कैबिनेट कमेटी ने आज, बुधवार, 16 अगस्त 2023 को रेलवे के सात बड़े मल्टी-ट्रैकिंग प्रोजेक्ट्स को मंजूरी प्रदान की है। कैबिनेट मीटिंग की अध्यक्षता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने की। कुल 2339 किमी के इन प्रोजेक्ट्स की कुल लागत ₹32,500 करोड़ होगी। ज्ञात हो कि विगत कुछ वर्षों में भारतीय रेल में व्यापक परिवर्तन देखने को मिला है, जिसका मुख्य कारण रेल को मिलने वाले बजट आवंटन में अभूतपूर्व वृद्धि है। आंकड़ों के अनुसार वर्तमान केंद्रीय बजट में उत्तर प्रदेश में रेल विकास हेतु रिकॉर्ड ₹17,500 करोड़ से अधिक की धनराशि का आवंटन हुआ है। इसके अलावा वर्तमान में उत्तर प्रदेश में ₹166122 करोड़ की 5407 परियोजनाओं का क्रियान्वयन किया जा रहा है।
केंद्रीय कैबिनेट द्वारा मंजूर किए गए सात रेल प्रोजेक्ट
उत्तर मध्य रेलवे, प्रयागराज मंडल के चुनार-चोपन खंड के दोहरीकरण कार्य को भी उक्त सात परियोजनाओं के साथ कैबिनेट की स्वीकृति प्राप्त हुई है। इस कार्य की स्वीकृति लागत ₹1423.96 करोड़ होगी।

ज्ञातव्य है कि स्वतंत्रता के बाद यातायात की आवश्यकता बढ़ने पर नई रेल लाइनों और दोहरीकरण का कार्य शुरू किया गया था। दीनदयाल उपाध्याय यार्ड के अत्यधिक व्यस्त होने के कारण, उत्तर रेलवे ने करनपुरा कोयला क्षेत्रों के लिए वैकल्पिक मार्ग के रूप में चुनार-चोपन खंड का निर्माण शुरू किया था। मुख्य लाइन पर चुनार से रॉबर्ट्सगंज-चुर्क तक का खंड 14 जुलाई 1954 को खोला गया था। इसे आगे गढ़वा रोड तक बढ़ाया गया था, जहां चोपन से ठीक पहले सोन नदी पर एक पुल की आवश्यकता थी। अंतत: यह लाइन 19 अक्टूबर 1963 को खोली गई।

वर्तमान में इस लाइन से उत्तर प्रदेश के सबसे पिछड़े एवं तीन राज्यों से जुड़े आदिवासी बहुल जिले सोनभद्र एवं मिर्जापुर सेवित किया जाता है। इसके माध्यम से 2054 गाँव, 6788 वर्ग किमी क्षेत्रफल एवं लगभग 25 लाख की जनसंख्या को लाभ मिलता है।

यह रेल लाइन हावड़ा से दिल्ली को जोड़ने वाले मुख्य मार्ग को राष्ट्र के ऊर्जांचल से जोड़ती है। दीनदयाल उपाध्याय के रास्ते सिंगरौली से चुनार की दूरी 230 किमी है, जबकि चोपन के माध्यम से सिंगरौली से चुनार तक की दूरी मात्र 167 किमी है, जो इन दोनों स्टेशनों के बीच सबसे छोटा मार्ग है। यह परियोजना सिंगरौली बेल्ट से कोयला रेक की आपूर्ति करती है।

चुनार-चोपन खंड के दोहरीकरण से यात्रा के समय में कमी के साथ-साथ अतिरिक्त माल ढुलाई में वृद्धि और लॉजिस्टिक लागत भी कम होगी।

वर्तमान में 5 मौजूदा बिजली संयंत्र:

मेजा ऊर्जा निगम प्रा. लिमिटेड/मेजा-1320 मेगा वॉट
प्रयागराज पावर जनरेशन कंपनी लिमिटेड/बेवरा-1980 मेगा वॉट
पनकी पावर हाउस- 660 मेगा वॉट
हरदुआगंज पावर हाउस- 660 मेगा वॉट
एनसीआर का एनटीपीसी दादरी पावर हाउस- 1820 मेगा वॉट
उपरोक्त के साथ-साथ यह परियोजना भावी 4 प्रमुख बिजली संयंत्रों को भी सेवा प्रदान करेगी-

