उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी की अध्यक्षता में मंत्रिपरिषद द्वारा निम्नलिखित महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए :-
मंत्रिपरिषद ने श्रीराम जन्मभूमि मन्दिर अयोध्या धाम तक मुख्य पहुंच मार्ग योजना के अन्तर्गत सहादतगंज-नयाघाट मार्ग मेनस्पाईन रोड लम्बाई 12.940 किलोमीटर (रामपथ) हेतु कुल पुनरीक्षित लागत 84493.56 लाख रुपये (भूमि/भवन क्रय हेतु धनराशि 37877 लाख रुपये एवं निर्माण मद में धनराशि 46616.56 लाख रुपये) को स्वीकृति प्रदान कर दी है।
अयोध्या के पौराणिक एवं धार्मिक महत्व को देखते हुए इसे विश्व पटल पर एक प्रमुख धार्मिक/पर्यटन केन्द्र के रूप में विकसित करने हेतु वृहद स्तर पर कार्य किया जा रहा है। इसके दृष्टिगत अयोध्या में विभिन्न विभागों द्वारा अनेक परियोजनाओं का क्रियान्वयन किया जा रहा है। इसी क्रम में धर्मार्थ कार्य विभाग द्वारा अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि मन्दिर तक पहुँच मार्ग के रूप में तीन पथों-रामपथ, भक्ति पथ एवं जन्मभूमि पथ का निर्माण कार्य कराया जा रहा है।
जनपद अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि मन्दिर तक पहुंच मार्ग योजना के अन्तर्गत सहादतगंज-नयाघाट मार्ग मेनस्पाईन रोड लम्बाई-12.940 कि0मी0 (रामपथ) में 4-लेन मार्ग निर्माण/चौड़ीकरण की परियोजना में फसाड आदि कार्यों को सम्मिलित किए जाने के कारण लागत में वृद्धि होने के फलस्वरुप पुनरीक्षित लागत 84493.56 लाख रुपये की परियोजना को अनुमोदित कर दिया गया है। परियोजना में मार्ग निर्माण/चौड़ीकरण के अतिरिक्त उस पर स्थित भवनों का एकरूप फसाड विकसित किया जाना है। यह कार्य 31 दिसम्बर, 2023 तक पूर्ण किए जाने का लक्ष्य है। इस निर्णय से अयोध्या की भव्यता एवं दिव्यता में वृद्धि होगी, श्रद्धालुओं को आवागमन की सुविधा होगी एवं पर्यटन का विकास होगा। योजना के क्रियान्वयन से प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार का सृजन होगा।
मंत्रिपरिषद ने अटल आवासीय विद्यालयों के निर्माण तथा संचालन सम्बन्धी प्रस्तावों को कार्योत्तर स्वीकृति प्रदान कर दी है। इसके तहत अटल आवासीय विद्यालयों के 18 मण्डलों में निर्माण के स्थान, विद्यालय की मूल्यांकित/स्वीकृत लागत के सापेक्ष शासन द्वारा निर्गत वित्तीय स्वीकृति तथा मूल्यांकित/स्वीकृत लागत के सापेक्ष निर्गत वित्तीय स्वीकृति, इन विद्यालयों के संचालन हेतु सोसाइटी पंजीकरण अधिनियम, 1860 के अन्तर्गत पंजीकृत अटल आवासीय विद्यालय समिति के बायलॉज तथा अटल आवासीय विद्यालय योजना को अनुमोदित किया गया है।
मंत्रिपरिषद ने इन विद्यालयों के सुचारु रूप से सम्पादन हेतु अटल आवासीय समिति के बायलॉज तथा अटल आवासीय विद्यालय योजना में भविष्य में होने वाले संशोधनों के लिए मुख्यमंत्री जी को अधिकृत किया है।
