दिल्ली में होने वाली जी -20 समिट यानि समागम के जरिये भारत को एक बार लम्बे आरसे बाद दुनिया के 20 बड़े देशों के राष्ट्राध्यक्षों की मेजबानी का सौभाग्य मिला ह। देश की सरकार ने जिस तरिके से विदेशी मेहमानों के स्वागत की तैयारी की है उसे देखकर लगा है की विदेशी मेहमान कुछ देकर जाएँ या न जाएँ लेकिन अपने साथ भारतीय सौजन्यता की मधुर यादें अपने साथ अवश्य ले जायेंगे। ये आयोजन और यादगार बन जाता यदि सरकार औदार्य दिखाते हुए इस आयोजन के माध्यम से देश की सीआईसी एकता को भी प्रकट करता तो।
भारत में अतीत में ऐसे तमाम बड़े आयोजन हुए हैं जिनके जरिये दुनिया भारत की मेहमाननवाजी की कायल हुई ह। दुनिया के बड़े-बड़े देशों के राष्ट्राध्यक्षों को हमने दिल्ली आते-जाते देखा है। हमने अपने पारम्परिक मित्रों के साथ पारम्परिक शत्रुओं को भी कटुता भुलाकर दिल्ली में उनके स्वागत में पालक पांवड़े बिछाए हैं,उन्हें झूला झुलाया है ,लेकिन ये पहला मौक़ा है जब इतनी बड़ी संख्या में विदेशी मेहमान एक साथ एक मंच पर खड़े दिखाई देंगे।
एक जमाने में भारत की पहचान पंडित जवाहर लाल नेहरू के पंचशील और गुटनिरपेक्ष आंदोलन के जरिये दुनिया में बनीं थी। आज कुछ-कुछ वैसा ही जी- २० सम्मेलन के जरिये होता दिखाई दे रहा है। हमारे आज के प्रधानमंत्री उद्भट विद्वान हैं और उनकी अपनी कूटनीति इस सम्मेलन में अपनी छाप छोड़ेगी ये देखने वाली बात होगी। नेहरू के बाद या उनके मुकाबले दुनयातन करने वाले मोदी जी दुसरे या तीसरे भारतीय प्र्धानमंती हैं जिन्हें दुनिया जानती-पहचानती है और मानती है। दुनिया के पांच बड़े देश तो अब मोदी और भारत को जानते और मानते ही हैं। भारत की साख मोदीकाल में बढ़ी या घटी इसका आकलन किये बिना ये संतोष की बात है की हम मेजबानी के मामले में किस से कम नहीं नजर आ रहे।
भारत सरकार ने विदेशी मेहमानों की आवभगत के लिए पूरे इंतजाम किये हैं पूरे केंद्रीय मंत्रिमंडल को इसके लिए तैनात किया है ।अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन का स्वागत जनरल (सेवानिवृत) वीके सिंह करेंगे, जबकि इटली के पीएम, बांग्लादेश के पीएम, ब्रिटिश पीएम ऋषि सुनक, दक्षिण कोरियाई राष्ट्रपति और ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री का स्वागत क्रमशः शोभा करंदलाजे, दर्शना जरदोश, अश्विनी चौबे और केंद्रीय मंत्री राजीव चन्द्रशेखर करेंगे। ब्राजील के राष्ट्रपति के स्वागत की जिम्मेदारी नित्यानंद राय, फ्रांस की राष्ट्रपति के लिए अनुप्रिया पटेल, जर्मन चांसलर के लिए बी. एल. वर्मा. और मॉरीशस के प्रधानमंत्री के स्वागत के लिए श्रीपद नाइक को कहा गया है. इसी तरह से सिंगापुर के प्रधानमंत्री को एल. मुरुगन, यूरोपीय संघ प्रमुख को प्रह्लाद पटेल, स्पेन के राष्ट्रपति को शांतनु ठाकुर और चीन के प्रधानमंत्री को वीके सिंह हवाई अड्डे पर लेने जायेंगे। श्री मोदीजीने दुनिया में अपने दौरों से सबक लेकर खुद किसी भी राष्ट्राध्यक्ष की अगवानी से अलग रखा है। प्रधानमंत्री सभी राष्ट्राध्यक्षों का स्वागत कैसे और कहाँ करेंगे ,ये रहस्य है।
