागा बांध कर उनके दीर्घ जीवन की कामना की। इस अवसर बहनों ने भाई को तिलक लगाकर उनको मिठाई खिलाईं। भाइयों ने बहनों को रक्षा बांधने के बदले उनकी रक्षा का बचन देकर उन्हें उपहार भी दिए। रक्षाबंधन के खास मौके पर दौलतिया मंदिर पर भाई बहनों की भीड़ देखी गई। इस अवसर लोग मंदिर जाकर भगवान बजरंग बली का पूजन अर्चन किए। मंदिर पर सुबह से ही श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा। क्षेत्र में राखी के पवित्र त्योहार को श्रद्धा और प्यार से मनाया गया। रक्षाबंधन पर बहन से राखी बंधवाने के बाद लोगों ने खीर, पूड़ी, मालपूवा आदि परंपरागत पकवानों को छककर खाया।


क्यों मनाया जाता है रक्षाबंधन का त्योहार, क्या है इससे जुड़ी मान्यता और पौराणिक कथा,रक्षाबंधन त्योहार को मनाने की शुरुआत बहुत पौराणिक है। ऐसा कहा जाता है कि इस त्योहार को देवी - देवताओं के समय से मनाया जा रहा है, यहां जानते हैं यह पवित्र त्योहार क्यों मनाया जाता है।

रक्षाबंधन का त्यौहार हिंदू धर्म का ऐसा त्योहार है जिसे भाई-बहन के प्रेम का प्रतीक माना जाता है। उस दिन भाई अपनी बहन की जीवन भर रक्षा करने का वचन देता है, इस दिन बहने अपने भाई की कलाई पर एक रक्षा सूत्र बांधती हैं, मिठाई खिलाती हैं और भाई की आरती उतारती हैं। इसके बादअपनी बहन को कुछ तोहफा देकर जिन्दगी भर रक्षा करने का वचन देता है, यह पर्व हर साल बहुत ही पवित्र दिन यानि श्रावण मास की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। इस त्योहार को राखी के नाम से भी जाना जाता है।


हिंदू धर्म के पवित्र त्योहारों में से एक और भाई-बहन के पवित्र रिश्ते का प्रतीक राखी का त्यौहार ढेर सारी खुशियां लेकर आता है। रक्षाबंधन शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है रक्षा + बंधन अथार्त् रक्षा का बंधन , यानी इस रक्षा सुत्र को बंध जाने के बाद एक भाई अपनी बहन की रक्षा करने को बाध्य हो जाता है . रक्षाबंधन त्योहार को मनाने की शुरुआत बहुत पौराणिक है . ऐसा कहा जाता है की इस त्योहार को देवी – देवताओं के समय से मनाई जा रहा है .आइए यहां जानते हैं यह पवित्र त्योहार क्यों मनाया जाता है.

मां संतोषी की कहानी

एक दिन भगवान श्री गणेश जी अपनी बहन मनसा देवी से रक्षा सूत्र बंधवा रहे थे तभी उनके दोनों पुत्र शुभ और लाभ ने देख लिया और इस रस्म के बारे में पूछा तब बगवान श्री गणेश ने इसे एक सुरक्षा कवच बताया। उन्होंने बताया की यह रक्षा सूत्र आशीर्वाद और भाई-बहन के प्रेम का प्रतीक है। यह सुन कर शुभ और लाभ ने अपने पिता से ज़िद की कि उन्हें एक बहन चाहिए और अपने बच्चों की जिद के आगे हार कर भगवान गणेश ने अपनी शक्तियों से एक ज्योति उत्पन्न की और अपनी दोनों पत्नियों रिद्धि-सिद्धि की आत्मशक्ति के साथ इसे सम्मिलित किया। उस ज्योति से एक कन्या (संतोषी) का जन्म हुआ और दोनों भाइयों को रक्षाबंधन के मौके पर एक बहन मिली।