ज्ञातव्य है कि उत्तर प्रदेश भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड में पंजीकृत पात्र निर्माण श्रमिकों के बच्चों एवं कोरोना काल में निराश्रित (महिला कल्याण विभाग, उत्तर प्रदेश से प्राप्त सूची के आधार पर) तथा मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना (सामान्य) हेतु पात्र बच्चों को कक्षा-06 से 12 तक निःशुल्क, गुणवत्तापूर्ण एवं उद्देश्यपरक शिक्षा उपलब्ध कराने एवं बच्चों में निहित प्रतिभा को उभारने के उद्देश्य से समस्त 18 मण्डलों मेंं 1000 छात्रां (500 बालक तथा 500 बालिका) की आवासीय क्षमतायुक्त एक-एक अर्थात कुल 18 अटल आवासीय विद्यालय का निर्माण राज्य सरकार के बजट की धनराशि से कराया जा रहा है। इन विद्यालयों के निर्माणोपरान्त उनके संचालन का व्यय भार ‘लेबर सेस’ की धनराशि से उत्तर प्रदेश भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड द्वारा वहन किया जाएगा। पंजीकृत निर्माण श्रमिकों के बच्चों को छोड़कर उक्तानुसार पात्र अन्य निराश्रित बच्चों की शिक्षा पर होने वाले व्यय का वहन राज्य सरकार के बजट से ही किया जाएगा।
अटल आवासीय विद्यालयों के निर्माण तथा उक्तानुसार निराश्रित बच्चों की शिक्षा पर आने वाले आवर्ती एवं अनावर्ती व्यय का वहन राज्य सरकार द्वारा किया जाएगा। अटल आवासीय विद्यालयों का क्रियान्वयन ‘अटल आवासीय विद्यालय समिति’ (ए0वी0एस0) द्वारा किया जायेगा। इस हेतु सोसाइटी पंजीकरण अधिनियम, 1860 के अन्तर्गत अटल आवासीय विद्यालय समिति को पंजीकृत कराते हुए उसका बॉयलाज बनाया गया है।
अटल आवासीय विद्यालय मूलतः शैक्षिक व सामाजिक न्याय के उद्देश्य से बनाए जा रहे है। यह विद्यालय उच्च गुणवत्तापूर्ण संस्था होंगे, जहाँ शिक्षा एवं अवस्थापना की बेहतर सुविधाएं होंगी एवं यह सेण्टर ऑफ एक्सीलेन्स की तरह कार्य करेंगे। उत्तर प्रदेश भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड में पंजीकृत पात्र निर्माण श्रमिकों के बच्चों तथा उक्तानुसार निराश्रित बच्चों को कक्षा 6 से 12 तक की गुणवत्तापूर्ण निःशुल्क आवासीय शिक्षा प्राप्त हो सकेगी। पात्र पंजीकृत निर्माण श्रमिकों के बच्चों के साथ ही उक्तानुसार निराश्रित बच्चों में निहित प्रतिभा को उभारने का अवसर मिलेगा, वहीं दूसरी ओर वे अपनी प्रतिभा के अनुरूप रोजगार पा सकेंगे, जिससे उनके जीवन स्तर में सुधार आएगा।
मंत्रिपरिषद ने मुख्यमंत्री शिक्षुता प्रोत्साहन योजना (उच्च शिक्षा) {चीफ मिनिस्टर्स अप्रेण्टिसशिप प्रोमोशन स्कीम (हायर एजुकेशन)} {सी0एम0-ए0पी0एस0 (एच0ई0)} के अन्तर्गत प्रशिक्षुओं को निजी क्षेत्र के प्रतिष्ठानों द्वारा दी जाने वाली वृत्तिका (स्टाईपेण्ड) की आंशिक प्रतिपूर्ति राज्य सरकार द्वारा किए जाने के प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान कर दी है।
ज्ञातव्य है कि राष्ट्रीय शिक्षुता प्रशिक्षण योजना (एन0ए0टी0एस0) के अन्तर्गत युवाओं को शिक्षुता प्रशिक्षण देने पर निर्धारित/न्यूनतम (डिप्लोमा उत्तीर्ण प्रशिक्षुओं को न्यूनतम 08 हजार रुपये प्रतिमाह तथा स्नातक उत्तीर्ण प्रशिक्षुओं को न्यूनतम 09 हजार रुपये प्रतिमाह) मासिक वृत्तिका राशि की 50 प्रतिशत धनराशि की प्रतिपूर्ति केन्द्र सरकार द्वारा अधिकतम एक वर्ष तक की जाती है तथा शेष 50 प्रतिशत धनराशि सम्बन्धित संस्थान/प्रतिष्ठान द्वारा वहन की जाती है।
