राजकुमार गुप्ता बरसाना । राधा अष्टमी भाद्रपद शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाई जाती है । कृष्ण जन्माष्टमी के ठीक 15 दिन बाद राधा का जन्मोत्सव मनाया जाता है । राधाष्टमी के अवसर पर पूरे बरसाना को बिजली की झिलमिल झालरों से सजाया गया , हर गली, चैराहे श्रद्धालुओ से लबालब भरे हुए है। प्रात पांच बजे संसार की कल्याणकारी स्वरूपा व भगवान योगीराज श्रीकृष्ण की प्रिय और बृषभान और कीर्ति की दुलारी राधा रानी का जन्मोत्सव बड़ी ही धूमधाम से मनाया गया।
शुक्रवार की रात्रि करीब दो बजे गोस्वामी समाज के लोग मंदिर परिसर पहुंचे और लाड़ली जी के अवतरित होने से पूर्व उनकी जन्म की बधाई गाई । यह बधाई गायन जन्म तक चला। करीब दो बजे के आसपास ही मंदिर सेवायत मंदिर के गर्भ गृह में प्रवेश कर गए और वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ बृषभान नंदनी के मूल शांत किये । मूल शांति के लिए 27 कुओ का जल, 27 पेड़ों की पत्ती, 27 तरह के मेवा , 27 फल , सोने चांदी के मूल मूलनी और तेल से भरा कांसे का छाया पात्र का प्रयोग किया उसके बाद हवन किया गया । मूल शांति और हवन का कार्यक्रम लगभग 4 बजे तक चला । प्रात करीब पोने पांच बजे लाड़ली जी के विग्रह को मंदिर के जगमोहन में अभिषेक के लिए लाया गया । मंदिर के सेवायतों द्वारा दूध, शहद, घोघृत, बुरा, गुलाबजल, केसर, आदि का पंचामृत बना कर अभिषेक किया गया । अभिषेक के दौरान मंदिर में घंटा , घड़ियाल वाद्ययंत्र गुंजायमान हो रहे थे । बृषभान नंदनी के जन्म के दौरान सेवायतों ने श्रद्धालुओं पर खेल , खिलोने, मिठाई लुटाये।
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