मीरजापुर (अमित सिंह)। जिले में एक तरफ सूखे की आहट से लोग हलकान हैं। दूसरी तरफ गंगा नदी का बढ़ता जल स्तर लोगों के लिए चिंता का विषय बन गया है। धान की खेती पिछड़ने के बाद हो रही छिटपुट वर्षा राहत की बारिश बन गई है। गंगा का बढ़ता जलस्तर एक बार फिर बढ़ रहा है। 6 अगस्त दोपहर 12 बजे जलस्तर में वृद्धि का दर 9 सेंटीमीटर प्रतिघंटा दर्ज किया गया है। इस समय गंगा नदी का जल स्तर 72.48 मीटर दर्ज किया गया है।

जिला मुख्यालय पर खतरे का निशान 76.724 पर दर्ज है। सूखे की चपेट में आये जिले में गंगा नदी का जल स्तर एक बार फिर वृद्धि पर हैं। बाढ़ की आशंका के बीच जिला प्रशासन ने 34 बाढ़ चौकी और 50 राहत शिविर बनाया है। जिसे उचित दिशा निर्देश जारी किया गया है। जिले में पर्याप्त पानी न बरसने के कारण खेत प्यासे खेत देख किसान चिंतित है। ऐसे में धान की रोपाई करने में किसान हिचक रहे है।

किसानों को अभी भी राजा दऊ के बरसने का इंतजार है। ताकि वह देर से ही सही खेती कर सके। गंगा नदी का जलस्तर खतरे के निशान की ओर तेजी से बढ़ रहा है। शनिवार को 2 सेमी की रफ्तार से बढ़ रही गंगा रविवार को 9 सेमी प्रति घंटा की गति से बढ़ने लगी।

पिछले वर्ष बाढ़ का पानी खतरे के निशान 76.724 को पार करके 78.110 पर पहुंच गया था। सबसे अधिक जलस्तर 1978 में अधिकतम 80.34 मीटर दर्ज किया गया था। जो अब तक का सर्वाधिक जलस्तर का रिकॉर्ड हैं 

गंगा का बढ़ता जलस्तर गंगा किनारे बसे लोगों के साथ ही जिला प्रशासन के लिए चुनौती बना हैं। सूखे की आहट को देखते हुए जिले में एक तरफ सूखे से निपटने की तैयारी हैं तो अब बाढ़ की आशंका से लोग भयभीत ! हो रहे है। मौसम का मिजाज देख ! किसानों के माथे पर चिंता की लकीरे उभर आयी है। छिटपुट वर्षा के बीच तमाम किसानों ने अभी तक धान की नर्सरी तक नहीं डाल पाए है। ऐसे में धान की रोपाई कब होगी। मौसम का मिजाज देख किसान मायूस और चिंतित है

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