प्रदेश के अभियांत्रिकी/तकनीकी के क्षेत्र में डिप्लोमा एवं सभी विधाओं में स्नातक युवाआें को एन0ए0टी0एस0 योजना का लाभ प्रदान करने हेतु निजी संस्थानां/अधिष्ठानों को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से मुख्यमंत्री शिक्षुता प्रोत्साहन योजना (उच्च शिक्षा) {सी0एम0-ए0पी0एस0 (एच0ई0)} लागू की जा रही है।
प्रस्तावित मुख्यमंत्री शिक्षुता प्रोत्साहन योजना (उच्च शिक्षा) {सी0एम0-ए0पी0एस0 (एच0ई0)} के अन्तर्गत एन0ए0टी0एस0 योजना के तहत दी रही उक्त निर्धारित न्यूनतम वृत्तिका का 50 प्रतिशत, जो निजी संस्थान/प्रतिष्ठान द्वारा प्रशिक्षु को दी जाती है, के सापेक्ष 1000 रुपये की प्रतिपूर्ति राज्य सरकार द्वारा अधिकतम एक वर्ष तक की जाएगी।
मुख्यमंत्री शिक्षुता प्रोत्साहन योजना के अन्तर्गत अधिक से अधिक निजी संस्थानों को प्रोत्साहित करने एवं प्रशिक्षुओं को प्रशिक्षण देकर कुशल बनाने के साथ निर्धारित अवधि हेतु रोजगार देने के उद्देश्य से निर्धारित किए गए लक्ष्य के सापेक्ष केन्द्र सरकार द्वारा प्रतिपूर्ति की जाने वाली धनराशि हेतु बजट व्यवस्था हेतु भारत सरकार से अनुरोध किया जाएगा। राजकीय संस्थान/प्रतिष्ठान प्रस्तावित मुख्यमंत्री शिक्षुता प्रोत्साहन योजना (उच्च शिक्षा) {सी0एम0-ए0पी0एस0 (एच0ई0)} के अन्तर्गत नहीं होंगे। राजकीय संस्थानों/अधिष्ठानों में एन0ए0टी0एस0 के अन्तर्गत युवाओं को शिक्षुता प्रशिक्षण देने पर दी जाने वाली वृत्तिका राशि के 50 प्रतिशत की प्रतिपूर्ति भारत सरकार द्वारा तथा 50 प्रतिशत की प्रतिपूर्ति राज्य सरकार द्वारा की जाती है।
इस सम्बन्ध सम्बन्धित विभाग द्वारा प्रशिक्षण हेतु बजटीय प्राविधान 42-अन्य व्यय मद में कराया जाएगा। साथ ही, केन्द्र सरकार के 50 प्रतिशत वृत्तिका राशि की प्रतिपूर्ति हेतु बैंक खाता अथवा उपयुक्त प्रणाली की व्यवस्था की जाएगी। इस सम्बन्ध में बजट विभाग द्वारा नियमानुसार केन्द्र सरकार के वृत्तिका की प्रतिपूर्ति के लिए सभी विभागों के लिए गाइडलाइन जारी की जाएगी।
मुख्यमंत्री शिक्षुता प्रोत्साहन योजना (उच्च शिक्षा) {सी0एम0-ए0पी0एस0 (एच0ई0)} के अन्तर्गत राज्य सरकार द्वारा प्रतिपूर्ति किए जाने का उद्देश्य प्रदेश के निजी उद्योगों/अधिष्ठानां को अतिरिक्त आर्थिक सहायता प्रदान करते हुए उन्हें बड़ी संख्या में युवाओं को शिक्षुता प्रशिक्षण हेतु नियोजित करने के लिए प्रेरित करना है।
प्रस्तावित योजना हेतु वित्तीय वर्ष 2023-24 के आय-व्ययक में अनुदान संख्या 73 के अन्तर्गत राजस्व पक्ष में 10 हजार लाख रुपये (100 करोड़ रुपये) की धनराशि का प्राविधान किया गया है।
प्रस्तावित योजना के माध्यम से प्रदेश के गैर तकनीकी डिप्लोमाधारक तथा स्नातक युवाओं को एक वर्ष का रोजगार प्राप्त होगा। साथ ही, निजी/शासकीय संस्थानों/अधिष्ठानों को कुशल/दक्ष कार्मिक मिलेंगे।
