वृन्दावन।रमणरेती क्षेत्र स्थित फोगला आश्रम में सप्तदिवसीय श्रीमद्भागवत कथा सप्ताह ज्ञान यज्ञ महोत्सव के पांचवें दिन व्यासपीठ से श्रीहरिदासी वैष्णव संप्रदायाचार्य विश्वविख्यात भागवत प्रवक्ता आचार्य गोस्वामी मृदुल कृष्ण महाराज ने अपनी सुमधुर वाणी में सभी भक्तों-श्रृद्धालुओं को भगवान श्रीकृष्ण की बाल लीला व गिरिराज गोवर्धन पूजा की कथा श्रवण कराते हुए कहा कि गोवर्धन पूजा और अन्नकूट महोत्सव भगवान श्रीकृष्ण की एक अलौकिक लीला है।जिसमें एक ओर तो वे गिरिराज गोवर्धन के रूप में स्वयं पूज्य बने और दूसरी ओर उन्होंने नंदनंदन के रूप में ब्रजवासियों के साथ गाते-बजाते हुए गिरिराज गोवर्धन की पूजा-अर्चना की।वस्तुत: यह लीला हमारी पुरातन संस्कृति में निहित अपने आराध्य के प्रति आस्था के अतिरिक्त माधुर्य व वैभव का भी प्रतीक है।
पूज्य महाराजश्री ने कहा कि गिरिराज गोवर्धन कलयुग के साक्षात व प्रत्यक्ष देवता हैं,जो कि ब्रजभूमि में पर्वत रूप में विराजकर सदैव ही ब्रजवासियों की रक्षा करते हैं।वे स्वयं भगवान श्रीकृष्ण के ही अवतार कहे जाते हैं।इनकी पूजा व आराधना करने से श्रीकृष्ण और राधा दोनों ही की कृपा व्यक्ति पर बरसती है।
इस अवसर पर भगवान श्रीकृष्ण की अत्यंत नयनाभिराम और चित्ताकर्षक झांकी के दर्शन कराए गए।साथ ही गिरिराज गोवर्धन को 56 भोग लगा कर उसका प्रसाद वितरित किया गया।
महोत्सव में जस्टिस ज्ञान सुधा मिश्रा, महोत्सव की मुख्य यजमान श्रीमती अनुभी गोयल व शिवन्या चंद्र गोयल (नोएडा), वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. गोपाल चतुर्वेदी, प्रमुख समाजसेवी दासबिहारी अग्रवाल, पंडित उमाशंकर, आचार्य राजा पंडित, डॉ. राधाकांत शर्मा, पंडित रवीन्द्र, अमित पाठक आदि के अलावा विभिन्न क्षेत्रों के तमाम गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे।
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