चंद्रयान-3 की चांद पर सफल लैंडिंग होने से शिक्षक समाज व छात्र छात्राओं में खुशी की लहर छ गई है।
इस ऐतिहासिक पल का गवाह बने शिक्षक समाज व छात्र छात्राओं ने एक-दूसरे को बधाई दी, तथा मिठाई खिलाकर उनका मुंह मीठा कराया।
भारत माता की जय के नारे लगाए। इसी कड़ी में टाइनी
टाट्स सीनियर सेकेंडरी स्कूल में एक कार्यक्रम को आयोजित किया गया, जिनमें चंद्रयान से जुड़ी रोचक जानकारियों के साथ ही अंतरिक्ष विज्ञान के बारे में भी बताया गया। वहीं, बच्चों ने भी चंद्रयान और अंतरिक्ष विज्ञान से जुड़े मॉडल और प्रोजेक्ट प्रस्तुत किए। जिसमें कक्षा सात की छात्रा अंशिका गोस्वामी व आर्या गोस्वामी की प्रस्तुति सराहनीय रही। इस अवसर पर छात्र-छात्राओं के द्वारा चंद्रयान -3 से संबंधित लेख भी साझा किया गया जिसमें कक्षा छः के छात्र प्रतीक श्रीवास्तव का लेख सराहनीय रहा।
कक्षा छः की छात्रा मन्तशा ने जब जीरो दिया मेरे भारत ने दुनिया को तब गिनती आयी।
तारों की भाषा भारत ने दुनिया को पहले सिखलायी। देता न दशमलव भारत तो
यूँ चाँद पे जाना मुश्किल था, धरती और चाँद की दूरी का अंदाज़ा लगाना मुश्किल था। गीत गाकर खूब तालियां बटोरी।
चंद्रयान- 3 के बारे में विस्तार से बताते हुए विद्यालय के प्रधानाचार्य मनीष कुमार सिंह ने कहा कि चंद्रयान- 3 के सफलतापूर्वक चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर स्थापित हो जाने से हमारे देश के वैज्ञानिकों को आज एक महान उपलब्धि मिली है। भविष्य में हमारे देश के वैज्ञानिक चंद्रमा पर जीवन की खोज कर करेंगे। चंद्रयान-3 के स्थापित होने से हमारे देश के वैज्ञानिक अब चंद्रमा के वातावरण, जल और प्रकाश का आसानी से पता लगा लेंगे और शायद वह दिन दूर नहीं जब हम लोग भी चंद्रमा पर रह सके। विद्यालय के डायरेक्टर सैफ अली ने कहा कि भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के मिशन चंद्रयान-3 की बुधवार की शाम छह बजकर चार मिनट पर चंद्रमा की सतह पर सफलतापूर्वक लैंडिंग हो गई। इसके साथ ही चंद्रमा के दक्षिण ध्रुव पर अपने यान को उतारने वाला भारत दुनिया का पहला देश बन गया है।
एक कहावत है कि चंदा मामा दूर के, लेकिन भारत के चंद्रयान -3 की सफलता के बाद ये कहा जा सकता है कि चंदा मामा अब अपने घर के हैं। और आसानी से मामा तक पहुंचा जा सकता हैं।
असगर अली
उतरौला
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