मंत्रिपरिषद ने स्वामी विवेकानन्द युवा सशक्तीकरण योजना के अन्तर्गत प्रदेश के युवाओं के तकनीकी सशक्तीकरण हेतु 25 लाख स्मार्टफोन क्रय किए जाने के प्रस्ताव को अनुमोदित कर दिया है।
ज्ञातव्य है कि स्वामी विवेकानन्द युवा सशक्तीकरण योजना 05 वर्ष के लिए लागू है। योजना के लिए वर्तमान वित्तीय वर्ष 2023-24 में 3600 करोड़ रुपये का बजट उपलब्ध है। प्रदेश में स्नातक, स्नातकोत्तर, डिप्लोमा, कौशल विकास आदि विभिन्न शिक्षण/प्रशिक्षण कार्यक्रमों के अन्तर्गत लाभार्थी युवा वर्ग को स्मार्टफोन निःशुल्क प्रदान करने से वह अपने शैक्षिक पाठ्यक्रमों को सफलतापूर्वक पूर्ण कर सकेंगे। साथ ही, विभिन्न शासकीय/गैर शासकीय तथा स्वावलम्बन की योजनाओं में भी इसका सदुपयोग कर सेवारत/व्यवसायरत हो सकेंगे।
स्वामी विवेकानन्द युवा सशक्तीकरण योजना प्रदेश के युवाओं को तकनीकी रूप से सशक्त बनाए जाने हेतु स्मार्टफोन वितरण की एक अभिनव योजना है। इस सम्बन्ध में मे0 इन्फोसिस द्वारा युवा वर्ग के डिजिटल सशक्तीकरण एवं स्किल डेवलपमेण्ट के उद्देश्य से सी0एस0आर0 एक्टिविटी के अन्तर्गत ‘स्प्रिंगबोर्ड’ प्लेटफार्म उत्तर प्रदेश सरकार को निःशुल्क उपलब्ध कराया जा रहा है, जिसमें छात्र-छात्राओं के उपयोगार्थ लगभग 3,900 कोर्सेज/प्रोग्राम्स निःशुल्क उपलब्ध हैं।
मंत्रिपरिषद ने कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय, उद्यान प्रभाग, भारत सरकार के दिनांक 17 जुलाई, 2023 के पत्र के क्रम में जनपद आगरा के सींगना राजकीय प्रक्षेत्र में अन्तरराष्ट्रीय आलू केन्द्र का साउथ एशिया रीजनल सेण्टर स्थापित किए जाने हेतु ग्राम सींगना, तहसील किरावली, जनपद आगरा में स्थित कृषि विभाग, उत्तर प्रदेश के नाम दर्ज गाटा संख्या-00272 की 138.50 हेक्टेयर भूमि को उद्यान विभाग के नाम करते हुए, इसमें से चिन्ह्ति 10 हेक्टेयर भूमि को राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड, भारत सरकार, गुरुग्राम हरियाणा को 99 वर्ष के निःशुल्क पट्टे (लीज) पर दिए जाने के प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान कर दी है। इस भूमि पर राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड द्वारा अन्तरराष्ट्रीय आलू केन्द्र के साथ अनुबन्ध कर साउथ एशिया रीजनल सेण्टर स्थापित किया जाएगा।
इसके अतिरिक्त, मंत्रिपरिषद ने आगरा स्थित राजकीय खाद्य विज्ञान प्रशिक्षण केन्द्र का भवन 03 वर्षों के लिए अन्तरराष्ट्रीय आलू केन्द्र के रीजनल सेण्टर के संचालन के लिए निःशुल्क उपलब्ध कराए जाने के प्रस्ताव को भी अनुमोदित कर दिया है।
प्रस्तावित सेण्टर पर अगले 05 वर्षों में 121 करोड़ रुपये का व्यय प्रस्तावित है। इसमें से 65 करोड़ रुपये इन्फास्ट्रक्चर के विकास पर होंगे तथा 56 करोड़ रुपये ऑपरेशनल एक्सपेंस के रूप में व्यय होंगे। यह धनराशि भारत सरकार द्वारा उपलब्ध करायी जानी है। अन्तरराष्ट्रीय आलू केन्द्र पेरू, साउथ अमेरिका द्वारा 58 करोड़ रुपये की धनराशि स्वयं व्यय की जाएगी, जो मुख्यतः वैज्ञानिकों पर तथा ऑपरेशनल कॉस्ट के ऊपर अगले 05 वर्ष तक के लिए होगी। राज्य सरकार पर कोई व्यय भार निहित नहीं है। प्रस्तावित सेण्टर की स्थापना हेतु 05 वर्षों का समय सम्भावित है।