मां लक्ष्मी ओर राजा बलि की कहानी

एक बार की बात है जब असुर राजा बलि के दान धर्म से खुश होकर भगवान विष्णु ने उससे वरदान मांगने को कहा तो राजा बलि ने विष्णु भगवान से अपने साथ पाताल लोक में चलने को कहा और उनके साथ वही रह जाने का वरदान मांगा, तब विष्णु भगवान उनके सात बैकुंठ धाम को छोड़ कर पाताल लोक चले गए, बैकुंठ में माता लक्ष्मी अकेली पड़ गईं और भगवान विष्णु को दोबारा वैकुंठ लाने के लिए अनेक प्रयास करने लगीं। फिर एक दिन मां लक्ष्मी राजा बलि के यहां एक गरीब महिला का रूप धरण कर के रहने लगीं। जब मां एक दिन रोने लगी तब राजा बलि ने उनसे रोने का करण पूछा, मां ने बताया कि उनका कोई भाई नहीं है इसलिए वे उदास हैं। ऐसे में राजा बलि ने उनका भाई बनकर उनकी इच्छा पूरी की और माता लक्ष्मी ने राजा बलि की कलाई पर रक्षा सूत्र बांधा। फिर राजा बलि ने उनसे इस पवित्र मौके पर कुछ मांगने को कहा तो मां लक्ष्मी ने विष्णु जी को अपने वर के रूप में मांग लिया और इस रह श्री विष्णु भगवान बैकुंठ धाम वापस आए।

श्री कृष्ण और द्रौपदी की कहानी

माहाभारत के दौरान एक बार राजसूय यज्ञ के लिए पांडवों ने भगवान कृष्ण को आमंत्रित किया। उस यज्ञ में श्री कृष्ण के चचेरे भाई शिशुपाल भी थे, उस दौरान शिशुपाल ने भगवान कृष्ण का बहुत अपमान किया। जब पानी सिर के ऊपर चला गया तो भगवान कृष्ण को क्रोध आ गया। क्रोध में भगवान श्री कृष्ण ने शिशुपाल पर अपना सुदर्शन चक्र छोड़ दिया, लेकिन शिशुपाल का सिर काटने के बाद जब चक्र भगवान श्री कृष्ण के पास लौटा तो उनकी तर्जनी उंगली में गहरा घाव हो गया। यह देख कर द्रौपदी ने अपनी साड़ी से एक टुकड़ा फाड़कर भगवान कृष्ण की उंगली पर बांध दिया। द्रौपदी के इस स्नेह को देखकर भगवान कृष्ण बहुत प्रसन्न हुए और द्रौपदी को वचन दिया कि वे हर स्थिति में हमेशा उनके साथ रहेंगे और हमेशा उनकी रक्षा करेंगे।

महारानी कर्णावती और सम्राट हुमायूं की कहानी

जब चित्तौड़ पर सुल्तान बहादुर शाह आक्रमण कर रहे तब महारानी कर्णावती ने अपने राज्य की सुरक्षा के लिए सम्राट हूमायूं को राखी भेजी और उनसे अपनी रक्षा की गुहार लगाई। हुमायूं ने राखी स्वीकार किया और अपने सैनिकों के साथ उनकी रक्षा के लिए चित्तौड़ निकल पड़े मगर हुमायूं के चित्तौड़ पहुंचने से पहले ही रानी कर्णावती ने आत्महत्या कर ली थी।

यम और यमुना

एक पौराणिक कहानी के अनुसार मृत्यु के देवता यम अपनी बहन यमुना से 12 वर्ष तक मिलने नहीं गये,तब यमुना दुखी हो गई और अपनी मां गंगा से इस बारे में बात की। मां गंगा ने यम तक यह खबर पहुंचाई कि यमुना उनकी प्रतीक्षा कर रही हैं और यह सुनते यम अपनी बहन युमना से मिलने आए, यम को देखकर यमुना बहुत खुश हुईं और उनके लिए बहुत सारे व्यंजन भी बनाए। यम यह प्रेम भाव देख कर बहुत ख़ुश हुए और उन्होंने यमुना को मनचाहा वरदान मांगने के लिए कहा। इस पर यमुना ने उनसे ये वरदान मांगा कि यम जल्द ही फिर से अपनी बहन के पास आए। यम अपनी बहन के स्नेह को देख कर बहुत खुश हुए।

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