आपको याद दिला दूँ कि जी-20 समूह का एजेंडा वैश्विक भलाई का है, पृथ्वी की भलाई का है, पृथ्वी के सतत भविष्य का है और इसीलिए जी20 के लिए हमारा नारा ‘एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य’ है. मिशन लाइफ इसका बहुत महत्वपूर्ण हिस्सा है। भारत के संसदीय कार्यमंत्री प्रह्लाद जोशी भले ही देश को संसद के विशेष सत्र के एजेंडे के बारे में नहीं बता पाए हों लेकिन उनका कहना है कि तीन दिवसीय शिखर सम्मेलन के नतीजे निस्संदेह पूरी दुनिया के लिए अच्छे परिणाम लाएंगे। जोशी ने कहा है कि प्रधानमंत्री के नेतृत्व में देश पिछले कुछ वर्षों में एक नेता के रूप में उभरा है और आज भारत जो कहता है, दुनिया उसे सुनती है और उसका समर्थन करती है। जोशी ने कहा कि भारत ने वैश्विक महामारी के दौरान संकट से निपटने के लिए विभिन्न देशों को घरेलू स्तर पर निर्मित टीकों और अन्य आवश्यक दवाओं की आपूर्ति करके वैश्विक स्तर पर एक महत्वपूर्ण जिम्मेदारी निभाई।
गौरतलब है कि जी -20 में अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, कनाडा, चीन, फ्रांस, जर्मनी, भारत, इंडोनेशिया, इटली, जापान, कोरिया, मेक्सिको, रूस, सऊदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, तुर्किये, ब्रिटेन, अमेरिका और यूरोपीय संघ (27 सदस्यीय समूह) शामिल है। जी-20 सदस्य देश वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद का करीब 85 प्रतिशत, वैश्विक व्यापार का 75 प्रतिशत से अधिक और करीब दो-तिहाई वैश्विक आबादी का प्रतिनिधित्व करते है। इस बार कि एक बात और महत्वपूर्ण है कि इस मौके पर विदेशी मेहमानों के सम्मान में भारत के राष्ट्रपति भोज देंगें ' इंडिया' के नहीं। इंडिया को टाटा-बाय-बाय करने की ये शुरुवात है।
सबसे महत्वपूर्ण बात ये है कि इस सम्मेलन में हिस्सा लेने वाले तमाम राष्ट्राध्यक्ष पहली बार भारत आएंगे । अमेरिका के राष्ट्रपति जो वायदें भी इनमें से एक हैं। अमेरिका के राष्ट्रपति के तौर पर यह उनकी पहली भारत यात्रा होगी। इससे पहले, भारत का दौरा करने वाले आखिरी अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प थे, जो वह फरवरी 2020 में भारत आए थे। बाइडेन जी-20 शिखर सम्मेलन के समाप्त होने के बाद रविवार को वियतनाम रवाना होंगे। मना जा रहा है कि प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति बाइडन के बीच बातचीत में स्वच्छ ऊर्जा, रक्षा और उच्च प्रौद्योगिकी, रक्षा सहित विभिन्न प्रमुख क्षेत्रों में जारी द्विपक्षीय सहयोग की समीक्षा पर जोर दिए जाने की संभावना है। दोनों पक्ष वीजा व्यवस्था को और उदार किए जाने के संबंध में भी विचार-विमर्श कर सकते हैं। इस सम्मेलन की कामयाबी के लिए हम सबकी शुभकामनाएं।
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