उत्तर प्रदेश में अन्तर्राष्ट्रीय आलू केन्द्र की साउथ एशिया का रीजनल सेण्टर स्थापित किए जाने से आलू की उच्च उपज वाली, निर्यात व प्रसंस्करण योग्य, जलवायु के अनुकूल, रोगों व कीटों से प्रतिरोधी पोषक तत्वों से भरपूर एवं लम्बे समय तक भण्डारण योग्य प्रजातियों के विकास में भरपूर सहायता मिलेगी, जिससे कृषकों को उनकी उपज का उचित मूल्य मिलेगा तथा आलू निर्यात से देश को विदेशी मुद्रा की प्राप्ति होगी।
भारत साउथ एशिया का पहला देश होगा, जहां अन्तरराष्ट्रीय आलू केन्द्र पेरू (साउथ अमेरिका) की प्रथम शाखा स्थापित होगी। केन्द्र की स्थापना से विश्व की सर्वश्रेष्ठ एवं दुर्लभ आलू प्रजातियों के ‘जर्म प्लाज्म’ शोध कार्य हेतु सहजतापूर्वक उपलब्ध हो सकेंगे। प्रस्तावित सेण्टर की स्थापना से प्रत्यक्ष/अप्रत्यक्ष रोजगार सृजित होंगे।
मंत्रिपरिषद ने उत्तर प्रदेश में बायोडीजल के उत्पादन एवं विक्रय हेतु दिशा-निर्देशों को स्वीकृति प्रदान कर दी है।
मंत्रिपरिषद ने भविष्य में किसी अपरिहार्य परिस्थिति में उत्तर प्रदेश में बायोडीजल के उत्पादन एवं विक्रय हेतु दिशा-निर्देश के सफल क्रियान्वयन हेतु इसमें यथा आवश्यक संशोधन के लिए अतिरिक्त ऊर्जा स्रोत मंत्री को अधिकृत किया है।
ज्ञातव्य है कि पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा गजट अधिसूचना संख्या-पी-13039(18)/1/2018-सी
उत्तर प्रदेश जैव ऊर्जा नीति-2022 जारी की गई है। इसके अन्तर्गत बायोडीजल को प्रोत्साहित करने की व्यवस्था की गई है। बायोडीजल के लाइसेंस/रेगुलेशन की उत्तर प्रदेश में अभी तक कोई व्यवस्था नहीं थी। इसके दृष्टिगत बायोडीजल के उत्पादन एवं विक्रय हेतु दिशा-निर्देशों को स्वीकृति प्रदान की गई है।
दिशा-निर्देशों के प्रमुख बिन्दु इस प्रकार हैं :-
भारतीय मानक ब्यूरो द्वारा बायोडीजल (बी-100) के निर्धारित मानक के अनुरूप स्वदेशी बायोडीजल का उत्पादन, आपूर्ति, भण्डारण एवं खुदरा बिक्री की जाएगी।
कोई भी बायोडीजल उत्पादक या खुदरा विक्रेता डीजल के साथ बायोडीजल का अपमिश्रण करके विक्रय नहीं कर पाएगा।
उत्तर प्रदेश में बायोडीजल (बी-100) के उत्पादन एवं बिक्री को विनियमित करने के लिए उत्तर प्रदेश नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा विकास अभिकरण (यूपीनेडा) नियंत्रक प्राधिकारी होगा। बायोडीजल (बी-100) के उत्पादन में निहित सभी इकाइयों का पंजीकरण नियंत्रक प्राधिकारी स्तर से किया जाएगा।
बायोडीजल की खुदरा बिक्री की अनुमति सम्बन्धित जनपद के जिलाधिकारी द्वारा निर्गत की जाएगी।
उत्पादन एवं खुदरा बिक्री हेतु आवश्यक प्रपत्रों/अनुमोदन/अनापत्ति के साथ पंजीकरण हेतु आवेदन किया जाएगा।
