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अयोध्या
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सावन के महीने में भी खेतों में धूल उड़ रही है। भीषण गर्मी व उमस से लोगों का बुरा हाल है। मौसम विभाग का अनुमान लगातार फेल साबित हो रहा है, वहीं किसानों की परेशानी बढ़ती जा रही है। खेतों को देखकर किसानों की आंखें नम हैं। धान व गन्ने की सिंचाई की चिंता उन्हें दिन-रात सता रही है। कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि बारिश न होने से धान व गन्ने की फसल को नुकसान हो सकता है लेकिन मोटे अनाज व सब्जियों की फसलों को फायदा होगा। अगस्त में बीस दिन बीत गए हैं लेकिन इस महीने अब तक केवल 86 मिमी. ही बरसात हुई है।
आचार्य नरेंद्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय कुमारगंज अयोध्या के कृषि वैज्ञानिक डॉ. आलोक सिंह का कहना है कि अयोध्या सहित उत्तर प्रदेश के लगभग सभी जनपदों में बारिश औसतन कम ही हो रही है। ऐसी स्थिति में धान और गन्ना जैसी फसलों को अधिक पानी की आवश्यकता होती है, उन्हीं फसलों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। जबकि अन्य फसलों के लिए अधिक वर्षा का कोई महत्व नहीं है, बीच-बीच में हो रही हल्की-फुल्की बारिश फसलों के लिए अनुकूल है। बरसात कम होने की वजह से मोटे अनाज सावा, कोदो, कुटकी, काकून, बाजरा, मूंग, उर्द, अरहर आदि फसलों के लिए मौसम अनुकूल है। इसके अतिरिक्त सब्जियों के लिए जो पौधे लगाए जा रहे हैं या बीज बोए जा रहे हैं, उनके लिए भी यह मौसम अनुकूल माना जा रहा है।
*किसानों को सता रहा कर्ज में डूबने का डर*
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रुदौली
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आधा से ज्यादा सावन बीत गया, लेकिन इस बार रुदौली तहसील क्षेत्र में बारिश नहीं हुई है। मौसम की बेरुखी ने किसानों की चिंता बढ़ा दी है। क्षेत्रीय किसान मायाराम, श्रीकांत पांडेय, राम मिलन, रमेश चंद्र, हरिकांत का कहना है कि अगर समय पर बारिश नहीं हुई तो किसान साहूकारों के कर्ज में डूब जाएंगे। धान की फसल बेचकर भी ये कर्ज उतारना संभव नहीं होगा। रुदौली तहसील क्षेत्र में लगभग 21 हजार हेक्टेयर भूमि कृषि योग्य है। जिसमें एक बड़े क्षेत्रफल में धान की खेती भी की जाती है। कृषि योग्य भूमि का लगभग 40 फीसद भू-भाग धान व 45 प्रतिशत भू-भाग पर गन्ने की खेती से आच्छादित रहता है। धान व गन्ने के लिए अधिक पानी की जरूरत होती है। जिन क्षेत्रों में नहरें नहीं हैं, वहां किसानों को निजी संसाधनों से सिंचाई करानी पड़ रही है। कृषि रक्षा इकाई मवई के प्रभारी उमाशंकर वर्मा ने बताया कि इस समय धान की फसल के लिए पानी बहुत जरूरी है। सावन में बारिश की बड़ी उम्मीद थी। लेकिन मौसम किसानों की उम्मीदों पर पानी फेर रहा है।
*सूखे के हालात, धान की फसल बचाना मुश्किल*
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बीकापुर
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क्षेत्र में धान के खेत सूखे पड़े हैं, समय पर पानी न मिलने से खेतों में दरारें पड़ रही हैं। सावन महीने में बरसात न होने से किसानों में मायूसी व्याप्त है। नलकूपों के सहारे फसल की सिंचाई नाकाफी साबित हो रही है। ग्रामीण क्षेत्र के फीडरों पर तय रोस्टर के अनुसार विद्युत भी किसानों को नहीं मिल पा रही है। उमरनी पिपरी निवासी किसान दयाराम वर्मा, कपिल देव पाठक, असकरन पुर निवासी विनोद शुक्ला, भीखी सराय निवासी पंडित रामदेव पांडे, कृष्ण प्रताप, महावा निवासी भगवत दयाल पांडे, बिलारी माफी निवासी वेद प्रकाश निषाद सहित कई किसानों ने बताया कि बरसात न होने से धान की फसल पीली पड़ रही हैं। खेत में दरारें आ रही है। धान के खेत में पानी न होने से खरपतवार भी अधिक मात्रा में उग रहे हैं तथा धान के पौधों में रोग भी लग रहे हैं। अगले कुछ और दिनों तक बरसात नहीं हुई तो समस्या और विकराल हो जाएगी। बरसात न होने से अब गन्ने की फसल की भी किसानों द्वारा सिंचाई की जा रही है।
*एक सप्ताह बारिश न होने के आसार*
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जुलाई तक औसतन बरसात 1001.7 के सापेक्ष महज 403.4 मिमी. बरसात हुई है। जुलाई में भी मात्र 64 फीसदी बरसात हुई। अगस्त में 19 तारीख तक महज 86 मिमी. बरसात ही हुई है जबकि इस माह में औसतन 261 मिमी. बरसात होती है। कृषि विश्वविद्यालय के मौसम विभाग के वैज्ञानिक डॉ. अमरनाथ मिश्र का कहना है कि मानसून की सक्रियता कम हो गई है। अभी कोई नया सिस्टम बनता भी नहीं दिख रहा है। आगामी एक सप्ताह तक बारिश की कोई उम्मीद नहीं है। रविवार को दिन का अधिकतम तापमान 35 व न्यूनतम 26.5 डिग्री सेल्सियस दर्ज हुआ।
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