जीवन का आदर्श दिया
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जिनकी जैसी सोच रही है
वही कर्म अपनाते हैं ,
कहीं दशानन पूजा जाता
कहीं राम-गुण गाते हैं !
राम बने आधार तभी तो
जीवन में रस आयेगा ,
जब जीवन जंजाल भरा है
तृष्णा कौन मिटाएगा ?
निज स्वरूप को भूल सदा से
हमने दुख को पाया है ,
इष्ट हमारे राम बने तो
जीवन में सुख आया है !
राम हमारे स्वांस - स्वांस में
राम नाम सर्वोत्तम है ,
राम त्याग का नाम धरा पर
मर्यादा पुरुषोत्तम हैं !
राम - जन्म से धरा धन्य थी
कण-कण उनको नमन किया ,
युगयुग से इस निखिल सृष्टि को
जीवन का आदर्श दिया !
प्रियंका द्विवेदी.
कौशाम्बी

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