नियमावली में अधिकृत प्राधिकारी यथा सम्बन्धित अधिकारिता क्षेत्र वाले उप जिलाधिकारी, जिला पूर्ति अधिकारी, वरिष्ठ परियोजना अधिकारी/परियोजना अधिकारी, नेडा और सार्वजनिक क्षेत्र की तेल विपणन कम्पनियों के मिलावट रोधी प्रकोष्ठ को अनाधिकृत और अवैध बायोडीजल उत्पादन संयंत्रों, भण्डारण और खुदरा बिक्री केन्द्रों का निरीक्षण करने तथा तलाशी लेने और अपने कब्जे में लेने का अधिकार होगा।
किसी उत्पादक/खुदरा विक्रेता के स्तर पर किसी शर्त अथवा दिशा-निर्देशों के उल्लंघन की स्थिति पायी जाती है, तो उसे स्थिति में उत्पादक के पंजीकरण अथवा खुदरा बिक्री विक्रेता की अनुमति पर शास्ति रोपण अथवा उसके पंजीयन/अनुमति पत्र के निरस्तीकरण की कार्यवाही सक्षम प्राधिकारी द्वारा विधिसम्मत तरीके से की जाएगी।
बायोडीजल के उत्पादक के विरुद्ध कृत कार्यवाही के बारे में अपीलीय प्राधिकारी अपर मुख्य सचिव/प्रमुख सचिव/सचिव, अतिरिक्त ऊर्जा स्रोत विभाग, उत्तर प्रदेश शासन होंगे और बायोडीजल खुदरा विक्रेता के विरुद्ध कृत कार्यवाही के बारे में अपीलीय प्राधिकारी सम्बन्धित मण्डलायुक्त होंगे।
इस निर्णय से उपभोक्ता को बायोडीजल सही गुणवत्ता और सही मात्रा में उपलब्ध होगा। यह पर्यावरण को स्वच्छ बनाने में सहायक होगा। नई उत्पादन इकाइयों एवं खुदरा बिक्री केन्द्रों की स्थापना से स्थानीय स्तर पर रोजगार के नए अवसर प्राप्त होंगे।
मंत्रिपरिषद ने प्रदेश की बाल विकास परियोजनाओं में संचालित आंगनबाड़ी/मिनी आंगनबाड़ी केन्द्रों पर अनुपूरक पुष्टाहार योजना के अन्तर्गत पोषाहार वितरण में बायोमीट्रिक प्रणाली लागू किए जाने हेतु ई-पॉस मशीनों की स्थापना एवं संचालन विषयक प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान कर दी है। साथ ही, मंत्रिपरिषद ने योजना के कार्यान्वयन में किसी प्रकार की कठिनाई उत्पन्न होने की स्थिति में निर्णय लेने हेतु मुख्यमंत्री जी को अधिकृत किया है।
वर्तमान में बाल विकास एवं पुष्टाहार विभाग में पोषाहार के वितरण में भौतिक रूप से किये जा रहे सत्यापन की प्रक्रिया जटिल और कम पारदर्शी है। भौतिक रूप से किए गए सत्यापन के प्रत्येक अभिलेख की जाँच करना एक विषम कार्य है। विभाग में लाभार्थियों को प्रदान की जा रही पुष्टाहार सामग्री के वितरण के सत्यापन हेतु कोई तकनीकी व्यवस्था नहीं है।
अतः प्रदेश की बाल विकास परियोजनाओं में अनुपूरक पुष्टाहार के वितरण के सत्यापन हेतु ई-पॉस मशीनों की स्थापना एवं संचालन किए जाने से लाभार्थियों को शत-प्रतिशत लाभ प्राप्त हो सकेगा। ई-पॉस मशीनों की स्थापना व संचालन हेतु उत्तर प्रदेश डेवलपमेण्ट सिस्टम कॉरपोरेशन लिमिटेड (यूपीडेस्को) को कार्यदायी संस्था नामित किया गया है। योजना के अन्तर्गत शत-प्रतिशत व्यय राज्य सरकार द्वारा वहन किया जाएगा। ई-पॉस मशीनों की स्थापना से पोषाहार वितरण में पारदर्शिता आएगी एवं लाभार्थियों को अनुमन्य मात्रा में पोषाहार उपलब्ध कराया जाना सुनिश्चित हो सकेगा।
