जौनपुर। नगर पालिका कर्मचारियों की मनमानी से जनता त्रस्त
मुहल्लों में सफाई व्यवस्था चरमराई, अध्यक्ष का आदेश बेअसर
जौनपुर। दो दशक बाद स्थानीय नगर पालिका परिषद पर भाजपा ने अपनी रणनीति व कड़ी मेहनत के दम पर अध्यक्ष पद पर कब्जा कर कमल का फूल खिलाया था, तो लगा कि जिले में ट्रिपल इंजन की सरकार जनता के विकास कार्यों के साथ साथ साफ सफाई व अन्य कार्यों में तेजी दिखाई देगी पर लगता है कि इसका फायदा स्थानीय नगर पालिका के कर्मचारी उठाने में अब कामयाब हो रहे हैं।
अध्यक्ष पद पर आसीन मनोरमा मौर्या व उनके प्रतिनिधि रामसूरत मौर्य की हनक तो दूर की बात है कर्मचारी उनकी बात को भी नजर अंदाज करने से बाज नहीं आते हैं। नगर के 41 वार्डों में से न तो समय पर साफ सफाई होती है और न ही त्योंहारों व पर्व के मौके पर कोई ध्यान नहीं देते हैं। इस बारे में जब अध्यक्ष व उनके प्रतिनिधि को अवगत कराया जाता है तो वे अधिशासी अधिकारी व संबंधित विभाग के कर्मचारियों को फोन कर कार्य को करने का निर्देश देते हैं तो वो भी नजर अंदाज कर दिया जाता है। तत्कालीन अधिशासी अधिकारी संतोष मिश्रा ने नौ मोहर्रम को कदम रसूल छोटी लाइन इमामबाड़े पर पूर्व की भांति जनरेटर लगाने का आदेश विद्युत विभाग को लिखित में जारी किया था,लेकिन वहां जनरेटर नहीं पहुंचा। इस बारे में जब पूर्व सभासद शाहिद मेंहदी ने शिकायत किया तो ईओ ने कर्मचारी के विरूद्ध कार्रवाई शुरू की तो लेकिन स्थानांतरण होने के चलते कार्य ठंढे बस्ते में चला गया। नये अधिशासी अधिकारी पवन कुमार ने हाल ही में कार्यभार ग्रहण किया तो लगा कि कार्य में सुधार होगा पर नये होने के चलते कर्मचारी उनकी भी नहीं सुन रहे हैं। सफाई निरीक्षक अवधेश कुमार का रवैया तो सभासदों व नागरिकों से ऐसा है कि मानों वह उनपर एहसान कर रहे हैं जब उनसे सफाई व्यवस्था चुस्त दुरूस्त करने की बात कही जाती है तो वह आना कानी करते हुए अपनी पहुंच का धौंस जमाकर चले जाते हैं। आलम यह है कि कर्मचारी सुबह दस बजे के स्थान पर 11 बजे के बाद कार्यालय पहुंचते हैं और अपने पटल पर कुछ देर रहने के बाद शहरों में घूमते नजर आयेगें। इसके पूर्व सीआरओ रजनीश राय ने आकस्मिक छापेमारी कर कई कर्मचारियों को अनुपस्थित पाये जाने पर वेतन काटने का आदेश दिया था लेकिन इधर कई दिनों से उच्चाधिकारियों का निरीक्षण न होन से कर्मचारी मौज करते हुए नजर आते हैं। ऐसे में सवाल अब उठने लगा कि अध्यक्ष मनोरमा मौर्य व भाजपा की ट्रिपल इंजन की सरकार का भय भी इन कर्मचारियों पर नहीं है। एक तरफ ड़ेंगू पुन: पांव पसारने को तैयार है तो दूसरी तरफ मुहल्ले में इकट्ठा कूड़े कचरे की गंदगी व नालियों के बजबजाते गंदे पानी से आम जनता परेशान है तो कर्मचारी आंख मूंदकर बैठे हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर ये कर्मचारी प्रदेश में योगी आदित्यनाथ की सरकार को क्यों बदनाम करने चाहते हैं। यदि इन कर्मचारियों की लगाम नहीं कसी गई तो आम जनता का भाजपा की ट्रिपल इंजन की सरकार से भरोसा उठ जायेगा और 2024 के लोकसभा के चुनाव में इसका उन्हें खामियाजा उठाना पड़ सकता है।
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