उतरौला(बलरामपुर) मुहर्रम की दसवीं तारीख को सुबह इमामबारगाह मरहूम हसन जाफ़र में एक क़ादिमी मजलिसे सुबहे आशुरा का आयोजन हुआ जिसे मौलाना मुहम्मद रज़ा आब्दी ने संबोधित करते हुए इमाम हुसैन और उनके साथियों की शहादत का विस्तृत वर्णन किया
दो बजे दिन में इमामबारगाह मरहूम हसन जाफ़र,इमामबारगाह मरहूम मुहम्मद ज़ाहिद और इमामबारगाह मरहूम इब्ने हसन में अलविदाई नौहों के साथ अंजुमने वफ़ाए अब्बास के सदस्यों द्वारा जुलुस बरामद हुआ,जिसमें लोग काले लिबास पहने हुए अपने कन्धों पर ताज़िए और हाथों में अलम के साथ नंगे पैर अलविदा या हुसैन की सदाओं के बीच करबला की तरफ़ चल पड़े जुलुस अपने विभिन्न मार्गों से होता हुआ देर शाम करबला पहुंचा जहां करबला में ताज़िए दफ़न किए गए अंजुमन के सदस्यों ने नौहा ख्वानी सिनाजनी के साथ साथ ज़ंजीर का मातम करके अपने इमाम को पुरसा पेश किया
इस अवसर पर विभिन्न धर्मों के लोगो ने शामिल होकर आपसी भाईचारे की मिसाल पेश की
इस अवसर पर मौलाना मुहम्मद रज़ा आब्दी डॉक्टर अली,अज़हर, इरफ़ान हैदर,अली जाफर, तौसीफ हसन,अब्बास जाफ़र,तौकीर हसन,अली शाहनशाह,मोजिज अब्बास,मुहम्मद आलिम,रज़ा अब्बास,कैफ़ी रिज़वी,जावेद हैदर,मुहम्मद सालिम,आमिर अली,नदीम हैदर,अहसन मुर्तुजा,इंतजार मेंहदी,सकलैन अब्बास,मुहम्मद तालिब,आदि अब्बास,शानू,सलमान,अबूज़र, फ़राज़,अमान,मुहम्म्द अली और ग्राम प्रधान मनसा राम यादव शामिल रहे।
असगर अली
उतरौला
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