मंत्रिपरिषद ने जनपद बिजनौर की धामपुर तहसील के ग्राम अमानगढ़ में प्रस्तावित टाइगर रिजर्व के निकट पर्यटन सुविधाएं विकसित करने के सम्बन्ध में प्रस्तुत प्रस्ताव को अनुमोदित कर दिया है। साथ ही, मंत्रिपरिषद ने प्रकरण में आवश्यकतानुसार अग्रेतर निर्णय लिए जाने के लिए मुख्यमंत्री जी को अधिकृत किया है।
इसके तहत जनपद बिजनौर की धामपुर तहसील के अमानगढ़ रेंज के निकट ग्रामसभा फतेहपुर धारा की गाटा संख्या-311, क्षेत्रफल 25.369 हेक्टेयर में से 0.320 हेक्टेयर व गाटा संख्या-314, क्षेत्रफल 19.313 हेक्टेयर में से 5.760 हेक्टेयर कुल 02 किता सकल क्षेत्रफल 6.080 हेक्टेयर भूमि को पर्यटन सुविधाएं विकसित करने हेतु पर्यटन विभाग के नाम निःशुल्क हस्तान्तरित कराया जाना प्रस्तावित है।
ज्ञातव्य है कि अमानगढ़ टाइगर रिजर्व उत्तर प्रदेश के बिजनौर जिले में स्थित है। यह 9500 हेक्टेयर (लगभग 95 वर्ग कि0मी0) के क्षेत्र में फैला हुआ है, जो घने जंगलों और पहाड़ी इलाकों से घिरा हुआ है। अमानगढ़ टाइगर रिजर्व प्रसिद्ध जिम कॉर्बेट टाइगर रिजर्व का बफर क्षेत्र है। यह एशियाई हाथियों, बाघों और अन्य वन्य जीवों के लिए एक गलियारे की तरह है। इसे वर्ष 2012 में एक वन्य जीव अभ्यारण्य घोषित किया गया था और बाद में वर्ष 2014 में टाईगर रिजर्व के रूप में नामित किया गया। उत्तर प्रदेश के चार टाइगर रिजर्व में से यह एक है।
अमानगढ़ टाइगर रिजर्व में पर्यटन सुविधाएं विकसित करने से देशी-विदेशी पर्यटकों के आवागमन में वृद्धि होगी। साथ ही, प्रत्यक्ष/अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार का सृजन होगा।
मंत्रिपरिषद ने जनपद कुशीनगर में महात्मा बुद्ध कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय स्थापित किए जाने हेतु कृषि शिक्षा एवं अनुसंधान विभाग, उत्तर प्रदेश शासन के पक्ष में गन्ना विकास विभाग की कुल 111.830 हेक्टेयर/276.21 एकड़ भूमि में से 43.28 एकड़ भूमि छोड़ते हुए अवशेष 232.93 एकड़ भूमि को निःशुल्क हस्तान्तरित किए जाने के प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान कर दी है। भविष्य में कृषि विश्वविद्यालय की आवश्यकता के दृष्टिगत अन्य विभागों से भूमि प्राप्त करने की कार्यवाही यथासमय की जाएगी।
ज्ञातव्य है कि प्रदेश में राजकीय क्षेत्र के चार कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय, कानपुर, अयोध्या, मेरठ, बांदा तथा एक निजी क्षेत्र का सैम हिग्गिनबॉटम कृषि प्रौद्योगिकी एवं विज्ञान विश्वविद्यालय, प्रयागराज में स्थापित हैं। इसके अतिरिक्त, जनपद झांसी में रानी लक्ष्मीबाई केन्द्रीय कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, केन्द्र सरकार के अधीन स्थापित है।
पूर्वांचल में आचार्य नरेन्द्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय कुमारगंज, अयोध्या के अन्तर्गत 27 जनपद आच्छादित हैं। असमान वितरण के दृष्टिगत पूर्वांचल में एक नवीन विश्वविद्यालय स्थापित किए जाने का निर्णय लिया गया है, जिससे पूर्वांचल के 10 जनपद आच्छादित होंगे। इस विश्वविद्यालय की स्थापना से कृषि सम्बन्धी नवीन तकनीकी व शोध का लाभ इस क्षेत्र के कृषकों और छात्र-छात्राओं को प्राप्त होगा।