घाटमपुर थर्मल पावर प्लांट- 1980 मेगा वॉट
जवाहरपुर थर्मल एल पावर प्लांट- 1320 मेगा वॉट
विस्तारित हरदुआगंज थर्मल पावर प्लांट – 660 मेगा वॉट
खुर्जा थर्मल पावर प्लांट- 1320 मेगा वॉट
चुनार-चोपन सेक्शन एक सिंगल लाइन सेक्शन है, इस पर वर्तमान में प्रति दिन 20 से 22 मालगाड़ियों और 14 कोचिंग ट्रेनों का संचालन होता है। इस अनुभाग की लाइन क्षमता उपयोग 214% है। चुनार-चोपन खंड पर यातायात काफी बढ़ गया है और डीएफसीसीआईएल के चालू होने के बाद यह और तेजी से बढ़ रहा है। बढ़ते यातायात को पूरा करने और हाई डेंसिटी नेटवर्क मार्ग पर भीड़भाड़ कम करने के लिए चुनार-चोपन के दोहरीकरण की तत्काल आवश्यकता थी। इसी क्रम में चुनार में एक कंटेनर डिपो भी निर्मित करने का प्रयास किया जा रहा है।

इसी क्रम में उल्लेखनीय है कि नॉर्दर्न कोलफील्ड लिमिटेड सिंगरौली द्वारा वर्ष 2020-21 में 39.34 मीट्रिक टन कोयले का उत्पादन हुआ था। वर्ष 2026-27 में यह बढ़कर 65.71 मीट्रिक टन और 2029-30 तक 71.37 मीट्रिक टन होने की संभावना है। इस कोयले को उत्तर भारत के पावर प्लांट्स तक ले जाने के लिए इस दोहरीकृत मार्ग से कोयले की सप्लाई और राष्ट्र को ऊर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने में सहायता मिलेगी।

इसके अतिरिक्त इस दोहरीकरण से इस पिछड़े क्षेत्र के विकास की नई गाथा लिखी जा सकेगी। इससे उत्तर प्रदेश के वाराणसी और प्रयागराज क्षेत्र को झारखंड एवं छत्तीसगढ़ की सुगम और सीधी कनेक्टीविटी पुख्ता होगी। इससे इन क्षेत्रों की जनता और व्यवसाईयों के लिए उत्तर प्रदेश के इन नगरों तक व्यापार, रोजगार और स्वास्थ्य सहित अन्य सामाजिक तथा व्यक्तिगत आवश्यकताओं की पूर्ति और आवागमन हेतु अधिक गाड़ियों का परिचालन हो सकेगा। साथ ही इस क्षेत्र से औद्योगिक क्षेत्रों से कच्चे माल की आपूर्ति के लिए बाजार, तथा औद्योगिक उत्पादन इकाईयों के लिए नए बाजार की सुलभ उपलब्धता मिल सकेगी।

उल्लेखनीय है कि चुनार-चोपन खंड के दोहरीकरण के साथ-साथ दो और परियोजनाएं स्वीकृति हुई हैं, जो सीधे तौर पर उत्तर प्रदेश के लोगों को लाभान्वित करेंगी।

पहली परियोजना: 96 किमी के गोरखपुर जंक्शन से वाल्मीकिनगर खंड के ₹1269 करोड़ की लागत से दोहरीकरण करने की स्वीकृति है, जिससे न केवल उत्तर प्रदेश से पूर्वोत्तर के राज्यों को जाने वाले माल यातायात में शीघ्रता आएगी, अपितु पूर्वोत्तर की यात्रा करने वाले यात्रियों के यात्रा समय में भी उल्लेखनीय कमी होगी।

दूसरी परियोजना: 374 किमी लंबे सोननगर-अंडाल खंड की ₹13,606 करोड़ की लागत से तीसरी एवं चौथी लाइन के कार्य को भी स्वीकृति मिली है। इससे उत्तर से पूर्व जाने वाले माल यातायात के त्वरित संचालन में मदद मिलेगी एवं कंजेशन में कमी आने से हावड़ा-प्रयागराज यात्रा करने वाले यात्रियों के यात्रा समय में बचत होगी। इसके अलावा नई सेवाएं प्रारंभ करने में भी सुगमता होगी।

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