वृन्दावन।छीपी गली स्थित ठाकुर श्रीप्रियाबल्लभ कुंज में श्रीहित उत्सव चैरिटेबल ट्रस्ट के द्वारा आचार्य विष्णुमोहन नागार्च महाराज की अध्यक्षता में चल रहे अष्ट दिवसीय श्रीराधा जन्म महामहोत्सव के अंतर्गत प्रातः श्रीराधा सुधानिधि ,हित चतुरासी, सेवक वाणी व यमुनाष्टक के पाठों का आयोजन एवं आचार्य श्रीहित ललित वल्लभ नागार्च के मुखारविंद से श्रीमद्भागवत महापुराण की रसमयी कथा के अंतर्गत भगवान श्रीकृष्ण जन्म की कथा का श्रवण देश के विभिन्न प्रांतों से आए भक्तों-श्रृद्धालुओं ने किया।
तदोपरांत निंबार्क कोट के सेवायत वृंदावन बिहारी महाराज एवं गोपालजी की अगवाई में हरिप्रिया एवं भट्टजी कृत राधा जन्म बधाइयों का संगीत की मृदुल स्वर लहरियों के मध्य संतों एवं भक्तों द्वारा गायन किया गया।सांय काल 4 बजे से जाब बठन कला के दाऊजी महाराज के समाजियों द्वारा समाज गायन में बसंत होली की समाज सुखबीर भारद्वाज की अगवाई में की गई।
व्यासपीठ से आचार्य श्रीहित ललित वल्लभ नागार्च ने कहा कि राधा-कृष्ण तत्व इसी प्रकार हैं- जैसे धूप और छाया, जल और तरंग।इनको अलग नहीं किया जा सकता है। इसी प्रकार राधा-कृष्ण तत्व को एक दूसरे से अलग नहीं किया जा सकता है।राधा चरण प्रधान उपासना को एकमात्र श्रीहितहरिवंश चंद्र महाप्रभु ने ही प्रकट किया है।
इससे पूर्व पण्डित राज कुमार शर्मा (आस्ट्रेलिया) का पुण्य स्मरण करते हुए आचार्य विष्णुमोहन नागार्च ने कहा की पंडित राज कुमार शर्मा (आस्ट्रेलिया) को संगीत के क्षेत्र में विश्वस्तरीय महारथ प्राप्त थी।सितारवादन में भारत सरकार ने उन्हें स्वर्णपदक से विभूषित कर सम्मानित किया था।भारत के अलावा उन्होंने इंग्लैंड, अमेरिका, जर्मनी, सिंगापुर आदि के विश्व विद्यालयों मे संगीत शिक्षा प्रदान की है।
इस अवसर पर वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. गोपाल चतुर्वेदी, नारायण भारद्वाज, पूरन सिंह, आचार्य रसिक वल्लभ नागार्च, डॉ. राधाकांत शर्मा, नीरज, दीनबन्धु, अमन शर्मा हरिदासी, सतीश शास्त्री, राधाचरण दास, युगल किशोर शर्मा, तरुण मिश्रा, भरत मिश्रा, हितवल्लभ नागार्च हितानंद, रसानंद, हितबल्लभ नागार्च आदि की उपस्थिति विशेष रही।
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