वर्मी कंपोस्ट खाद पूर्ण रूप से तैयार होती है जो खेत में दीमक एवं अन्य कीटों को नहीं पनपने देती हैं:- कृषि वैज्ञानिक








बहराइच (राष्ट्र की परम्परा) । कृषि विज्ञान केन्द्र प्रथम पर पांच दिवसीय प्रशिक्षण विषय केंचुआ  खाद उत्पादन तकनीकी एवं विपणन का समापन केन्द्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं अध्यक्ष डॉ के एम सिंह ने किया। डॉ के एम सिंह ने बताया कि वर्मी कम्पोस्ट मिट्टी में कार्बनिक पदार्थों की वृद्धि के साथ किसान कृषि आधारित व्यवसाय को अपना कर अपने स्वविलम्बी बनाकर जीवन यापन कर सकता है।
वर्मी कंपोस्ट के साथ पशुपालन,सब्जी नर्सरी उत्पादन, चारा उत्पादन जैसे व्यवसाय कर लाभ कमा सकते है। वर्मी कंपोस्ट प्राप्त खाद पूर्ण रूप तैयार होती है जो खेत में दीमक एवं अन्य हानिकारक कीटों को नहीं पनपने देती हैं। जिस कारण कीटनाशक की लागत में भी कमी आती हैं।  केन्द्र के मृदा वैज्ञानिक डा. नन्दन सिंह ने बेड विधि द्वारा वर्मी कंपोस्ट खाद बनाने के  बारे में विस्तृत जानकरी दी। छायादार जगह पर जमीन के ऊपर 2-3 फुट की चौड़ाई और अपनी आवश्यकता के अनुरूप लम्बाई के बेड बनाये जाते हैं। इन बेड़ों का निर्माण गाय-भैंस के गोबर, जानवरों के नीचे बिछावन से ढेर की ऊंचाई लगभग 01 फुट तक बेड रखी जाती है जिसमें केंचुओं छोड़ दिया जाता है।
 जब खाद तैयार हो जाय उसके बाद पहले बेड से वर्मी कम्पोस्ट अलग करके छानकर भंडारित कर लिया जाता है तथा पुनः इस पर गोबर आदि का ढेर लगाकर बेड बना लेते हैं।
केन्द्र के उद्यान वैज्ञानिक डा. पी के सिंह ने बताया कि ईसेनिया फेटिडा द्वारा तैयार वर्मीकम्पोस्ट एक प्राकृतिक खाद हैं। यह रसायन मुक्त होने के कारण पर्यावरण अनुकूल हैं। केन्द्र के प्रसार वैज्ञानिक डॉ अरुण कुमार राजभर ने केंचुए को गोबर मे डालकर गोबर को जूट के बोरे से ढक दिया जाता है। नमी के लिए बोर के ऊपर समय-समय पर पानी का छिड़काव किया जाता है। केंचुए डाले गए गोबर को खाते हुए धीरे-धीरे आगे बढ़ते जाते हैं और अपने पीछे वर्मी कम्पोस्ट बना कर छोड़ते जाते हैं। इस तैयार वर्मी कम्पोस्ट को इकठ्ठा करके बोरों में भरकर रख लिया जाता है। डा. नीरज सिंह ने बताया कि वर्मी कंपोस्ट की खाद पौधों की जड़ों का विकास करता हैं। मिट्टी की भौतिक संरचना में सुधार करता हैं।
अंकुरण, पौधों की वृद्धि और फसल की उपज में मदद करता हैं। पौधों के विकास को बढ़ाता है। सुनील कुमार ने बताया कि वर्मी कम्पोस्टिंग किसानों को बाजार से उर्वरकों को खरीदने के लिए पैसे खर्च को बचाता है। पांच दिवसीय प्रशिक्षण के  समय केंद्र के समस्त कर्मचारी अनिल पांडेय, राजीव कुमार, संजय पाण्डेय, सिराज, चंद्र प्रकाश एवं बागेश्वरी उपस्थित थे। पांच दिवसीय प्रशिक्षण में किसानो में प्रमुख रूप से जगन्नाथ मौर्या, जियाउल हक, पार्वती देवी, सपना,गीता, राम सेवक वर्मा, गोमती,उपदेश कुमार आदि कृषकों ने प्रशिक्षण लिया।

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