जनपद कुशीनगर में महात्मा बुद्ध कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय की स्थापना हो चुकी है। इस पर पड़ने वाला अनुमानित 750 करोड़ रुपये का व्यय भार 28 जून, 2023 को मंत्रिपरिषद के प्रस्ताव में अंकित किया जा चुका है। गन्ना विभाग की भूमि के हस्तान्तरण से इस धनराशि के अतिरिक्त अन्य व्यय भार नहीं होगा।
महात्मा बुद्ध कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय, कुशीनगर की स्थापना हेतु तमकुहीराज स्थित कृषि बीज प्रक्षेत्र की कुल 58.97 एकड़ एवं मैत्रेय परियोजना के अन्तर्गत संस्कृति विभाग की कुल 195.82 एकड़ भूमि में से (50 एकड़ भूमि छोड़कर) अवशेष 145.82 एकड़ भूमि सहित कुल 204.79 एकड़ भूमि निःशुल्क हस्तान्तरित की जा चुकी है।
मंत्रिपरिषद ने चन्द्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय कानपुर को कृषि विभाग की भूमि निःशुल्क हस्तान्तरित किए जाने के प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान कर दी है।
इसके तहत चन्द्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय कानपुर की चिन्ह्ति 14.06 हेक्टेयर भूमि मेट्रो रेल कॉरपोरेशन को हस्तान्तरण के कारण, कृषि विभाग के कृषि परिक्षेत्र-विधनू, जो लोवर गंगा कैनाल के किनारे तहसील कानपुर सदर के अन्तर्गत कानपुर-हमीरपुर के मध्य मार्ग पर स्थित है तथा जिसका कुल क्षेत्रफल 15.69 हेक्टेयर है, को चन्द्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय कानपुर को उक्त भूमि बदले निःशुल्क हस्तान्तरित किए जाने का निर्णय लिया गया है।
मंत्रिपरिषद ने उत्तर प्रदेश जल निगम (नगरीय) के जूनियर इंजीनियर (सिविल) एवं जूनियर इंजीनियर (वि/याँ0) के रिक्त पदों पर चयन की कार्यवाही उत्तर प्रदेश अधीनस्थ सेवा चयन आयोग से कराए जाने के प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान कर दी है।
पूर्व में कार्मिक अनुभाग-3 की अधिसूचना संख्या - 1095 / 47 - का - 3 - 2016/13/46/2016, दिनांक 14 जुलाई, 2016 द्वारा पूर्ववर्ती उत्तर प्रदेश जल निगम में जूनियर इंजीनियर (सिविल) व जूनियर इंजीनियर (वि/याँ) के पदों पर चयन की कार्यवाही को उ0प्र0 अधीनस्थ सेवा चयन आयोग की परिधि से बाहर करने की स्वीकृति प्रदान की गई थी।
कालान्तर में विधायी विभाग की अधिसूचना संख्या- 800/ 79 - वि - 1 - 21 - 1- क - 29 - 21, दिनांक 24 अगस्त, 2021 द्वारा उत्तर प्रदेश जल निगम का विभाजन उ0प्र0 जल निगम (नगरीय) एवं उ0प्र0 जल निगम (ग्रामीण) के रूप में कर दिया। गया।
उ0प्र0 जल निगम (नगरीय) में जूनियर इंजीनियर (सिविल) व जूनियर इंजीनियर (वि/याँ) के पदों पर चयन की निष्पक्षता और पारदर्शिता स्थापित करने के उद्देश्य से उक्त पदों पर भर्ती की कार्यवाही उत्तर प्रदेश अधीनस्थ सेवा चयन आयोग से कराए जाने का प्रस्ताव है।
उत्तर प्रदेश जल निगम (नगरीय) में जूनियर इंजीनियर (सिविल) एवं जूनियर इंजी
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